सीधी विधानसभा सीट पर पेशाब कांड से बढ़ेगी बीजेपी की मुश्किल, जानिए क्या कह रहे समीकरण

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Rahul Garhwal
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सीधी विधानसभा सीट पर पेशाब कांड से बढ़ेगी बीजेपी की मुश्किल, जानिए क्या कह रहे समीकरण

BHOPAL. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले सीधी सीट की चर्चा तेज हो गई है। पेशाब कांड के बाद सुर्खियों में आई सीधी सीट पर बीजेपी मुश्किल में आ सकती है। आदिवासी के साथ पेशाब कांड से 3 बार के विधायक केदारनाथ शुक्ला का नाम जुड़ने के बाद उनका टिकट कट गया। बीजेपी ने सांसद रीति पाठक को मैदान में उतारा है। शुक्ला निर्दलीय लड़ेंगे। वहीं कांग्रेस ने जिला अध्यक्ष ज्ञान सिंह पर दांव खेला है।

2018 में क्या हुआ था ?

सीधी विधानसभा सीट पर 2018 में बीजेपी के केदारनाथ शुक्ला ने जीत दर्ज की थी। शुक्ला ने कांग्रेस के कमलेश्वर पटेल को 19 हजार 986 वोटों से हराया था। इस सीट पर 45 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। इस बार सांसद रीति पाठक चुनाव लड़ेंगी। रीति ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के अजय सिंह को हराया था।

सीधी सीट का इतिहास

  • 2018 - केदारनाथ शुक्ला (बीजेपी)
  • 2013 - केदारनाथ शुक्ला (बीजेपी)
  • 2008 - केदारनाथ शुक्ला (बीजेपी)
  • 2003 - इंद्रजीत कुमार (कांग्रेस)
  • 1998 - इंद्रजीत कुमार (कांग्रेस)
  • 1993 - पतिराज सिंह (कांग्रेस)
  • 1990 - अमर सिंह (बीजेपी)
  • 1985 - अन्नथ सिंह (बीजेपी)
  • 1980 - पतिराज सिंह (कांग्रेस)
  • 1977 - जगन्नाथ सिंह (जेएनपी)

पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगी रीति पाठक

सीधी से रीति पाठक ने लगातार 2 लोकसभा चुनाव जीते हैं। हालांकि वे विधानसभा चुनाव पहली बार लड़ेंगी। केदारनाथ शुक्ला बीजेपी के कद्दावर नेता माने जाते हैं। उनका टिकट कटने के बाद वे निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। कहीं न कहीं ये त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है।

जातिगत समीकरण

सीधी विधानसभा में 2.24 लाख से ज्यादा मतदाता हैं। इनमें से 1.6 लाख से ज्यादा महिलाएं हैं। वहीं 1.17 लाख पुरुष मतदाता हैं। इस क्षेत्र में गोंड वोटर्स की संख्या सबसे ज्यादा है। वहीं ब्राह्मण, क्षत्रिय और साहू मतदाता निर्णायक स्थिति में नजर आते हैं। वहीं शहरी इलाके में व्यापारी वर्ग ही हार-जीत तय करता है।

पेशाब कांड की वजह से कटा केदारनाथ शुक्ला का टिकट

सीधी में आरोपी प्रवेश शुक्ला ने आदिवासी के ऊपर पेशाब की थी। इसे लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर जोरदार हमला किया था। आरोपी प्रवेश विधायक केदारनाथ शुक्ला का करीबी थी। बीजेपी पर मध्यप्रदेश में आदिवासियों के अपमान का आरोप लगा। सीएम शिवराज ने आदिवासी के पैर धोकर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की। इतने हंगामे के बाद विधायक केदारनाथ शुक्ला का टिकट कटना तय माना जा रहा था और हुआ भी वही, शुक्ला को टिकट नहीं मिला।

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कितना असर डालेगा ब्राह्मण वोट बैंक ?

सीधी के चुनावी समीकरण में ब्राह्मण वोट बैंक बड़ा असर डालता रहा है। इस बार के चुनाव में भी ब्राह्मण वोट बैंक पर उम्मीदवारों की नजरें हैं। रीति पाठक और केदारनाथ शुक्ला दोनों ही ब्राह्मण समाज के हैं। रीति कमल के फूल के नीचे हैं तो वहीं केदारनाथ शुक्ला निर्दलीय। कांग्रेस के ज्ञान सिंह को ब्राह्मण वोट बटोरने के लिए कोई बड़ा दांव खेलना होगा। अब इस बार जनता किसे वोट देगी ये देखना दिलचस्प होगा।

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