BHOPAL. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस चुनाव जीतने के लिए अलग-अलग पैंतरे आजमा रहे हैं। कोई महिला वोटर्स को साधने की कोशिश कर रहा है तो किसी की नजर किसान वोट बैंक पर है। अब इन सबके बीच कांग्रेस ने ऐलान कर दिया है कि सरकार बनी तो मध्यप्रदेश में विधान परिषद बनाई जाएगी। हम आपको बता रहे हैं विधान परिषद से जुड़ी हर जानकारी...
क्या होती है विधान परिषद
जैसे केंद्र के स्तर पर लोकसभा और राज्यसभा होती है। ठीक वैसे ही आप राज्यों के स्तर पर विधानसभा और विधान परिषद को समझा जा सकता है। केंद्र में लोकसभा निचला सदन और राज्यसभा ऊपरी सदन होता है। वैसे ही राज्यों में विधानसभा निचला सदन और विधान परिषद ऊपरी सदन होता है।
क्या कहता है संविधान
संविधान के अनुच्छेद 168 में कहा गया है कि प्रत्येक राज्य के लिए एक विधान मंडल होगा जो कि राज्यपाल, विधानसभा और विधान परिषद (यदि है तो) से मिलकर बनेगा। मूल संविधान में 8 राज्यों में विधान परिषद का प्रावधान था जिसमें आंध्र प्रदेश, बिहार, बंबई, तमिलनाडु, मैसूर, पंजाब, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल थे। वर्तमान की बात करें तो वर्तमान में 6 राज्यों में विधान परिषद मौजूद है, जिसमें कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार, तेलंगाना, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश शामिल हैं।
कैसे होता है विधान परिषद का गठन
किसी भी राज्य में यदि विधान परिषद का गठन करना हो तो इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 169 में प्रावधान किया गया है। इस अनुच्छेद के तहत किसी भी राज्य में विधान परिषद का गठन उस राज्य की विधानसभा में पास विशेष बहुमत से पारित प्रस्ताव के आधार पर और संसद के द्वारा साधारण बहुमत के आधार पर किया जाता है। इसे आसान शब्दों में समझना चाहें तो अगर मध्यप्रदेश में विधान परिषद का गठन किया जाना है तो इसके लिए 230 सीटों वाली मध्यप्रदेश की विधानसभा में ये प्रस्ताव 2 तिहाई बहुमत से पास होना चाहिए। इसके बाद विधानसभा इस प्रस्ताव को संसद के पास भेजेगी। अगर यहां संसद इस प्रस्ताव को साधारण बहुमत से पास कर देती है तो मध्यप्रदेश में विधान परिषद के गठन का रास्ता साफ हो जाएगा। यदि किसी राज्य में विधान परिषद को समाप्त भी करना हो तो इसके लिए भी यही प्रक्रिया अपनाई जाती है।
मध्यप्रदेश में विधान परिषद की मौजूदा स्थिति क्या है ?
7वें संविधान संशोधन अधिनियम 1956 के तहत मध्यप्रदेश में भी विधान परिषद का प्रावधान किया गया था, लेकिन तब से लेकर अब तक इस प्रावधान को लागू करने की अधिसूचना जारी नहीं की गई है। इसलिए मध्यप्रदेश में अभी तक विधान परिषद का गठन नहीं हो सका है। कभी अधिसूचना जारी नहीं हुई तो कभी सरकार ने वित्तीय हालातों का हवाला देते हुए विधान परिषद के गठन को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
अगर मध्यप्रदेश में विधान परिषद बना तो...
मध्यप्रदेश में अगर विधान परिषद का गठन होता है तो विधान परिषद में न्यूनतम सदस्यों की संख्या 40 और अधिकतम सदस्य संख्या 76 हो सकती है। सबसे ज्यादा 100 सदस्य वर्तमान में यूपी की विधान परिषद में है, जबकि सबसे कम सदस्य तेलंगाना की विधान परिषद में हैं, जहां इनकी संख्या 40 है।
विधान परिषद के लिए कैसे होता है चुनाव ?
विधान परिषद के लिए जितने भी सदस्य तय किए गए हैं, उनमें से कुछ सदस्य मनोनीत होते हैं और कुछ निर्वाचित होते हैं। राज्य के राज्यपाल 1/6 सदस्यों को मनोनीत करते हैं जो कि कला, विज्ञान, समाजसेवा और सहकारिता के क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति होते हैं। अब बात निर्वाचित होने वाले सदस्यों की करें तो एक तिहाई विधान परिषद के सदस्य विधानसभा के निर्वाचत सदस्यों के द्वारा चुने जाते हैं, जबकि एक तिहाई सदस्य स्थानीय संस्थाओं द्वारा निर्वाचित होते हैं। इसके बाद बचे हुए 1/12 सदस्यों का निर्वाचन शिक्षकों के द्वारा होता है, लेकिन यहां शर्त ये है कि वो शिक्षक प्राथमिक शिक्षक नहीं होने चाहिए। इसके बाद अंत में बचे हुए 1/12 सदस्यों का निर्वाचन ग्रेजुएट हुए युवाओं के द्वारा किया जाता है, यहां भी एक शर्त ये लागू होती है कि डिग्री पूरी किए हुए कम से कम 3 साल पूरे कर लिए गए हों। इस तरह से कुल 5/6 सदस्यों का निर्वाचन कर लिया जाता है।
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क्या मध्यप्रदेश में बन पाएगी विधान परिषद !
मध्यप्रदेश में कांग्रेस इस बात का दावा कर रही है कि विधानसभा में सदस्यों की संख्या सीमित होने के चलते समाज के प्रत्येक वर्ग को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाता। ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि अगर कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब हो जाती है तो विधान परिषद का मुद्दा किस राह पर जाता है।