संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में विधानसभ तीन से पांच बार कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ने वाले तीन बार के पूर्व विधायक अश्विन जोशी ने कांग्रेस छोड़कर आप जाने की खबरों के लिए बुधवार को खंडन किया और खुद को पार्टी का ईमानदार कार्यकर्ता बताया। लेकिन साथ ही दावा किया कि मैं कांग्रेस के सर्वे में विधानसभा तीन में सबसे आगे हूं, मेरा नाम सबसे ऊपर है और मैं चुनाव लडूंगा। उनके इस दावे से उनके चचेरे भाई पिंटू जोशी की मुश्किलें बढ़ गई है। साथ ही यह भी संभावना बढ रही है कि दोनों भाईयों की लड़ाई में फायदा अरविंद बागड़ी का या किसी अन्य तीसरे व्यक्ति का हो सकता है। उल्लेखनीय है कि आप की प्रदेशाध्यक्ष रानी अग्रवाल ने अश्विन जोशी से चर्चा होने की बात कहकर कांग्रेस में सनसनी फैला दी थी। वहीं सूत्रों के अनुसार यह पूरा घटनाक्रम कांग्रेस पर टिकट के लिए प्रेशर टैक्टिक के तौर पर आजमाया गया राजनीतिक फार्मूला था।
क्या बोले अश्विन जोशी?
जोशी ने मीडिया से कहा कि राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में विरोधी इतना गिर सकते है? अविश्वसनीय है, मेरी लोकप्रियता से बौखलाए हुए विरोधी द्वारा चलाई गई यह अफवाह है। "मेरी निष्ठा कांग्रेस में थी हे और सदैव रहेगी,हम आदरणीय कमलनाथ जी के कुशल नेतृत्व में चुनाव लड़ सरकार बनाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि मैंने ऐसा कोई काम नहीं किया कि जनता के सामने सिर झुका कर जाऊं। मैं ईमानदार नेता के रूप में रहा हूं और फिर चुनाव लडूंगा, पार्टी के सर्वे में मेरा नाम सबसे ऊपर है। उन्होंने यह भी कहा कि मेरे पांच बार चुनाव लड़ने की बात उठाई जा रही है, लोग तो दस-दस बार चुनाव लड़ते हैं, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
चचेरे भाई पिंटू का कहना भाई अब अपना वादा निभाए
उधर पिंटू जोशी का साफ कहना है कि भाई को मैंने पांच चुनावों से मदद की, बीते चुनाव में ही वादा हो गया था कि इस बार वह लड़ेंगे और अगली बार चुनाव में टिकट मुझे मिलेगा और वह मेरी मदद करेंगे। मैंने बीते चुनाव में अपना वादा निभाया, अब वादा निभाने की बारी भाई (अश्विन जोशी) की है।
क्या है अंदरखाने की खबर- प्रेशर टैक्टिक के तौर पर चली चर्चा
सूत्रों से मिला जानकारी के अनुसार पंजाब में कांग्रेस छोड़कर आप में गए कई नेताओं के साथ मिलाकर आप ने एक सेंट्रल टीम बनाई है जो चुनाव संबंधी काम को देख रही है। इन नेताओं के कांग्रेस के कई नेताओं से संबंध और चर्चा है। इसी में से दो नेताओं की अश्विन जोशी से इस संबंध में चर्चा हुई थी और इसी आधार पर यह बात बाहर फैली। वहीं यह भी बात सामने आ रही है कि पिंटू की टिकट की दावेदारी और बीते चुनाव के दौरान हुए समझौते के चलते अश्विन जोशी को इस बार टिकट कटने की आशंका अधिक है और इसलिए आप से चर्चा की बात कांग्रेस पर प्रेशर टैक्टिक के तौर पर आगे बढाई गई है, जिससे कांग्रेस एक बार और उन्हें टिकट देने के लिए मजबूर हो सके। यह भी कहा जा रहा है कि पिंटू की उम्र का भी हवाला दिया गया है कि वह अभी और पांच साल रूक सकते हैं, मैं (अश्विन) तो वैसे ही अगला चुनाव नहीं लडूंगा। इसलिए एक बार टिकट दिया जाए, क्योंकि मैं यहां से लगातार तीन बार जीता हूं और जीत सकता हूं।
साल 1998 से चुनाव लड़ रहे अश्विन जोशी
महेश जोशी के बाद कांग्रेस ने 1998 में उनके भतीजे अश्विन जोशी को टिकट दिया, वह 1998, 2003 औऱ् 2008 में लगातार तीन बार चुनाव जीते, लेकिन साल 2013 में ऊषा ठाकुर से और फिर 2018 में बीजेपी के आकाश विजयर्गीय से चुनाव हारे। अश्विन जोशी 63 साल के हैं और विधानसभा सीट नंबर 3 से इस बार भी दावेदार हैं। लेकिन पिछले चुनाव में दोनों चचेरे भाईयों के बीच टिकट को लेकर समझौता हुआ था। पिछले चुनाव में भी महेश जोशी ने बेटे पिंटू के लिए सिफारिश कर दी थी। मामला दिग्विजयसिंह तक पहुंचा तब यह सुलह हुई थी कि 2018 का चुनाव अश्विन लड़ लें, अगली बार सीट को छोड़ना पड़ सकता है। मुश्किल यह हो गई है कि अश्विन सशर्त टिकट मिलने के बाद हार भी गए।