संजय गुप्ता@ INDORE.
कांग्रेस की दूसरी सूची के बाद इंदौर के तीन पुराने नेताओं अश्विन जोशी, प्रेमचंद गुड्डु और अंतरसिंह दरबार के कदम पर सभी की नजरें हैं। यह सभी नेता 1998 से चुनाव लड़ रहे हैं और विधायक रहे हैं। इन सभी के कांग्रेस ने टिकट काट दिए हैं। इसमें से प्रेमचंद गुड्डु अपने पत्ते खोल चुके हैं, वह दूसरी सूची आने तक रूके हुए थे और उम्मीद थी कि आलोट (एससी) सीट से मौजूदा विधायक मनोज चावला का टिकट काटकर उन्हें मिल जाएगा, लेकिन कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया। वह निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़ने की घोषणा पहले ही कर चुके हैं।
ये खबर भी पढ़ें...
कांग्रेस से इसलिए नाराज हो गए अखिलेश यादव, 6 सीट मांगी थी, सपा को किया इनकार पर जयस को दे दी 4 सीटें
तीनों नेताओं की राजनीतिक स्थिति, मैदान में आए तो क्या असर
अश्विन जोशी
जोशी साल 1998 में पहली बार कांग्रेस की सीट पर इंदौर विधानसभा तीन से चुनाव लड़ने उतरे थे। इसके पहले उनके चाचा महेश जोशी की यह सीट थी। वह 1998 से लेकर 2018 तक पांच चुनाव लड़े। पहले तीन चुनाव 1998, 2003 और 2008 जीते लेकिन फिर 2013 और 2018 का चुनाव हार गए। इस बार फिर टिकट की आस में थे। जोशी आप से संपर्क में हैं, आम आदमी पार्टी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इसलिए उनके लिए ही इंदौर की सीट की घोषणा रोकी थी, अब कांग्रेस से टिकट कट गया है तो आज-कल में उनकी स्थिति साफ होगी।
ये खबर भी पढ़ें...
क्या होगा असर- इंदौर विधानसभा तीन सबसे छोटी विधासनभा है, यहां हार-जीत पांच-छह हजार वोट से ज्यादा नहीं होती है। वहीं पांच बार से चुनाव के चलते उनका एक तय वोटबैंक भी है। यदि चुनाव मैदान में आए तो फिर पिंटू जोशी की मुश्किल बढ़ जाएंगी।
प्रेमचंद गुड्डु
गुड्डु भी साल 1998 से कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन बीच में वह बीजेपी में चले गए थे और उनके बेटे अजीत बौरासी की घटिटया एससी सीट से टिकट दिया गया था, हालांकि वह हार गए थे। गुडुड् दो बार विधायक रहे हैं, वह एक बार सांवेर एससी सीट से तो दूसरी बार आलोट से चुनाव जीते हैं। आलोट से वह सांसद भी रहे हैं। गुडुड् का कहना है कि वह भले ही निर्दलीय चुनाव लड़ें लेकिन जीतने के बाद कांग्रेस का ही सरकार बनाने में साथ देंगे। कांग्रेस सूची आने के पहले तक वह उम्मीद में थे कि आलोट से टिकट काटकर फिर उन्हें दिया जाएगा, कहना था कि कुछ गड़बड हुई है और हमारे नेता हाईकमान से बात कर रहे हैं। लेकिन सूची आने के बाद साफ है कि बात नहीं बनी और वह अब शुभ मुहुर्त में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ेंगे। हां उनकी बेटी रीना सैतिया को जरूर सांवेर से मैदान में उतारा गया है।
ये खबर भी पढ़ें...
कांग्रेस ने चार टिकट देकर जयस के एक गुट को साधा, दूसरा गुट बोला हम चुनाव लडेंगे, आज-कल में आएगी सूची
क्या होगा असर- गुड्डु मैदान में उतरते हैं तो चावला के लिए मुश्किल बढ़ेगी क्योंकि कांग्रेस के कई कार्यकर्ता उनके संपर्क में हैं, क्योंकि चावला की भारी जीत की जगह केवल 5448 वोट की जीत थी
अंतरसिंह दरबार
दरबार भी साल 1998 से इंदौर की महू सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। वह पहले दो चुनाव 1998 और 2003 जीते लेकिन फिर लगातार तीन बार 2008, 2013 और 2018 का चुनाव हारे। दरबार की मैदानी पकड़ अच्छी है और घर-घर में उनकी पकड़ है। दरबार के घर कार्यकर्ताओं का जमावड़ा है और वह उन्हें संघर्ष करने और मैदान में उतरने के लिए बोल रहे हैं। दरबार एक-दो दिन में फैसला लेने की बात कर रहे हैं।
क्या होगा असर- दरबार मैदान में उतरते हैं तो कांग्रेस के लिए चुनौती बनेगी। उनकी जगह प्रत्याशी बने रामकिशोर शुक्ला के लिए मुश्किल बढ़ जाएंगी। दरबार की हार बीते चुनाव में 7157 वोट की ही थी। उनका एक मजबूत वोट बैंक मौजूद है।
इधर बीजेपी से जीतू जिराती ने चुनाव लड़ने से किया इंकार
उधर बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष और राउ से पूर्व विधायक जीतू जिराती ने चुनाव लडने से इंकार कर दिया है। उन्होंने संगठन को पत्र लिखकर संगठनात्मक गतिविधियां ही करने की इच्छा जताई है। उन्होंने प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा को पत्र लिखकर कहा कि संगठन ने 29 विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी दी है. मैं विधानसभा चुनाव लड़ने से मुक्त रहकर ज्यादा से ज्यादा प्रत्याशी की जीत के लिए काम करना चाहता हूं। प्रत्याशी चयन से मुक्त रखा जाए। जिराती का नाम महू सीट से भी चल रहा था और कालापीपल से भी उनके नाम की सुगबुगाहट थी। जिराती साल 2013 में जीतू पटवारी से चुनाव हार गए थे। बीजेपी ने इस बार राउ से फिर मधु वर्मा को ही टिकट दिया है, जो साल 2018 में भी मैदान में थे और हार गए थे।
दरबार 21 अक्टूबर को रैली कर लेंगे फैसला
दरबार ने 20 अक्टूबर शुक्रवार को वीडियो संदेश जारी कर कहा है कि- मैंने महू की जनता के लिए काफी सपने देखे थे चुनाव लडूंगा और जीतकर सेवा करूंगा। चुनाव हारने के बाद भी सेवा करता आया हूं। पार्टी ने जिन व्यक्तियों को टिकट दिया है वह कांग्रेस सरकार जाते ही 2003 में सत्ता का सुख भोगने, कांग्रेस को अनाथ छोड़कर बीजेपी में गए थे और सरकार आने के एक माह पहले फिर कांग्रेस में आ गए और पार्टी के बडे नेता उन्हें आर्शीवाद दे रहे है टिकट भी। कार्यकर्ता, जनता नाराज है। हम 21 अक्टूबर सुबह 10 बजे रैली निकाल रहे हैं। इसमें फैसला करेंगे कि जो जनता के साथ अन्याय हुआ है उसके लिए आगे क्या करना है? आपके निर्णय और आशीर्वाद की कल प्रतीक्षा होगी।