Bilaspur. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और संबित पात्रा के खिलाफ रायपुर के आज़ाद चौक थाने में दर्ज एफ़आइआर को रद्द करने के आदेश हाईकोर्ट ने दिए हैं।हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के बाद 12 सितंबर को ऑर्डर रिज़र्व कर लिया था। चीफ़ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस एन चंद्रवंशी की डबल बेंच ने याचिका की सुनवाई की थी।
क्या था मामला
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और तत्कालीन बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा की ओर से ट्विट किया गया था। कोरोना काल के समय बीजेपी की ओर से कांग्रेस टूल किट एक्सपोक्स्ड हैशटैग के साथ लिखा गया कि विदेशी मीडिया में देश को बदनाम करने के लिए कांग्रेस,कुंभ का दुष्प्रचार और जलती लाशों के फ़ोटो दिखाने का षड्यंत्र कर रही है। महामारी से साथ लड़ने के बजाय कांग्रेस लोगों को आपस में लड़ा रही है। यह ट्विट डॉ रमन सिंह और संबित पात्रा ने भी किया था। कांग्रेस की ओर से इस ट्विट को आपत्तिजनक फ़र्ज़ी और विद्वेष फैलाने वाला बताया गया और रायपुर के आज़ाद चौक थाने में अपराध क्रमांक 215/21 के तहत एफ़आइआर दर्ज कर ली गई जिसमें धारा 504,505(1)(बी),505(1)(सी),469 और धारा 188 की धाराएँ लगाई गईं। इस एफ़आइआर को ग़लत बताते हुए याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई।
हाईकोर्ट ने क्या कहा
हाईकोर्ट में इस एफ़आइआर को चुनौती देते हुए डॉ रमन सिंह व संबित पात्रा की ओर से अधिवक्ता विवेक शर्मा ने याचिका दायर की गई। याचिका में एफ़आइआर को राजनीति से प्रेरित बताते हुए इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की अवहेलना बताया गया। चीफ़ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस एन के चंद्रवंशी ने इस मामले में फ़ैसला दिया है कि, एफ़आइआर को रद्द किए जाने का आदेश जारी किया जाता है। एफ़आइआर के लिए प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता है।