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BHPAL : पूर्व आईएएस आरबी प्रजापति ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त, भारत सरकार को पत्र लिखकर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं। प्रजापति ने अपने पत्र में जमीन से जुड़े एक मामले का सिलसिलेवार ब्यौरा देते हुए बैंस की कार्यप्रणाली को संदेहपूर्ण बताया। प्रजापति ने यह बताने की कोशिश की है कि वन विभाग की जमीन को किस तरह निजी हाथों के हवाले करने के लिए कलेक्टर को निर्देशित करने की कोशिश की गई। प्रजापति ने मांग की है प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इकबाल सिंह बैंस प्रदेश के मुख्य सचिव हैं। ऐसे में निष्पक्ष चुनाव के लिए चुनाव आयोग के लिए ठोस कदम उठाना जरुरी है। यह सुनिश्चित किया जाए कि जिला निर्वाचन अधिकारी और रिटर्निंग अधिकारियों पर कोई प्रशासनिक दबाव न रहे।
3129 एकड़ वन विभाग की जमीन का मामला
पूर्व आइएएस आरबी प्रजापति ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखकर सीएस इकबाल सिंह बैंस की कार्यप्रणाली पर संदेह जताया है। प्रजापति ने अशोक नगर जिले की मुंगावली तहसील की 3129 एकड़ वन विभाग की जमीन को निजी लोगों को दिए जाने के लिए कलेक्टर को निर्देशित किए जाने की बात कही है। यह बात साल 2014 की है। उस समय अशोक नगर के तत्कालीन कलेक्टर आरबी प्रजापति ही थे।
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बैंस ने ली निजी दिलचस्पी
प्रजापति ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त को लिखा है कि वन विभाग की इस जमीन पर कुछ निजी लोगों ने अपना हक बताया और कलेक्टर को उनके नाम जमीन करने का आवेदन दिया। कलेक्टर ने इसकी जांच तहसीलदार को सौंपी। इस मामले में सीएम के तत्कालीन प्रमुख सचिव इकबाल सिंह बैंस ने निजी दिलचस्पी ली। उन्होंने कलेक्टर से इस मामले की पूरी जानकारी ली। उन्होंने पूछा कि योग गुरु के प्रोजेक्ट के लिए प्राइवेट व्यक्तियों का इस जमीन पर कोई समझौता है, निजी लोगों के स्वामित्व को लेकर क्या स्थिति है, इस संबंध पूरी जानकारी दी जाए। इसके बाद बैंस ने कलेक्टर और पटवारियों को वल्लभ भवन बुलाया। कलेक्टर को वन विभाग के प्रमुख सचिव के पास भेजा। वन विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव ने कहा कि यह जमीन तो निजी लोगों की हैं। कलेक्टर अशोकनगर ने बताया कि यह जमीन वन विभाग की है। इसके बाद बैंस ने कलेक्टर से जमीन से संबंधित बिना हस्ताक्षर के प्रतिवेदन मांगा। इसके बाद वही प्रतिवेदन हस्ताक्षर के बाद बुलवाया। बैंस ने कहा कि इस पर निर्णय से पहले उनसे चर्चा की जाए।कलेक्टर अशोक नगर प्रजापति ने इस जमीन के मालिकाना हक को लेकर अंतिम फैसले से पहले बैंस को फोन किया। इसके बाद कलेक्टर ने अपना फैसला सुना दिया। इस फैसले में संबंधित जमीन को वन विभाग की जमीन बताया गया। प्रजापति ने अपने पत्र में यह पूरा वाकया दिया है और कहा है कि उनको इस मामले में निर्देशित करने की कोशिश की गई। चुनाव में इस तरह पक्षपात न हो इसलिए जरूरी कदम उठाए जाएं।
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