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GWALIOR. चंबल अंचल की सियासत में बीजेपी का चर्चित चेहरा रहे रसाल सिंह अब बहुजन समाज पार्टी से जुड़ गए हैं। वे चार बार विधायक और एक बार नगर पालिका अध्यक्ष रहे हैं। रसाल सिंह सोमवार, 16 अक्टूबर को बसपा में शामिल हुए और उन्होंने लहार विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया।
रसाल सिंह के साथ कई बीजेपी नेता बसपाई बने
उन्होंने सोमवार को लहार स्थित बांके बिहारी गार्डन में आयोजित बसपा की कोर कमेटी की बैठक में पार्टी प्रदेश प्रभारी सुनील बघेल और जोन प्रभारी दिलीप बौद्ध की मौजूदगी में बसपा की सदस्यता ली। इससे पहले रविवार को रसाल सिंह ने बीजेपी से त्यागपत्र दे दिया था। आज उनके साथ उनके भाई योगेन्द्र सिंह पप्पू, बीजेपी सकारिता प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष भुजबल सिंह तोमर, मंडल अध्यक्ष जबर सिंह सहित अन्य पंचायत, नगरीय निकायों से जुड़े जनप्रतिनिधियों और बीजेपी नेताओं ने भी बसपा की सदस्यता ग्रहण की।
बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले को लहार से दिया टिकट
रविवार को रसाल सिंह ने त्यागपत्र देते हुए कहा था कि वे भारी मन से अपनी पितृ संस्था बीजेपी को अलविदा कह रहे हैं। अपने इस्तीफे में उन्होंने बीजेपी द्वारा विधान सभा चुनाव के मद्दे नजर चुनावी रण में उतारे गए प्रत्याशी को लेकर नाराजगी जताई। उनका कहना है कि जो नेता बीजेपी संगठन के साथ गद्दारी कर अधिकृत प्रत्याशी को हराने के लिए खुद दूसरे सियासी दल से चुनाव मैदान में उतरा, बीजेपी संगठन ने उसी को प्रत्याशी बनाया है और उसका प्रचार करना मेरे स्वाभिमान के साथ न्याय नहीं होगा।
रसाल सिंह ने यह भी कहा
पूर्व विधायक रसाल सिंह ने बीजेपी जिला अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह नरवरिया को लिखे पत्र में कहा था कि बीजेपी ने लहार विधान सभा सीट से जिस अम्बरीश शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है, उसने दो बार साल 2013 और साल 2018 में मुझे चुनाव हराने के लिए बीजेपी संगठन के खिलाफ जाकर काम किया। मैंने संगठन के नीति निर्धारकों को अपनी बात विस्तार से कह दी थी, मैंने कह दिया था कि वर्तमान प्रत्याशी की जगह पार्टी जिसे भी प्रत्याशी बनाएगी, वह सहर्ष उसकी जीत सुनिश्चत करने के लिए जुट जाएंगे। लेकिन संगठन ने अपनी असमर्थता व्यक्त कर दी। तब मुझे अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए बीजेपी से इस्तीफे का निर्णय लेना पड़ा।
रसाल सिंह 4 बार विधायक रह चुके
गौरतलब है कि पूर्व विधायक रसाल सिंह तत्कालीन रौन विधानसभा सीट से चार बार विधायक और भिण्ड नगर पालिका के अध्यक्ष रह चुके हैं। साल 2013 और 2018 में वह बीजेपी प्रत्याशी के रूप में लहार विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे थे, लेकिन अपनी पार्टी के बागी प्रत्याशी के चुनाव में उतरने से हार गए थे। उनका लहार के अलावा भिण्ड जिले की गोहद, मेंहगांव और भिण्ड विधानसभा सीटों पर प्रभाव है।