अबकी बार गहलोत तुमसे बैर नहीं, कांग्रेसी विधायकों की खैर नहीं, 2018 में वसुंधरा तेरी खैर नहीं नारे से चली गई थी BJP सरकार

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Chakresh
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अबकी बार गहलोत तुमसे बैर नहीं, कांग्रेसी विधायकों की खैर नहीं, 2018 में वसुंधरा तेरी खैर नहीं नारे से चली गई थी BJP सरकार

JAIPUR. राजनीतिक पार्टियां तो एक- दूसरे की कमियां गिनाने के लिए नारे गढ़ती ही रहती हैं, मगर जनता के बीच भी बेहतरीन नारेबाज होते हैं। आशु कवि, जो जनता की नब्ज को नेताओं से ज्यादा समझते हैं। पांच साल पहले राजस्थान में ऐसा ही एक नारा आया था "मोदी तुमसे बैर नहीं, वसुंधरा तेरी खैर नहीं"। इस नारे ने मोदी लहर के बाद भी राजस्थान में BJP की सरकार नहीं बनने दी थी। इस बार राजस्थान के धौरों से एक और नारा निकलकर आ रहा है- "गहलोत तुमसे बैर नहीं, कांग्रेसी विधायको की खैर नहीं", आखिर कैसा है इन दिनों राजस्थान का सियासी मिजाज…

गहलोत मान चुके- जनता है विधायकों से नाराज

अब चुनाव से पहले एक धीमा सा नारा कांग्रेस की राजनीति में भी गूंजने लगा है। खास बात यह है कि खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी एक इंटरव्यू में यह स्वीकार लिया कि "गहलोत तुमसे बैर नहीं, कांग्रेसी विधायको की खैर नहीं" का फीडबैक उनके पास भी आया है। गहलोत ने कहा कि, इसमे दो राय नहीं, ऐसा फीडबैक मेरे पास भी आया है। कई बार अच्छा काम करने के बावजूद भी परसेप्शन बन जाता है। दरअसल कई सर्वे रिपोर्ट भी कई मौजूदा विधायकों और मंत्रियों के खिलाफ आई है। कई विधायक-मंत्री तो अपने क्षेत्रों में इतने बदनाम हो चुके हैं कि अब जनता खुलेआम उनका विरोध करने लगी है। कांग्रेस इस चुनाव में सरकार रिपीट करने का दावा कर रही है। करना भी चाहिए, क्योकि कई योजनाएं बहुत अच्छी आई हैं, लेकिन यह चुनाव तो कोई दिल्ली जैसा है नहीं कि जनता उम्मीदवार के चेहरे पर ध्यान न देकर मोदी के नाम पर वोट दे दे। विधानसभा चुनाव तो उम्मीदवार के आधार पर ही होता है। बड़ा सवाल यह कि जिन विधायकों या मंत्रियों की "खैर" नहीं, क्या उनकी टिकट काटने का साहस कांग्रेस कर पाएगी?

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ममता भूपेश का सरेआम विरोध

जनता के बीच निकले कांग्रेस के कई मंत्री- विधायकों को सार्वजनिक रूप से विरोध का सामना करना पड़ रहा है। राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री ममता भूपेश को तो कई गांवों में ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा। मंत्री ममता भूपेश सड़क शिलान्यास के लिए विगत दिनों दौसा के पहुंची थीं। यहां कुछ युवाओं ने विरोध करते हुए उनके काफिले को काले झंडे दिखाए। इसके अलावा मंत्री डॉ सुभाष गर्ग सहित इस सूची में कई नाम शामिल हैं।

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टिकट वितरण तय करेगा कांग्रेस की स्थिति

बहरहाल कांग्रेस के मंत्री- विधायकों को लेकर एंटी इंकमबेंसी क्या रंग दिखाएगी, इसका फैसला टिकट वितरण के बाद ही तय हो सकेगा। राजस्थान कांग्रेस के गोविंद सिंह डोटासरा साफ कर चुके हैं कि टिकट वितरण में पूरी सावधानी बरती जा रही है। मगर बड़ा सवाल यही है कि जिन विधायकों या मंत्रियों की "खैर" नहीं, क्या उनकी टिकट काटने का साहस कांग्रेस कर पाएगी?

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