वेंकटेश कोरी, JABALPUR. बहुजन समाज पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के समझौते ने जबलपुर की बरगी विधानसभा सीट पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी है। बरगी विधानसभा सीट पर जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस जहां पूरा जोर लगा रही है तो इस बार बीजेपी नए चेहरे को उतारकर इस सीट पर जीत का परचम फहराने की पुरजोर कोशिश कर रही है। बहुजन समाज पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के बीच हुए समझौते के तहत जीजीपी ने मांगीलाल मरावी को अपना प्रत्याशी बनाया है। मांगीलाल मरावी कांग्रेस से टिकट न मिलने के कारण गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं।
मरावी पहले भी जीजीपी से लड़ चुके हैं चुनाव
मांगीलाल मरावी कांग्रेस की टिकट पर विधानसभा का चुनाव तो लड़ ही चुके थे उसके अलावा वह पूर्व में भी कांग्रेस से बगावत करके गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। जहां उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा। बरगी से मैदान में उतरे मांगीलाल मरावी को लेकर तो वर्तमान कांग्रेस प्रत्याशी द्वारा पूर्व में ही घोषणा कर दी गई थी कि वह गोंडवाना की तरफ से चुनाव लड़ेंगे और उनके रहने से पार्टी को नुकसान ज्यादा फायदे कम हैं।
आदिवासी विधायक की मांग ने पकड़ा जोर
करीब एक दशक तक बरगी विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा था। प्रतिभा सिंह लगातार इस सीट से 2 बार भारतीय जनता पार्टी से विधायक चुनी गई, लेकिन 2018 के विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस के संजय यादव ने बीजेपी के कब्जे से यह सीट छीन ली, बरगी विधानसभा सीट पर आदिवासी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इस बार बरगी के आदिवासी परिवार स्थानीय और आदिवासी विधायक की मांग को लेकर लगातार चर्चाएं कर रहे हैं और यह मांग क्षेत्र में पूरी तरह से जोर भी पकड़ रही है।
60 हजार आदिवासी मतदाता बिगाड़ सकते हैं खेल
बरगी के कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 41 हजार 999 हैं इसमें 1 लाख 24 हजार 69 मतदाता पुरुष है तो 1 लाख 17 हजार 909 महिला मतदाता हैं। इनमें सबसे ज्यादा आदिवासियों की संख्या खासी ज्यादा है, एक अनुमान के मुताबिक करीब 60 से 65 हजार आदिवासी मतदाता बरगी क्षेत्र में निवास करते हैं जो किसी भी पार्टी की जीत हार में अहम भूमिका निभाते है। ऐसी स्थिति में आदिवासी मतदाताओं को अपने पाले में करने के लिए सभी पार्टियां पूरा जोर लगा रही हैं, लेकिन बहुजन समाज पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के गठजोड़ ने दोनों ही प्रमुख पार्टियों के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।