JAIPUR. राजस्थान के निवर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विशेष अधिकारी यानी ओएसडी लोकेश शर्मा के बयान इन दिनों सुर्खियों में छाए हुए हैं। परिणाम के तुरंत बाद अशोक गहलोत पर सबसे पहला हमला लोकेश शर्मा ने ही किया और अब वे हर रोज नए खुलासे भी कर रहे हैं, लेकिन सबके मन में जिज्ञासा इसी बात की है कि आखिर ऐसा क्या हुआ है जिसके चलते लोकेश शर्मा जो लंबे समय से गहलोत के साथ जुड़े हुए हैं और सोशल मीडिया पर अशोक गहलोत की छवि गढ़ने में जिनका बड़ा योगदान रहा है वे अचानक इतने मुखर क्यों हो गए? विधानसभा चुनाव में हार के बाद अशोक गहलोत पर उनके धुर विरोधी माने जाने वाले सचिन पायलट ने भी कोई टिप्पणी नहीं की लेकिन पिछले 10 वर्ष से भी ज्यादा समय से गहलोत के आंख और कान बने हुए लोकेश शर्मा सबसे पहले हमलावर हुए।
टैप किया गया सचिन पायलट का फोन
चुनावी परिणाम में हार तय होते ही उन्होंने पहले इशारों में एक ट्वीट किया जिसमें लिखा था कि 'जहां पुराने पत्ते नहीं झड़ते, वहां वसंत नहीं आता.. यह एक छुपा हुआ हमला था लेकिन उसी रात को लोकेश ने एक विस्तृत ट्वीट कर गहलोत पर सीधा हमला बोला और उसके बाद से तो सिलसिला लगातार जारी है, जिसमें उन्होंने यहां तक स्वीकार कर लिया है कि सचिन पायलट के फोन टैप किए गए थे और 25 सितंबर की वह चर्चित घटना जिसमें गहलोत गुटके विधायकों ने आला कमान के खिलाफ खुलकर बगावत की थी वह भी एक प्रायोजित घटना थी।
कौन हैं लोकेश शर्मा?
लोकेश शर्मा छात्र राजनीति में थे। कांग्रेस की छात्र विंग एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस में रह चुके है और गहलोत के साथ दस वर्ष से भी ज्यादा समय से जुड़े हुए है। 2013 में जब गहलोत चुनाव हार गए थे और उनके पास कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं थी तब भी लोकेश शर्मा उनके साथ बने हुए थे। गहलोत के प्रचार, बयान और मीडिया का काम लोकेश के पास ही था। सर 2018 में जब कांग्रेस की सरकार आई तो गहलोत ने लोकेश को ओएसडी बना दिया और उन्हें सोशल मीडिया तथा मीडिया की जिम्मेदारी ही दी गई। गहलोत सरकार पर जुलाई 2020 में आए संकट के दौरान एक चर्चित फोन रिकॉर्डिंग वायरल करने के मामले में लोकेश चर्चा में आए और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने उनके खिलाफ कोर्ट में कैस कर दिया जिसमें वह आज भी फंसे हुए हैं और उन्हें दिल्ली के चक्कर लगाने पड़ते हैं। यानी सरकार पर आए संकट के समय उन्होंने गहलोत के लिए खुद पर एक बड़ी जोखिम ली।
अब इस तरह के बयान क्यों
अब सवाल यह उठ रहा है कि जब लोकेश शर्मा गहलोत के इतने नजदीक थे तो अब चुनाव की हार के बाद अचानक इस तरह के हमले क्यों किया जा रहे हैं। इसके दो-तीन कारण बताया जा रहे हैं और उन कारणों की ओर खुद लोकेश शर्मा ने भी उनकी ओर संकेत किया है। इसके पीछे एक बड़ा कारण ये माना जा रहा है की लोकेश खुद बीकानेर पश्चिम या भीलवाड़ा सीट से टिकट चाह रहे थे। इसके लिए उन्होंने प्रयास भी किए थे क्षेत्र के लोगों से मुख्यमंत्री को मिलवाया भी था लेकिन उनकी बात नहीं मानी गई और उन्हें टिकट नहीं मिला। इसके अलावा एक कारण यह भी है कि पिछले कुछ समय में गहलोत के आसपास कुछ दूसरे लोग जमा हो गए थे जिसके चलते लोकेश जैसे पुराने लोग दूर हो गए थे। इसके अलावा एक कारण फोन टैप वाला वह कोर्ट केस भी माना जा रहा है, जो दिल्ली में चल रहा है। अब चूंकि सत्ता परिवर्तन हो गया है इसलिए इस मामले में लोकेश की राह आगे कठिन हो सकती है। कारण यह भी माना जा रहा है कि अब पार्टी में बदलाव होना तय है लोकेश कुछ समय पहले सचिन पायलट से मुलाकात भी कर चुके हैं।मबहरहाल कारण चाहे कुछ भी ही लेकिन लोकेश ने अच्छे समय ही नहीं मुश्किल समय में भी गहलोत का साथ दिया है और अब वे अपनी निष्ठा बदलते दिख रहे हैं जो राजनीति में आज तक होता रहा है।