मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान विधानसभा का सत्रावसान कराए बिना ही इसकी बैठकें बुलाए जाने पर राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने एक बार फिर आपत्ति जताई है और कहा है सरकार से कोई विवाद नहीं है, लेकिन विधानसभा के सत्र का सत्रावसान होना चाहिए।
'सरकार या सीएम से कभी कोई विवाद नहीं रहा'
राज्यपाल कलराज मिश्र के कार्यकाल के 4 साल पूरे होने पर मीडिया से बात करते हुए शनिवार को मिश्र ने कहा वो अपने कार्यकाल में हर दिन संविधान के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए काम करते रहे। उन्होंने गहलोत सरकार से टकराव के सवालों को खारिज करते हुए कहा कि कभी कोई विवाद नहीं रहा। कुछ भ्रांतियां जरूर थी, लेकिन समय के साथ सब दुरुस्त हो गईं। राज्यपाल ने कहा कि कभी भी कोई विवाद सरकार या मुख्यमंत्री से नहीं रहा है। विधानसभा सत्र को लेकर कुछ भ्रांतियां हो गई थीं, लेकिन वो भी समय पर पूरी कर ली गई।
'विधानसभा सत्र का सत्रावसान होना चाहिए'
राज्यपाल ने कहा कि कुछ आपत्तियां राजभवन के स्तर पर थीं, ऐसे में हमने सरकार से उन्हें स्पष्ट करने को कहा और जब सरकार ने आपत्तियों को दूर कर दिया तो हमने आगे की कार्रवाई की अनुमति दे दी। राज्यपाल ने विधानसभा सत्रावसान को लेकर कहा कि सरकार की ओर से विधानसभा का सत्रावसान किया जाना चाहिए। ये सही है कि सदन का सत्रावसान नहीं हो पाया था।
'हर 6 माह में होने वाली बैठकें बुला लीं'
गौरतलब है कि राजस्थान में इस बार लागतार 3 साल तक ऐसा हुआ कि सरकार ने बजट सत्र का सत्रावसान नहीं कराया और अपने स्तर पर ही हर 6 माह में होनी वाली बैठकें बुला लीं। इस पर मिश्र ने एक बार पहले भी सार्वजनिक तौर पर आपत्ति की थी। कुलपति नियुक्तियों को लेकर राज्यपाल ने कहा कि सरकार से बात कर के जो भी नियुक्ति करनी थी, वो कर दी गई है। कभी कोई विवाद नहीं हुआ। कुछ प्रक्रिया पूरी करने में कई बार समय लगता है, लेकिन वो कोई विवाद नहीं था।
'राज्यपाल के पद की अपनी मर्यादा'
इस दौरान उन्होंने शिक्षा संस्कृति और संविधान संस्कृति की उज्ज्वल राहें नामक पुस्तक का विमोचन भी किया विमोचन के बाद उन्होंने कहा कि संवैधानिक पद होने के नाते राज्यपाल के पद की अपनी मर्यादा है। इस पद पर रहते हुए उन्होंने हमेशा भारतीय संविधान की मौलिक दृष्टि का अधिकाधिक प्रसार करने के लिए काम किया है।
इनकम गारंटी बिल की मंजूरी पर बयान
गिग वर्कर्स और मिनिमम इनकम गारंटी बिल की मंजूरी के लिए राज्यपाल ने कहा कि हमने परामर्श के लिए गिग वर्कर्स और मिनिमम इनकम गारंटी बिल को विधि विभाग के पास भेज दिया है। ऐसे में जो राय बनेगी उसके अनुसार निर्णय लिए जाएंगे। मिश्र ने कहा कि हमारे यहां लगभग 4 या 5 बिल पेंडिंग हैं। हम कोशिश करते हैं हमारे यहां जो बिल आता है उसको तत्काल भेज दिया जाए और जिसमें लगता है कि विधि विभाग से परामर्श लेने की जरूरत है तो वहां भेज देते हैं। यदि लगता है कि पुनर्विचार के लिए भेजा जाना चाहिए तो उसे पुनर्विचार के लिए भेज देते हैं। राज्यपाल मिश्र ने कहा कि संविधान निर्माण और लागू होने की ऐतिहासिक यात्रा की अमिट छवि लोगों के मन में प्रभावी रूप से बने इसका जो संकल्प उन्होंने लिया था, वो इस वर्ष राजभवन में देश के पहले संविधान पार्क के निर्माण के रूप में पूर्ण हुआ है। उन्होंने कहा कि राजभवन स्थित संविधान पार्क में संविधान से जुड़ी सांस्कृतिक, ऐतिहासिक यात्रा से जुड़े मूल तथ्यों को संजोया गया है। संविधान की मूल प्रति में शांति निकेतन के प्रख्यात कलाकार नंदलाल बोस और उनके सहयोगियों की बनाई कृतियों को भी यहां जीवंत किया गया है।
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राज्यपाल राहत कोष का डिजिटलाइजेशन
राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि राज्यपाल राहत कोष का पूरी तरह से डिजिटलाइजेशन कर इसके बैंक खाते में ऑनलाइन दान राशि जमा करवाने की सुविधा सॉफ्टवेयर बनाकर उपलब्ध करवाई गई है। ऑनलाइन दान राशि जमा करवाने पर वसूल किए जा रहे बैंक चार्जेज को बैंक के उच्च प्रबन्धन से वार्ता कर बंद करवाया गया है। राहत कोष को पुनर्गठित कर उसके दायरे को बढ़ाते हुए हर जरूरतमंद तक मदद को सुनिश्चित किया गया है। उन्होंने कहा कि सैनिक कल्याण विभाग के अंतर्गत प्रदेश में संचालित समस्त 'युद्ध विधवा छात्रावास एवं पुनर्वास केन्द्रों का नाम परिवर्तन कर वीरांगना छात्रावास और पुनर्वास केन्द्र करने के साथ ही 'वीरांगना पहचान पत्र की तर्ज पर शहीद की माता को वीर माता पहचान पत्र तथा शहीद के पिता को वीर पिता पहचान पत्र' जारी करने का महत्वपूर्ण निर्णय भी राजभवन की पहल पर किया गया है।