गंगेश द्विवेदी, RAIPUR. विधानसभा से पास होकर राजभवन में जाकर लटके विधेयकों पर अब राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन को एक्शन लेना होगा। उन्हें या तो हस्ताक्षर करके बिल को पारित करना होगा या असहमत होने पर राज्य सरकार को लौटाना होगा। ऐसा सुप्रीम कोर्ट के इस मामले में आए ताजा फैसले के कारण होगा। कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश की कॉपी का इंतजार कर रही है। कापी राजभवन जाकर राज्यपाल को सौंपेंगे और रुके विधेयकों को पास करने का दबाव बनाएंगे।
आरक्षण बिलः पास होने पर आरक्षण 76 फीसदी हो जाएगा
साल भर से लटके आरक्षण संशोधन बिल पर अब राज्यपाल को हस्ताक्षर करना होगा, या फिर असहमत होने पर इसे राज्य सरकार को लौटाना होगा। अगर राज्यपाल इस बिल पर हस्ताक्षर करते हैं तो प्रदेश में 76 फीसदी आरक्षण लागू हो जाएगा। अभी प्रदेश में सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण अनुसूचित जनजाति को 32 अनुसूचित जाति को 12 और ओबीसी को 14 फीसदी आरक्षण लागू है। नई आरक्षण व्यवस्था लागू होने पर ओबीसी वर्ग को सबसे अधिक फायदा होने वाला है। ओबीसी का आरक्षण में करीब 13 फीसदी का इजाफा होकर नई व्यवस्था में 27 फीसदी मिलने लगेगा। अनुसूचित जनजाति यानि एसटी का आरक्षण यथावत 32 फीसद रहेगा। अनुसूचित जाति का आरक्षण 12 से एक फीसदी बढ़कर 13 फीसदी हो जाएगा। वहीं अनारक्षित वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) वर्ग को चार प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा।
कृउमं (संशोधन) बिलः फल-सब्जी और उद्यानिकी में मिलेगा फायदा
कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक 2020 तीन साल से राजभवन में अटका है। यह विधेयक पारित होने पर प्रदेश के फल-सब्जी और उद्यानिकी फसल उगाने वाले किसानों को खास तौर पर फायदा होगा। वहीं दूसरी ओर दोफसली जमीन पर दलहनी फसल उगाने वाले किसान, पशु पालन, मधुमक्खी पालन, मत्स्यपालन या वन संबंधी उत्पाद चाहे वह प्रसंस्कृत या विनिर्मित हो या न हो, को कृषि उपज में शामिल करने पर बड़ी संख्या में आदवासी और ग्रामीण आबादी को इसका फायदा होगा। राज्य सरकार राज्य में कृषि उपज के संबंध में जरूरत पड़ने पर मंडी स्थापित कर सकेगी और निजी मंडियों को डिम्ड मंडी घोषित कर सकेगी। राज्य सरकार किसानों की फसल या उत्पाद को स्थानीय मंडी के साथ-साथ राज्य की अन्य मंडियों तथा अन्य राज्यों के व्यापारियों को बेचकर बेहतर कीमत प्राप्त करने तथा आनलाईन भुगतान के लिए इलेक्ट्रानिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म की स्थापना कर सकेगी।
पत्रकारिता विश्वविद्यालय बिलः पत्रकार के नाम पर हो सकेगा
तक कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय का नाम बदलने संबंधी विधेयक 2020 से राजभवन में लटका है। विधेयक पर राज्यपाल की मुहर लगने पर यह वरिष्ठ दिवंगत पत्रकार चंदूलाल चंद्राकर के नाम पर हो सकेगा। दुर्ग के रहने वाले कांग्रेस नेता चंदूलाल चंद्राकर पांच बार लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे और केंद्र में मंत्री के तौर पर काम किया था। हालांकि, 1970 में राजनीति में प्रवेश से पहले उन्होंने कई सालों तक पत्रकारिता की थी और देश के शीर्ष अखबारों के संपादक भी रहे थे। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय का विधेयक पर राज्यपाल की मुहर लगने पर कुलपति के रिटायरमेंट की सीमा 70 वर्ष हो जाएगी।
भू-जल विधेयकः पानी के अंधाधुंध उपयोग पर लगेगा प्रतिबंध
प्रदेश में तेजी से घटते भूजल स्तर को रोकने और पानी के अंधाधुंध व्यावसायिक उपयोग पर इस विधेयक के पारित होने पर न केवल रोक लग सकेगी। बल्कि, संकटग्रस्त ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में भू-जल की सुरक्षा और नियंत्रण आदि संभव हो पाएगा। विकासखंड स्तर पर भू-जल उपयोगकर्त्ता पंजीकरण समिति गठित करने का भी प्रावधान किया गया है।विधेयक के तहत समुचित निकाय में रजिस्ट्रीकरण के बिना भू-जल निकालना अपराध होगा। इस विधेयक में बनाए गए नियमों का उल्लंघन करने पर कारावास और जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है।
भू-राजस्व संहिता बिलः जमीन मामलों के निपटारे में आएगी तेजी
छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक, 2022 के पास होने पर तहसीलदार सहित अन्य राजस्व अफसर जमीन संबंधी मामलों का निपटारा तेजी से हो सकेगा। भू-राजस्व संहिता के मूल अधिनियम की 12 धाराओं, अध्याय 7 की 48 धाराओं और अध्याय 14 की 16 धाराओं में संशोधन किया गया है। किसी प्रकरण में आपत्ति प्राप्त होने पर या तहसीलदार को प्रकरण, किसी कारण से विवादित प्रतीत होने पर, वह ऑनलाइन ई-नामांतरण पोर्टल से प्रकरण को अपने ई-राजस्व न्यायालय में स्थानांतरित कर पंजीकृत करेगा। अन्यथा प्रकरण में समस्त कार्यवाही ऑनलाइन ई-नामांतरण पोर्टल में की जाएगी।
विद्युत शुल्क विधेयकः घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली महंगी होगी
छत्तीसगढ़ विद्युत शुल्क संशोधन विधेयक 2022 के मुताबिक टैरिफ आदेश में जारी सूचना के मुताबिक ऊर्जा प्रभारों की दरों में बढ़ोतरी की गई है, जिसमें आम घरेलू उपभोक्ताओं से लेकर गैर घरेलू और उद्योगों के भी ऊर्जा प्रभार की दरें बढ़ाई गईं हैं। नए टैरिफ में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है और इस तरह 11 प्रतिशत ऊर्जा प्रभार आम उपभोक्ताओं के बिजली बिल में जुड़कर आयेगा।
सहकारी सोसाइटी अधिनियमः समितियों के चुनाव में होगा सुधार
छत्तीसगढ़ सहकारी सोसाइटी अधिनियम 2022 में सहकारी सोसाइटी अधिनियम 1960 के विभिन्न धाराओं में संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं, जिसके तहत निचले स्तर की सहकारी सोसाइटी जो उच्च स्तर की सोसाइटी से संबंध है, कम से कम तीन चौथाई सोसायटी का चुनाव पूर्ण कराए जाने के बाद ही उच्च स्तर की सहकारी सोसाइटी बोर्ड का चुनाव कराए जाने का प्रावधान प्रस्तावित किया गया है।
राज्यपाल अब विधेयकों को रोककर नहीं रख पाएंगे
कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता अजय गंगवानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से संविधान में अनुच्छेद 200 में वर्णित प्रक्रिया संबंधी प्रावधानों में किसी विधेयक से असहमत होने पर राज्यपाल उसे कितने समय तक रोक सकता है, इसका प्रावधान नहीं था। सुप्रीम कोर्ट की व्याख्या के बाद अब राज्यपाल विधेयकों को रोककर नहीं रख पाएंगे। असहमत होने पर उन्हें वे राज्य सरकार के पास वापस भेजने बाध्य होंगे। सुप्रीम कोर्टके आदेश की कापी मिलने के बाद इसकी प्रति राज्यपाल को भेंट की जाएगी।