संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में साल 1991 से बंद हुकुमचंद मिल के मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने शुक्रवार को अहम आदेश जारी किया है। करीब छह हजार मजदूर परिवारों को 32 साल बाद राहत मिली है। मजदूर यूनियन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गिरिश पटवर्धन और धीरजसिंह पंवार ने कोर्ट को बताया कि निर्वाचन आयेाग ने मजदूरों को भुगतान के लिए अनापत्ति पत्र जारी कर दिया है। इसके बाद हाई कोर्ट ने हाउसिंग बोर्ड को आदेश जारी करते हुए कहा कि तीन दिन के भीतर पूरी राशि श्रमिकों के खाते में जमा की जाए। यह जानकारी देते हुए हरनासिंह धारीवाल और नरेंद्र श्रीवंश ने बताया सरकार को 425 करोड़ रुपए जमा करने होंगे। इनमें मजदूरों के ब्याज सहित 218 करोड़ रुपए भी हैं। तीन दिन में एसबीआई में खाता खोलकर यह रुपए जमा कराने होंगे।
इसके पहले पीएस को किया था तलब
इसके पहले मजदूरों के भुगतान में देरी होने पर हाईकोर्ट ने हुकुमचंद मिल मजदूरों सहित अन्य लेनदारों के बकाया भुगतान मामले में आगामी 12 दिसंबर को हाउसिंग बोर्ड के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई को हाई कोर्ट में तलब किया। साथ ही उनके खिलाफ अवमानना का नोटिस भी जारी किया गया। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की बेंच ने बुधवार को हुई सुनवाई के बाद उक्त निर्देश दिए। इसके पहले 20 अक्टूबर को आदेश जारी कर हाई कोर्ट ने दो सप्ताह में मजदूरों सहित अन्य का बकाया भुगतान करने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए थे लेकिन बाद में 9 नवंबर को हुई सुनवाई में सरकार (हाउसिंग बोर्ड) की ओर से एक आवेदन देकर आचार संहिता के चलते चुनाव आयोग की अनुमति और बोर्ड बैठक का हवाला देते हुए कोर्ट से भुगतान के लिए 45 दिन का समय मांगा था। इससे इंकार करते हुए हाई कोर्ट ने सरकार को 28 नवंबर तक का समय देते हुए निर्देशित किया कि यदि इस अवधि तक भुगतान को लेकर वह चुनाव आयोग की अनुमति से लेकर बोर्ड बैठक और अन्य औपचारिक प्रक्रिया पूरा करने में असफल रहता है तो कोर्ट अपना 20 अक्टूबर को जारी आदेश वापस ले लेगी और सरकार/बोर्ड को कोई और अवसर नहीं देते हुए मिल की जमीन कांपनीस एक्ट के मुताबिक मिल की संपत्ति नीलाम की जाएगी।