BHOPAL. कहते हैं आलसी जब रात को सुंदर भविष्य के सपने देखते हैं, तब विजेता जागकर तैयारी कर रहा होता है। सेना भी शांतिकाल में युद्ध की तैयारी करती है। ऐसा ही कुछ किया है भारतीय जनता पार्टी ने, मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की जोरदार जीत के पीछे की कई कहानियां सामने आ रही हैं। जीत के हीरो तलाशे जा रहे हैं। ऐसी ही कहानियों के बीच हम आपको बताते हैं करीब-करीब 100 दिन की वो कहानी, जब कांग्रेस अपनी जीत को लेकर मुतमईन होकर बैठी थी और बीजेपी अपने अंदाज में एक-एक ईंट जोड़कर जीत की इबारत लिख रही थी। कैसे… चलिए चलते हैं 7 जुलाई को…
7 जुलाई 2023
भूपेंद्र यादव को MP की जिम्मेदारी
बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने अचानक घोषणा कर सबको चौंका दिया और चुनावी राज्यों के लिए चुनाव प्रभारियों की नियुक्ति कर दी। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को मध्यप्रदेश का प्रभार सौंपा गया। वो पहले बिहार और गुजरात चुनावों में पार्टी का चुनावी काम संभाल चुके थे। उनकी सहायता के लिए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव को भी मध्यप्रदेश का सह-प्रभारी बनाया गया। इसी के साथ अन्य राज्यों के लिए भी प्रभारी लगाया गया। ये सारे ही वे लोग हैं जो शीर्ष नेतृत्व के भरोसेमंद हैं।
वो सूची एक बार फिर देखिए…
- केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव - मध्य प्रदेश चुनाव प्रभारी
- केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव - मध्य प्रदेश सह-प्रभारी
- संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी - राजस्थान चुनाव प्रभारी
- गुजरात के पूर्व डिप्टी सीएम नितिन पटेल- राजस्थान सह-प्रभारी
- ओम माथुर - छत्तीसगढ़ चुनाव प्रभारी
- मनसुख मंडाविया - छत्तीसगढ़ सह-चुनाव प्रभारी
- भाजपा सांसद प्रकाश जावड़ेकर - तेलंगाना चुनाव प्रभारी
- सुनील बंसल - तेलंगाना सह-प्रभारी
इसी के साथ कुछ दिन बाद ही 15 जुलाई को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को मध्यप्रदेश में चुनाव प्रबंध समिति का संयोजक बना दिया गया।
इस फैसले का असर
बीजेपी के इस फैसले का असर ये हुआ कि पार्टी के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं में सीधा संदेश पहले ही चला गया कि यहां की हर गतिविधि पर केंद्रीय नेतृत्व की सीधी नजर है।
25 सितंबर 2023
3 केंद्रीय मंत्री समेत 7 सांसदों को विधानसभा का टिकट
बीजेपी ने एक और मास्टर कार्ड खेलकर जोर का झटका धीरे से दिया। 25 सितंबर 2023 को बीजेपी ने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी। इस सूची में पहली बार 7 दिग्गज सांसदों को विधायकी के लिए मैदान में उतार दिया। इन सांसदों में 3 मंत्री भी थे। इसके अलावा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को टिकट देकर भी पार्टी ने चौंका दिया था और ये बीजेपी का मध्यप्रदेश में दूसरा प्रयोग था। कुछ राजनीतिक जानकार इसे दबाव की राजनीति भी बताते रहे।
इन सांसदों में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, जिन्हें दिमनी से टिकट दिया गया। केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल को नरसिंहपुर से टिकट मिला। राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को निवास से उम्मीदवार बनाया गया। इसके अलावा जबलपुर के सांसद राकेश सिंह को जबलपुर पश्चिम से विधानसभा का टिकट दिया गया। सीधी की सांसद रीति पाठक को सीधी से उम्मीदवार बनाया। सतना के सांसद गणेश सिंह, होशंगाबाद के सांसद उदय प्रताप सिंह को भी बीजेपी ने उतार दिया।
इस फैसले का असर
इस प्रयोग का असर ये रहा कि सासंद अपनी सीट के अलावा अपने संसदीय क्षेत्र की सीट पर भी सक्रिय रहे। जबकि कांग्रेस इसे इस तरह से मानकर खुश होती रही कि बीजेपी की हालत खराब है। इसलिए सासंदों को मैदान में उतारा गया है। दरअसल, कांग्रेस नेतृत्व बीजेपी के इस प्रयोग को समझ ही नहीं सका।
तीसरा सबसे बड़ा कारण…
17 नवंबर 2023
वो आए और खामोशी से अपना काम करके चल दिए…
इस कारण को जानने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करिए
https://thesootr.com/Madhya-Pradesh/MP-Sangh-silent-hard-work-and-BJP-hoisted-the-flag/50404