RATLAM. रतलाम में लोगों ने मेटावर्स फॉरेन एक्सचेंज नाम की कंपनी के ऐप के जरिए क्रिप्टो करेंसी में करोड़ों रुपए निवेश किए, शुरुआत में कंपनी ने लोगों को मुनाफा भी दिलवाया, लेकिन धीरे-धीरे तो लोगों का प्रॉफिट कम होता गया और फिर उन्हें एकाएक अपने निवेश की पूरी रकम से हाथ धोना पड़ गया। कंपनी का ऐप 15 अगस्त को क्रैश हो गया था और लोगों को उनकी रकम शून्य दिखने लगी। 15 अगस्त के बाद से अब तक इस मामले में 400 शिकायतें आ चुकी हैं। ठगी की रकम अभी तक 2 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है पर माना जा रहा है कि यह रकम 30 करोड़ तक पहुंच सकती है। पीड़ितों में कई नेता और पुलिस अधिकारी भी शामिल बताए जा रहे हैं लेकिन इनमें से कोई सामने नहीं आ रहा है।
होटलों में लग्जरी लाइफ के दिखाते थे सब्जबाग
यह कंपनी निवेशकों को आकर्षित करने लग्जरी होटलों में वीआईपी ट्रीटमेंट के साथ निवेश के ट्रेनिंग देती थी। प्रशिक्षण के दौरान निवेशकों को बड़े-बड़े सब्जबाग दिखाए जाते थे। दोपहिया वाहन में आने वाला ट्रेनर लोगों को ऐसे सपने दिखाता था कि वे जल्द ही 60 लाख की कार में घूमेंगे। इन सब्जबागों और झांसों में फंसकर लोगों ने अपनी जमापूंजी ही निवेश कर डाली।
अब तक 7 हुए गिरफ्तार
रतलाम पुलिस इस मामले में अब तक 7 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है, हालांकि उसके हाथ कोई बड़ी मछली नहीं आई है। इस कंपनी का नेटवर्क देश भर में और 19 देशों तक फैला हुआ है। इन देशों की जांच एजेंसियां भी एमटीएफई पर नजर रखे हुए हैं।
ये खबर भी पढ़ें...
झांसा देकर लोगों को फंसाया
रतलाम में कंपनी का सीईओ गोविंद सिंह चंद्रावत था, जिसने कुछ ही महीने में सेमीनार में लोगों को कमीशन और मुनाफे का ऐसा मायाजाल दिखाया कि 400 से ज्यादा लोग कंपनी के जरिए क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने तैयार हो गए। उसने निवेशकों को बताया कि 4-5 माह की ट्रेडिंग में ही उसने 30 लाख से ज्यादा का प्रॉफिट उठाया है।
एआई के जरिए ट्रेडिंग का दिया हवाला
कंपनी ने इंन्वेस्टर्स को यह भी झांसा दिया कि कंपनी के ऐप में ट्रेडिंग का पूरा काम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रोबोट करता है। वह अच्छे खरीदार खोजकर लाएगा। लेकिन एआई मोड ऑन करते ही इन्वेस्टर्स की पूरी रकम जालसाजों के हाथ में आ जाती थी, वे अपने मन मुताबिक ट्रेडिंग करते थे, ग्राहकों को डमी मुनाफा दिखाया जाता था और वो करंसी को फेक ट्रोन अकाउंट में ट्रांसफर कर देते थे।
ये खबर भी पढ़ें...
अब भी मिल सकता है पैसा वापस
पुलिस कह रही है कि निवेशकों को उनकी रकम वापस मिल सकती है लेकिन इसमें काफी समय लगेगा। पुलिस अब तक पीड़ितों के टीआरसी 20 कोड के जरिए 39 लाख रुपए फ्रीज करवा चुकी है। वहीं गिरफ्तार किए गए लोगों से भी पूछताछ जारी है। पुलिस आरोपियों के जरिए मुख्य आरोपियों तक पहुंचने का भी प्रयास कर रही है।