संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में शनिवार (25 नवंबर) को प्रकाश परब के उपलक्ष्य में निकले नगर कीर्तन में एक बार फिर गुरुसिंघ सभा के प्रधान रिंकू भाटिया और फतेह पैनल के मोनू भाटिया के बीच में विवाद की स्थिति बन गई है। इस कीर्तन के दौरान मधुमिनल चौराहे पर मोनू ने एक मंच लगाकर फार्म बांटे और समाजजनों से हस्ताक्षर कराए। इसे रिंकू ने गलत बताया और अगली बार मोनू के मंच नहीं लगने की शिकायत की है। विवाद रिंकू द्वारा हाल ही में संगत की बैठक बुलाकर 11 फरवरी को गुरूसिंघ सभा चुनाव की तारीख घोषित करने के चलते हुआ है।
क्या लिखा है फार्म में
फार्म अकाल तख्त को संबोधित करते हुए लिखा गया है, जिसमें कहा गया है कि गुरुसिंघ सभा द्वारा अकाल तख्त की नाफरमानी की जा रही है और अपने स्तर पर ही चुनाव घोषित कर दिए हैं। जबकि अकाल तख्त साहिब के आदेश सर्वोपरि होते हैं। अकाल तख्त साहिब और जत्थेदार द्वारा जो फैसला लिया जाएगी उसे मान्य किया जाएगा।
वहीं मोनू ने बुलाई संगत की बैठक
इसी के साथ एक और ब्रोशर बांटा गया है, जिसमें संगत से आह्वान किया गया है। इसमें इंदौर सिख संगत की विशाल एकत्रता के बारे में बात कही गई है और सभी को चुनाव व अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए बुलाया गया है।
रिंकू भाटिया का यह है कहना
इस मामले में रिंकू भाटिया का आरोप है कि खुशियों के पर्व पर इस तरह फार्म बांटकर हस्ताक्षर कराने की गलत बात की गई है। संगत ने 11 फरवरी को चुनाव की तारीख तय की है और इसके लिए दस सदस्यीय चुनाव कमेटी बना दी है। इसमें आरएस मखीजा, बलवीर सिंह बासु, चरणजीत सिंह आहूजा, राजिंदर बाबा, त्रिलोचन बासु, रविंदर सिंह नारंग, आदि शामिल है। चुनाव हमने नहीं टाले थे, चुनाव प्रशासन द्वारा 24 सितंबर को मैच के चलते टाले गए थे। चुनाव को लेकर फैसला अकाल तख्त नहीं संगत करेगी और संगत ने ही 11 फरवरी की तारीख तय की है।
मोनू भाटिया का यह है कहना
उधर इस बारे में मोनू भाटिया का कहना है कि रिंकू ने अपने 50-60 लोग बुलाकर नई तारीख तय कर दी, जो गलत है, फैसला अकाल तख्त करेगा। उन्होंने सभा को एडहॉक कमेटी बनाने का बोला था और नाम भेजने थे लेकिन इस पर उलटा नई चुनाव तारीख तय कर दी। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए मैंने संगत को बुलाया है। रही फार्म की बात तो इसमें कोई गलत नहीं, यही लिखा है कि अकाल तख्त सर्वोपरि है और उनका फैसला मान्य होगा। डेढ़ साल से चुनाव की बात हो रही लेकिन चुनाव नहीं हो रहे हैं। पहले 13 जुलाई फिर 17 अगस्त फिर 24 सितंबर तारीख तय की गई, खुद कोर्ट चले गए और बोल रहे कि मैच के कारण चुनाव रुके। यह चुनाव तारीख तय करने वाले कोई नहीं है।