इंदौर डेली कॉलेज को तगड़ा झटका, हाईकोर्ट ने दिए याचिकाकर्ता के प्रेजेंटेशन को 60 दिन में सुनकर एजीएम पर फैसला लेने का आदेश

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Pratibha Rana
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इंदौर डेली कॉलेज को तगड़ा झटका, हाईकोर्ट ने दिए याचिकाकर्ता के प्रेजेंटेशन को 60 दिन में सुनकर एजीएम पर फैसला लेने का आदेश

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर के राजा-रजवाड़ों के स्कूल डेली कॉलेज की गोपनीयता को पहली बार तगड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने डेली कॉलेज को एजीएम की मांग संबंधी लगी याचिका पर आदेश दिया है कि वह याचिकाकर्ता की मांग पर 60 दिन के भीतर बैठक बुलाकर फैसला लें। इसके लिए डेली कॉलेज संस्था प्रेसीडेंट विक्रम सिंह पंवार को निर्देशित किया गया है कि वह सभी सदस्यों को बुलाकर एक मीटिंग करें और याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दों पर विचार कर फैसला करें।

पहले सभी से मांग की एजीएम कराएं, लेकिन टाल दिया

याचिकाकर्ता और ओल्ड डेलियंस सदस्य दीपक कासलीवाल ने डेली कॉलेज को 24 जून को पत्र भेजकर एजीएम की मांग की। फर्म्स एंड सोसायटी रजिस्ट्रार से भी मांग की थी कि डेली कॉलेज सोसासटी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है, लेकिन वह एजीएम (वार्षिक साधारण सभा) नहीं बुलाता है। इसके लिए निर्देश दिए जाएं, क्योंकि वह आपके क्षेत्राधिकार में हैं। रजिस्ट्रार ने इसके लिए पत्र असिस्टेंट रजिस्ट्रार इंदौर को भेजा, लेकिन उन्होंने कुछ भी नहीं किया। इसके बाद कासलीवाल हाईकोर्ट चले गए। यहां सभी को पार्टी बनाया। इसके बाद यह आदेश हाईकोर्ट ने जारी किया है।

इस आधार पर हो रही एजीएम की मांग

डेली कॉलेज बोर्ड का गठन पांच अलग-अलग कैटेगरी से आए दस सदस्यों से मिलकर होता है। प्रिंसिपल पदेन सदस्य होते हैं। इसमें ओल्ड डोनर कैटेगरी (जो पुराने राजा-महाराज थे, जिन्होंने स्कूल को बनवाने में दान दिया था) इससे दो सदस्य, दो सदस्य न्यू डोनर कैटेगरी (जो अभी स्कूल के लिए दान देते हैं), दो सदस्य ओल्ड डेलियंस एसोसिएशन (जो स्कूल से पासआउट छात्र है) और दो सदस्य मप्र शासन की तरफ से नामित होते हैं। यह आठ सदस्य मिलकर दो पेरेंट कैटेगरी से सदस्य चुनते हैं। इस तरह कुल सदस्य होते हैं। कासलीवाल की मांग है कि डेली कॉलेज सोसायटी है और इसमें यह सभी कैटेगरी के बोर्ड मेंबर है, लेकिन एजीएम नहीं होने से से इन सभी कैटेगरी के सदस्यों को भागीदारी का मौका नहीं मिल रहा है। डेली कॉलेज केवल बोर्ड मेंबर की मीटिंग कर इसे ही एजीएम बता देता है, जबकि सोसायटी के हर सदस्य यानि हर ओल्ड डेलिंयस सदस्य, न्यू डोनर कैटेगरी सदस्य, ओल्ड डोनर कैटेगरी सदस्य को साल में एक बार मीटिंग में शामिल होने का अधिकार है, जिसमें डेली कॉलेज से जुड़े वित्तीय और अन्य बड़े मामलों के फैसले पर मुहर लगे। लेकिन डेली कॉलेज यह नहीं करता है। इससे वह सोसायटी एक्ट के नियम का लगातार उल्लंघन कर रहा है।

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डेली कॉलेज बोर्ड के सदस्य और इन्हें बनाया गया था पार्टी

इस याचिका में रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसासटी, असिस्टेंट रजिस्ट्रार इंदौर, डेली कॉलेज सोसायटी थ्रू द प्रेसीडेंट डेली कॉलेज के साथ बोर्ड सदस्यों को पार्टी बनाया गया था। इसमें प्रेसीडेंट विक्रम सिंह पंवार, वाइस प्रेसीडेंट राजवर्धन सिंह नरसिंहगढ़, प्रिंसीपल गुणमीत कौर बिंद्रा, सदस्य नरेंद्र सिंह झाबुआ, प्रियवत सिंह, हरपाल उर्फ मोनू भाटिया, धीरज लुल्ला, संदीप पारिख, सुमित चंडोक, संजय पाहवा शामिल है। साथ ही ओल्ड डेलियंस एसोसिएशन के अध्यक्ष को भी पार्टी बनाया गया है।

17 करोड़ के घपले के आरोप के बाद मामला हो गया विवादित

डेली कॉलेज की गोपनीयता के चलते सोसायटी के किसी भी सदस्य को पता नहीं चलता है कि आखिर बोर्ड किस तरह मनमाने फैसले ले रहा है। हाल ही में द सूत्र ने खुलासा किया था कि एक सदस्य संदीप पारिख ने स्कूल के खर्चे 530 करोड़ से एक ही साल में 70 करोड़ हो जाने पर आपत्ति ली है। इन खर्चों के हिसाब से इसमें धांधली की आशंका बढ़ गई है और कई सदस्यों ने इसे लेकर एजीएम बुलाने की मांग की है। साथ ही कहा कि सभी खर्चों और बैलेंस शीट का हिसाब पारदर्शिता के साथ बोर्ड को एजीएम बुलाकार देना चाहिए। पता ही नहीं चलता कि बोर्ड इतने बड़े वित्त का कर क्या रहा है? इसी दौरान अब यह हाईकोर्ट के फैसले के बाद डेली कॉलेज की मुश्किलें बढ़ गई है।

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