इंदौर के मित्र महापौर निगमायुक्त से फिर परेशान, एमआईसी में बैठक में नहीं पहुंचीं हर्षिका सिंह, बैठक को बताया अवैध

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BP Shrivastava
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इंदौर के मित्र महापौर निगमायुक्त से फिर परेशान, एमआईसी में बैठक में नहीं पहुंचीं हर्षिका सिंह, बैठक को बताया अवैध

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में मित्र के नाम से पहचान रखने वाले महापौर पुष्यमित्र भार्गव के लिए अधिकारी ही शत्रु की भूमिका में नजर आ रहे हैं। पूर्व निगमायुक्त प्रतिभा पाल से उनकी खींचतान छिपी नहीं थी और करीब छह माह से इंदौर निगमायुक्त का पद संभाल रही हर्षिका सिंह के साथ भी तालमेल नहीं बैठ रहा है। हद तो यह हो गई है कि जिस मेयर इन काउंसिल की बैठक में शुक्रवार, 22 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी को धन्यवाद प्रस्ताव पास हुआ और निगम के पत्रचार में भारत की जगह इंडिया शब्द के उपयोग को मंजूरी दी गई। वह बैठक ही अवैध बताई जा रही है। इस बैठक में न निगमायुक्त पहुंची थी और ना ही बाकी के अधिकारी। अधिकारियों के नाम पर केवल दो अधिकारी ही बैठक में गए थे। अब इस बैठक को ही विधिवत नहीं होने की बात कहते हुए इसे अवैध बताया जा रहा है और इसमें पास प्रस्ताव भी अमान्य कहे जा रहे हैं।

महापौर बोल रहे निगमायुक्त का नहीं आना बॉयकाट जैसा

निगम मुख्यालय में शुक्रवार को हुई बैठक में परिषद विभाग के दो ही अफसर मौजूद थे। महापौर का कहना है कि बैठक को लेकर सूचना दी गई थी। बावजूद इसके निगमायुक्त का न आना बैठक का बायकाट करने जैसा है। दूसरी तरफ निगमायुक्त ने मीडिया से कहा कि बैठक बुलाने से पहले एजेंडा जारी कर पूर जानकारी देना होती है। ऐसा कुछ नहीं हुआ और हर समय एमआईसी नहीं हो सकती है। इसलिए बिना निगमायुक्त के पास हुए प्रस्ताव मान्य नहीं है।

एमआईसी में यह हुए थे मौजूद

बैठक में महापौर भार्गव और एमआईसी मेंबर राजेन्द्र राठौर, निरंजन चौहान, अश्विनी शुक्ल, नंदकिशोर पहाडिया, राजेश उदावत, जीतू यादव, प्रिया डांगी, मनीष शर्मा, अपर आयुक्त अभय राजनगांवकर, सचिव राजेंद्र गरौठिया व अन्य उपस्थित थे। इसके अलावा कोई भी बैठक में नहीं पहुंचा था। बैठक में नारी शक्ति वंदन बिल पास होने पर पीएम मोदी के नाम धन्यवाद प्रस्ताव पास हुआ। साथ ही निगम के पत्राचारों में इंडिया की जगह भारत शब्द के उपयोग का प्रस्ताव पास किया गया।

निगमायुक्त ने बैठक का किया बायकाट, यह ठीक नहीं : पुष्यमित्र

एमआईसी की बैठक में निगमायुक्त के न आने पर महापौर भार्गव ने कहा कि नियम अनुसार महापौर के एमआईसी की बैठक बुलाने पर आयुक्त को आना होता है। न आने पर सूचना देना होती है। एमआईसी में रखे जाने वाले प्रस्तावों और बैठक को लेकर संबंधित परिषद विभाग के अफसरों को बता दिया गया था। इसके बाद भी निगमायुक्त का बैठक में न आना बॉयकाट जैसा है। बैठक में उन सहित अन्य अफसरों की बैठक में न आना चुनी हुई परिषद और जनता का अपमान है।

परंपरा का पालन नहीं हुआ, आधिकारिक एमआईसी नहीं थी: निगमायुक्त

निगमायुक्त हर्षिका सिंह ने मीडिया से कहा कि कल (22 सितंबर) हुई एमआईसी की बैठक आधिकारिक नहीं थी। कोई एजेंडा भी नहीं था। महापौर जी ने एमआईसी मेंबरों के साथ जनरल चर्चा रखी थी। एमआईसी की बैठक बुलाने का तरीका होता है। नियमानुसार बैठक के एक दिन पहले एजेंडा जारी करने के साथ सूचना जारी करना होती है। ऐसा कल के लिए कुछ नहीं हुआ। बैठक का बॉयकाट करने जैसी कोई बात नहीं है, लेकिन एमआईसी की वेल्यू होती हैं। कल की बैठक में जो प्रस्ताव रखकर पारित किए गए, उनको लेकर एजेंडा जारी नहीं हुआ और न ही बैठक की सूचना किसी को दी गई। कल की बैठक में जो दो प्रस्ताव पारित किए गए हैं, वह बैठक में कमिश्नर के मौजूद न रहने पर मान्य नहीं होंगे।

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