JAIPUR. राजस्थान में राजनीतिक दलों और नेताओं की लड़ाई में केंद्र और राजस्थान सरकार की जांच एजेंसियां हथियार बनती नजर आ रही है। केंद्रीय एजेंसियों ने एक तरफ जहां प्रश्न पत्र पेपर लीक और अन्य मामलों में छापे मारने की कार्रवाई चला रखी है वही राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप यानी एसओजी संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी मामले में जांच को आगे बढ़ा दिया है।
संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी मामला
राजस्थान पुलिस की एसओजी ने 10 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाला मामले में नोटिस जारी किया था तो ठीक 3 दिन बाद यानी 13 अक्टूबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी नेता माने जाने वाले दिनेश खोड़निया पर ईडी की कारवाई हो गई।
हालांकि, संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी मामले में एसओजी की जांच पहले से चल रही है, लेकिन इस मामले में कार्रवाई को आगे बढ़ते हुए इस बार सीधे केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को नोटिस भेजा गया है। शेखावत ने इसे राजनीतिक बदले की कारवाई बताते हुए कहा कि जोधपुर में मेरे घर पर एक नोटिस भेजा गया है, जिसमें मेरे बैंक खातों, वित्तीय लेन-देन का विवरण मांगा गया है। उन्होने कहा कि ये पहली बार है कि उन्हें नोटिस भेजा गया है। इससे पहले उन्हें न तो किसी जांच के लिए बुलाया गया था और न ही उन्हें कोई नोटिस दिया गया था। उनके साथ ये सियासी प्रतिशोध के तहत किया जा रहा है और अगर उनकी कोई छोटी सी भी गलती होती तो सीएम मौका नहीं चूकते।
शेखावत को मिली राहत को छीनना चाहती है
हालांकि, शेखावत इस मामले में हाईकोर्ट से गिरफ्तारी की रोक की राहत पा चुके हैं, लेकिन अब 30 अक्टूबर को मामले की जोधपुर हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। उससे पहले ही एसओजी ने नोटिस देकर शेखावत से बैंक खातों की जानकारी और ट्रांजेक्शन डिटेल मांग ली है। ऐसा माना जा रहा है कि एसओजी इस बार सुनवाई पर कोर्ट में कुछ तथ्य रखकर शेखावत को मिली राहत को छीनना चाहती है।
एसओजी ने 2019 में मुकदमा दर्ज किया था
इस मामले में शेखावत के अलावा सोसायटी संचालक मंडल में शामिल विनोद कंवर, ऊषा कंवर, खेम कंवर, डूंगर सिंह, नारायण सिंह, चामुंड सिंह और जनक सिंह को भी नोटिस दिया है। इस नोटिस में सभी से उनके बैंक खाते व लेन-देन की जानकारी मांगी गई है। संजीवनी मामले में एसओजी ने 2019 में मुकदमा दर्ज किया था, जिसमें शेखावत का नाम नहीं था। वहीं, एफआईआर के आधार पर संजीवनी के कर्ताधर्ता विक्रम सिंह और अन्य की गिरफ्तारियां हुई थी। उसके बाद लगातार कार्रवाई होती रही।