RAIPUR. इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले में जांच चल रही है। इस दौरान रोज नई परतें खुल रही हैं। इसके साथ ही कोर्ट में भी मामला चल रहा है। इस बीच कोर्ट ने 17 साल बाद पुलिस को इसकी आगे की जांच का आदेश दिया। दरअसल, पुलिस से कोर्ट ने पूछा है कि नार्को और ब्रेन मैपिंग टेस्ट के आधार पर आगे जांच के दौरान नए आरोपियों पर कार्रवाई या गिरफ्तारी करेगी? साथ ही पुराने आरोपियों पर ही जांच करेगी? इस पर सात अक्टूबर को पुलिस अपना जवाब पेश करेगी। क्योंकि, घोटाले के मुख्य आरोपी और तत्कालीन बैंक मैनेजर उमेश सिन्हा ने नार्को टेस्ट में कई चौंकाने वाले नामों का खुलासा किया है।
घोटाले का 40 करोड़ रुपए 29 कंपनियों में निवेश
जानकारी के अनुसार नार्को टेस्ट के दौरान उसने कई आरोपियों तक घोटाले का पैसा पहुंचाना कबूल किया है। इसी को आधार बनाकर कोतवाली पुलिस ने कोर्ट पर अर्जी दी थी कि वे आगे जांच करना चाहते हैं। गौरतलब है कि आरोपी नीरज जैन ने घोटाले का 40 करोड़ रुपए 29 कंपनियों में निवेश किया है। उन कंपनियों का शेयर खरीदकर मुनाफा कमाया। फिर उन शेयर को बेच दिया। पुलिस अब उन कंपनियों से पैसा वापसी करवा रही है, जिन्होंने नीरज से शेयर खरीदा है। अब तक आधा दर्जन कंपनियों से लगभग 2.50 करोड़ वापस कराए जा चुके हैं।
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कोर्ट के निर्देश पर चल रही जांच
उप महाधिवक्ता संदीप दुबे ने बताया कि इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले की सुनवाई न्यायाधीश भूपेश बसंत की कोर्ट में चल रही है। शनिवार को दो आरोपियों ने अर्जी लगाई थी, जिस पर जवाब दिया गया कि कोर्ट के निर्देश पर जांच चल रही है। पीड़ितों का डूबा पैसा वापसी का प्रयास किया जा रहा है। इसके बाद कोर्ट ने भी पुलिस से आगे की कार्रवाई को लेकर जवाब मांगा है। सहकारिता विभाग के विशेष सचिव हिमशिखर गुप्ता ने बताया कि डीआईसीजीसी एक्ट के अनुसार पीड़ितों को पैसा लौटाया जाएगा। अभी कंपनियों से बैंक खाते में पैसा जमा कराया जा रहा है। पूरा पैसा वापसी का प्रयास किया जा रहा हैं। उसके बाद ही पैसा बांटा जाएगा।