BHOPAL. दिग्विजय सिंह सोशल मीडिया पर फर्जी पोस्ट मामले में फंसते नजर आ रहे हैं। आरोप लग रहा है कि यह झूठ उनका राजनीतिक एजेंडा है, लेकिन फेक न्यूज फैलाने के मामले में यहां दिग्विजय अकेले नहीं हैं। झूठी खबरें, गलत तथ्य, गलत सूचनाएं और अफवाहें फैलाना आज की बात नहीं है। मानवता की शुरुआत से ही यह होता आ रहा है। आज लाखों की संख्या में लोग रोजाना झूठी बातें फैला रहे हैं, लेकिन अब इसका दायरा जंगल में आग की तरह फैल रहा है। वजह है सोशल मीडिया। सवाल है कि क्या झूठ के सहारे लोगों तक पहुंच बनाई जा सकती है। साथ ही यह भी कि फेक न्यूज फैलाने वाले लोगों का मनोविज्ञान क्या होता है। 'द सूत्र' ने इसी बात की पड़ताल की।
लोगों को लुभाने के लिए झूठ भी फैलाए जाते हैं
दरअसल झूठ का अपना मनोविज्ञान होता है। अलग-अलग स्टडीज से पता चलता है कि लोग जानबूझकर झूठे तथ्य क्यों बनाते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि इस झूठ की वजह राजनीतिक एजेंडा और सांप्रदायिक नफरत फैलाने से लेकर घोटाले तक होता हैं। यहां तक कि लोगों को लुभाने के लिए सुंदर किस्म के झूठ भी फैलाए जाते हैं।
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संकट के दौरान दुष्प्रचार
अध्ययनों से पता चलता है कि संकट के दौरान जानबूझकर दुष्प्रचार करना ज्यादा आम है। ऐसे लोग अपने मकसद को पूरा करने के लिए लोगों को गुमराह करने के मौके लगातार तलाशते रहते हैं। मनोचिकित्सकों के अनुसार फर्जी खबरें फैलाने वाले लोग चर्चा में बने रहने के लिए इसका सहारा लेते हैं साथ ही वे अपने समर्थकों में भी पैठ बनाए रखना चाहते हैं। वहीं सोशल मीडिया यूजर भी गलती करते हैं। कुछ यूजर अनजाने में गलत सूचना शेयर कर देते हैं, जबकि अन्य यूजर किसी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इसे साझा करते हैं। भारत में डिजिटल साक्षरता बहुत कम है। यही वजह है कि यहां फेक न्यूज फैक्टरी का धंधा खूब जमता है। इसी डिजिटल निरक्षरता के चलते आम लोगों को पता नहीं चलता कि क्या फेक है, क्या फेक नहीं।
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यह सब जानते हैं फर्जी खबरें फैलाने वाले
स्टडीज से पता चला है कि सही खबरों की तुलना में फर्जी खबरें कहीं ज्यादा तेजी से फैलती हैं। फर्जी खबरें फैलाने वाले इस तथ्य को जानते हैं। वे यह भी जानते हैं कि मनुष्य की याददाश्त कमजोर होती है। यही वजह है कि वह उसके पास पुरानी सही जानकारी होने के बाद भी नई सूचना को उसकी असत्यता के बावजूद याद रखता है।
फर्जी खबरें खतरनाक क्यों
फर्जी खबरें खतरनाक होती हैं क्योंकि सुंदर किस्म की फेक न्यूज झूठी आशा फैला सकती है, वहीं नकारात्मक फेक न्यूज नफरत भड़का सकती हैं और हिंसा फैला सकती हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार 2021 देश में फर्जी खबरों के 882 मामले दर्ज किए। फर्जी खबरों और अफवाहों के इन 882 मामलों में कई पीड़ित सामने आए।