इंदौर की केवल महू सीट से चुनाव लड़ेगी जयस, यहां सवा लाख आदिवासी वोट, बीजेपी और कांग्रेस दोनों उलझे

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इंदौर की केवल महू सीट से चुनाव लड़ेगी जयस, यहां सवा लाख आदिवासी वोट, बीजेपी और कांग्रेस दोनों उलझे

संजय गुप्ता, INDORE.  बीजेपी और कांग्रेस की राजनीतिक लड़ाई के बीच आदिवासी सीटों के लिए जयस भी अपनी ताल ठोक रही है। जयस ने इंदौर जिले की महू सीट पर प्रत्याशी उतारने का फैसला कर लिया है और इसके लिए जयस की जिला कमेटी ने पांच प्रत्याशियों का पैनल बना लिया है। जिलाध्यक्ष मीडिया प्रभारी रामकृष्ण सेलिया ने बताया कि सप्ताह भर में महू सीट का प्रत्याशी घोषित हो जाएगा। इस सीट पर ढाई लाख से ज्यादा मतदाता है, जिसमें से सवा लाख मतदाता आदिवासी है। यही बीजेपी और कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चिंता बन रहा है।

महू सीट के लिए मिलन समारोह में पहुंचे 80 पंचायतों के लोग-

जयस ने महू सीट को लेकर क्रांति सूर्य जननायक टंट्या भील की कर्म स्थली पातालपानी इंदौर में मिलन समारोह रखा गया। इसमें महू की 170 पंचायतों में से 80 से ज्यादा पंचायतों से कार्यकर्तां पहुंचे। इसमें मुख्य मुद्दा था महू विधानसभा से चुनाव लड़ना। बैठक में कहा गया कि यहां आदिवासी वोट 1 लाख 45 हजार है। सालों से यहां पर बीजेपी और कांग्रेस राज करती आई है लेकिन मिलन समारोह में यह तय किया गया कि आगामी विधानसभा चुनाव में महू विधानसभा में जयस निर्दलीय प्रत्याशी उतारेगा। समारोह में मुख्य अतिथि जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकेश मुजाल्दा, इंदौर जिला अध्यक्ष पवन डावर, जयस मध्य प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष भीम सिंह गिरवाल और महू विधानसभा जयस परिवार के सभी पदाधिकारी गण शामिल हुए।

डॉ आनंद नहीं लड़ेंगे महू से जयस की ओर से

उधर बीआरएस से जुड़ने के बाद डॉ. आनंद राय ने जयस की ओर से महू सीट से नहीं लड़ने का फैसला लिया है। द सूत्र से चर्चा में उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने मुझसे बात की थी लेकिन बाद में सर्वे की बात कहने लगे कि सर्वे के आधार पर टिकट तय करेंगे, जबकि आदिवासी समाज मुझे चुनाव में उतारना चाहता था। इसके बाद मैंने महू से नहीं लड़ने का फैसला किया।

बीजेपी नहीं महू सीट संघ की-

बीजेपी साल 2008 से यह सीट जीत रही है, साल 2008 और 2013 में बीजेपी के कैलाश विजयवर्गीय यहां से चुनाव जीते तो साल 2018 में यहां से ऊषा ठाकुर जीती। मूल रूप से यह सीट संघ की मानी जाती है, साल 2018 में भी संघ की दखल से ही ठाकुर को टिकट ऐनवक्त पर मिला और वह यहां गई और जीती भी। संघ की ओर से बात करें तो यहां लोकेश शर्मा दावेदार हैं जो नगर महामंत्री भी हैं, दूसरे दावेदार में डॉ निशांत खरे तो एक अन्य दावेदार हिंदू जागरण मंच के राधेश्याम यादव का है, वहीं पार्टी की बात करें तो उषा ठाकुर के साथ, दिनेश कंचन सिंह चौहान भी दावेदार है।

कांग्रेस के लिए तो अभी प्रत्याशी खोजो अभियान ही चल रहा-

उधर कांग्रेस के लिए यहां सबसे बड़ी चुनौती तो फिलहाल प्रत्याशी खोजना ही है। कांग्रेस के अंतरसिंह दरबार लगातार तीन चुनाव हार चुके हैं। हालांकि, वह अभी भी दावेदार है लेकिन अब दूसरी दावेदारी कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सदाशिव यादव की है, साथ ही सचिव मप्र कांग्रेस कमेटी पुनीत शर्मा की यहां से दावेदारी है। दरबार और यादव के बीच में बिल्कुल नहीं पटती है। ऐसे में कांग्रेस के लिए महू सीट में अभी प्रत्याशी तय करना ही सबसे बड़ी उलझन है।

तीन निर्दलीय लड़े लेकिन उन्हें नोटा से भी कम वोट मिले-

महू सीट पर बीते 2018 चुनाव की बात करें तो तब यहां मतदाता 2.45 लाख थे और इसमें से 1.94 लाख वोट डले थे। जिसमें बीजेपी के खाते में 96 हजार 418 तो कांग्रेस के पास 89 हजार 204 वोट आए थे। ठाकुर 7 हजार 157 वोट से जीती थी। तीसरे नंबर पर यहां नोटा था उसे 2 हजार 67 वोट थे, तीन निर्दलीय मैदान में उतरे और उन्हें कुल मिलाकर 1 हजार 600 वोट भी नहीं आए। आप को मात्र 216 वोट ही मिले, वहीं नोटा के बाद बीएसपी चौथे नंबर पर रही और 1 हजार 409 वोट मिले थे।

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