गंगेश द्विवेदी, RAIPUR. बीजेपी के लिए हमेशा से अबूझ पहेली रही बिलासपुर जिले की कोटा सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प हो गया है। लगातार कांग्रेस के इस गढ़ में पिछले तीन बार से जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) यानी जेसीसीजे की राष्ट्रीय अध्यक्ष रेणू जोगी जीतती आ रही हैं। दो बार कांग्रेस की टिकट से और 2018 के चुनाव में जेसीसीजे की टिकट पर उन्होंने यहां से जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार हालात बहुत बदले हुए हैं।
कोटा सीट पर 18 प्रत्याशी
2018 में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और छत्तीसगढ़ प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी का बड़ा प्रभाव था, लेकिन उनकी मौत के बाद पार्टी पूरी तरह से बिखर गई। बदले हुए हालात में बीजेपी ने जशपुर राज परिवार से प्रबल प्रताप सिंह जूदेव को मैदान में उतारा है तो वहीं कांग्रेस से बिलासपुर के जिला अध्यक्ष रह चुके अटल श्रीवास्तव को टिकट दी गई है। वैसे तो यहां से आप, हमरराज पार्टी, जीजीपी सहित 18 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं, लेकिन प्रमुख मुकाबला तीन पार्टियों के बीच ही माना जा रहा है।
कोटा में 14 बार चुनाव, 13 बार कांग्रेस की जीत
मध्य प्रदेश की सीमा से लगी हुई कोटा विधानसभा में बीजेपी को अब तक जीत नहीं मिल पाई है। 1952 से लेकर कोटा विधानसभा सीट पर अब तक 14 बार विधानसभा चुनाव हो चुका है। काशीराम तिवारी यहां पहले विधायक चुने गए थे, जबकि उनके बाद मथुरा प्रसाद दुबे चार बार और राजेंद्र शुक्ला पांच बार विधायक निर्वाचित हुए हैं। कांग्रेसी के धाकड़ नेता राजेंद्र शुक्ला के निधन के बाद 2006 में हुए उपचुनाव में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी कांग्रेस पार्टी से चुनाव जीतीं थी और तब से लगातार 2018 को छोड़कर कांग्रेस पार्टी ही यहां जीतती आई है। यहां 2018 में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस पार्टी से रेणु जोगी विधायक बनीं थीं।
क्या रेणू जोगी बचा पाएंगी अपना किला ?
कोटा विधानसभा सीट के लिए हुए 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से जेसीसीजे में आईं रेणु अजीत जोगी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के प्रत्याशी काशीराम साहू को 3,032 मतों से शिकस्त दी थी। रेणु जोगी ने 2013 के चुनाव में भी यहां से जीत हासिल की थी, लेकिन तब वह कांग्रेस में थीं। 2018 के विधानसभा चुनाव में कोटा सीट पर 74.94 प्रतिशत मतदान हुआ था। मुख्य मुकाबला बीजेपी के काशी राम साहू और जेसीसीजे की रेणु अजीत जोगी के बीच था। वर्षों से कोटा में जीत हासिल करने वाली कांग्रेस पार्टी खिसक कर तीसरे स्थान पर आ गई थी। जेसीसीजे की रेणु अजीत जोगी ने चुनाव में 48,800 वोट हासिल किए, वहीं बीजेपी के काशी राम साहू को इससे 3000 कम सिर्फ 45,774 वोट मिले थे।
यहां बता दें कि साल 2013 के चुनाव में भी इन्हीं दोनों उम्मीदवारों में मुकाबला हुआ था, जिसमें भी रेणु जोगी विजेता रही थीं। इस बार के चुनाव की बात करें तो तीन बार की विधायक डॉ. रेणू जोगी के लिए अपना किला बचा पाना खासा कठिन हो गया है।खुद के स्वास्थ्यगत कारणों और दिवंगत नेता अजीत जोगी की लगातार बीमारी से जूझने के कारण वे पिछले पांच सालों से कोटा में सक्रिय नहीं रह पाई हैं। हालांकि अजीत जोगी के कट्टर समर्थकों की संख्या यहां अच्छी खासी है जिससे मुकाबला बेहद दिलचस्प और कांटे की टक्कर वाला होता नजर आ रहा है।
क्या अटल श्रीवास्तव करा पाएंगे कांग्रेस की वापसी ?
कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री रह चुके अटल 2014 से बिलासपुर जिले की सभी सीटों पर सक्रिय रहे हैं। 2014 में बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन, नसबंदी कांड के जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन से उभरकर सामने आए। इसके बाद उन्हें प्रदेश महामंत्री बनाया गया। 2017 में जनसभा पंचायत, 2014 व 2018 में राहुल गांधी के बिलासपुर के कार्यक्रमों के साथ ही अरपा बचाओ आंदोलन के समन्वयक अटल ने 19 सितंबर 2018 को तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री के विरोध पर पुलिस की लाठियां भी खाई और पूरे क्षेत्र में हीरो बनकर उभरे। पिछली बार उन्होंने बिलासपुर से अपनी दावेदारी की थी, लेकिन उन्हें मैदान में न उतारकर बाद में पर्यटन मंडल के अध्यक्ष पद देकर नवाजा गया। कोटा विधानसभा क्षेत्र में भी वे सर्व स्वीकार्य नेता है बूथ लेवल तक उनकी पकड़ मानी जाती है। कोटा, रतनपुर, बेलगहना, पेंड्रा, गौरेला करगी कला क्षेत्र शामिल है, जो पिछड़ा वर्ग बाहुल्य है। साथ ही यहां आदिवासी मतदाताओं की भी भूमिका निर्णायक रहती है। रतनपुर का झुकाव बीजेपी की ओर रहा है तो शेष में कांग्रेस को बढ़त मिलती रही है। ऐसे में अटल श्रीवास्तव के आने से कांग्रेस अपनी परंपरागत सीट रेणू जोगी से वापस छीनने के लिए तैयार दिख रही है।
क्या इस बार खिल सकता है कमल ?
आजादी के बाद जब से कोटा विधानसभा अस्तित्व में आया तब से यहां कांग्रेस पार्टी का ही कब्जा रहा। इस रिकॉर्ड को पहली बार पिछले विधानसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी से निकलीं रेणु जोगी ने तोड़ दिया और कोटा विधानसभा पहली बार किसी अन्य दल के कब्जे में आया, लेकिन कोटा के इतिहास में अब तक कमल नहीं खिल पाया है। इस बार बीजेपी ने 3000 से कुछ अधिक वोटों का अंतर खत्म कर इस सीट से पहली बार जीत हासिल करने की रणनीति तैयार की है। बीजेपी ने इस बार जशपुर राजपरिवार से प्रबल प्रताप सिंह जूदेव को मैदान में उतारकर यहां पहली बार कमल खिलाने की तैयारी की है। वर्तमान विधायक रेणू जोगी काफी दिनों से अस्वस्थ चल रही हैं। इस वजह से इस बार उतनी सक्रिय नहीं दिखाई दे रही हैं। जोगी काग्रेस को पड़ने वाला वोट मूलत: कांग्रेस का ही वोट माना जाता है। क्योंकि कांग्रेस से टूटकर ही यह पार्टी 2018 मे अलग होकर चुनाव लड़ी थी। इसका फायदा बीजेपी को मिला था और महत 3 हजार से कुछ अधिक मतों से बीजेपी यहां पीछे रह गई थी। वहीं कांग्रेस खिसककर तीसरे नंबर पर आ गई थी। यही वजह है कि बीजेपी ने अपने पिछले दो बार से हार रहे बीजेपी ने अपना प्रत्याशी काशीराम साहू को बदलकर जशपुर राजपरिवार से उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। जशपुर राजपरिवार के दिवंगत नेता दिलीप सिंह जूदेव की आदिवासी समाज में अच्छी पकड़ थी। क्रिश्चियन धर्म अपनाने वाले आदिवासियों की घर वापसी कराने वाले इस नेता ने आदिवासियों के मन में जगह बनाई थी। प्रबल प्रताप सिंह जूदेव के आने से आदिवासी समाज के वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता है। वहीं वे हिंदुत्व का भी चेहरा हैं तो पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग का वोट भी काफी संख्या में मिलने की संभावना बढ़ गई है।
कोटा विधानसभा से 18 उम्मीदवार
- काग्रेस - अटल श्रीवास्तव
- भाजपा- प्रबल प्रताप सिंह जूदेव
- जेसीसीजे- डॉ रेणू जोगी
- आम आदमी पार्टी - पंकज जेम्स
- गोंडवाना गणतंत्र पार्टी- नंद किशोर राज,
- राष्ट्रीय गोंडवाना पार्टी - लक्ष्मी नारायण पोर्ते
- भारतीय शक्ति चेतना पार्टी - मुकेश कुमार कौशिक,
- अखिल भारतीय सर्वधर्म समाज पार्टी - नेतराम साहू,
- नेशनल यूथ पार्टी - उस्मान खान,
- हमर राज पार्टी - ललिता पैकरा
- निर्दलीय : रमेश यादव, प्यारेलाल पोर्ते, मनोज कुमार खांडे, राजेंद्र साहू, जावेद खान, मनोज कुमार बिरको, चेतन मानिकपुरी, तरुण कुमार साहू