संजय गुप्ता@ INDORE
इंदौर में अपने पूरे परिवार को जमीन घोटालों में उलझाने वाले चर्चित भूमाफिया चंपू अजमेरा अब अपने बेटे आर्जव अजमेरा की गिरफ्तारी रुकवाने की कोशिशों में लगा हुआ है। उसके बेटे पर बाणगंगा थाने में 24 जून को कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी के आदेश पर 15 करोड़ की जमीन की धोखाधड़ी का केस दर्ज है। चंपू अपनी पत्नी के साथ दो दिन पहले डीसीपी पंकज पाण्डेय के पास सफाई देने के लिए पहुंचा और कहा कि मेरा बेटा निर्दोष है और इसका कोई लेना-देना नहीं है। चंपू ने वहां कुछ जमीन संबंधी दस्तावेज और आवेदन भी डीसीपी को दिया। इस पर डीसीपी ने दो टूक कह दिया कि आपका यह आवेदन जांच अधिकारी को दिया जाएगा और वह पूरी जांच करेंगे, जो जांच में आएगा उसी अनुसार पुलिस आगे बढ़ेगी। इसके बाद डीसीपी ने उन्हें रवाना कर दिया।
हाईकोर्ट में याचिका भी लगाई थी जो खारिज हो चुकी
कलेक्टर के निर्देश पर जब थाने में एफआईआर हुई तो बेटे को गिरफ्तारी से बचाने के लिए चंपू ने हाईकोर्ट में 482 की याचिका दायर कर इस एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। लेकिन हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद उसकी याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि केस दर्ज है और पुलिस जांच कर रही है तो इसमें हस्तक्षेप की जरूरत ही नहीं है, पुलिस जांच जारी रखे।
आर्जव पर लटक रही है गिरफ्तारी की तलवार-
आर्जव एफआईआर होने के बाद से ही सार्वजनिक स्थलों पर दिखना बंद हो चुका है, बताया जाता है कि उसे इंदौर से बाहर रखा जा रहा है। उस पर 420 के साथ ही बाद में कलेक्टर के आदेश पर अन्य धाराएं भी बढ़ाई गई थी जिसमें गिरफ्तारी होना है। आर्जव पर लगातार गिरप्तारी की तलवार लटक रही है और इसी से बचने के लिए चंपू लगातार पुलिस में कानूनी दाव-पेंच करने में लगा है कि कैसे भी गिरफ्तारी रोकी जा सके।
पूरा अजमेरा परिवार ही है आरोपी
चंपू केवल इकलौता जमीन घोटाले में आरोपी नहीं है। जमीन के अलग-अलग केस में उसका भाई नीलेश, नीलेश की पत्नी सोनाली. चंपू की पत्नी योगिता. चंपू के पिता पवन अजमेरा और अब बेटा आर्जव भी आरोपी बन चुका है। नीलेश तो कभी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया और वह भगोड़ा घोषित है।
यह है आर्जव का मामला
पीड़ितों को प्लाट नहीं देने की चल रही जांच के दौरान प्रशासन की जांच में सामने आया था कि ग्राम भांगिया में टाउंन एंड कंट्री प्लानिंग से वर्ष 2010 में नक्शा पास हो चुका है। यहां की कालिंदी गोल्ड सिटी कॉलोनी के सर्वे नंबर 25/2 की पुलक बिल्डकॉन को जमीन बेचने की जांच की गई। पता चला कि वर्ष 2021 के विक्रय पत्र में नारायण ने पुलक बिल्डकॉन तर्फे भागीदार अनोखीलाल पाटीदार को 0.823 हेक्टेयर कृषि भूमि बेची। अनोखीलाल और आर्जव ने पुलक बिल्डकॉन फर्म का साल 2020 में गठन किया था। एक साल बाद आर्जव ने 16 मार्च 2021 को रिटायरमेंट ले लिया और पुनीत जैन व प्रसाद कानसे नए पार्टनर बने। वहीं इस जमीन को 31 मार्च 2021 को बेच दिया गया। साल 2022 में अनोखीलाल ने भी रिटायरमेंट ले लिया। बाद में जमीन पर प्लॉट बेच दिए गए, लेकिन कब्जा नहीं मिला। जमीन का डायवर्सन आवासीय हो चुका था। इसके बाद भी जमीन की बिक्री करते समय उसे कृषि भूमि बताया गया, जिससे शासन को स्टाम्प शुल्क का नुकसान हुआ और इस कारण से लोगों को प्लॉट भी नहीं मिल पाए। इस आधार पर केस दर्ज हुआ।