संजय गुप्ता, INDORE. देश व विदेश में विख्यात 150 साल पुराने राजा-रजवाड़ों के स्कूल डेली कॉलेज में वित्तीय साल 2022-23 के दौरान 70 करोड़ की राशि खर्च करने का विवाद तूल पकड़ता जा रहा है। द सूत्र क खुलासे के बाद कई ओल्ड डेलिंयस ने इस मुद्दे को गंभीर मानकर आवाज उठाई है और बोर्ड से जवाब मांगा है। बीते साल जो खर्च 53 करोड़ रुपए था वह 17 करोड़ बढ़कर इस साल 70 करोड़ रुपए हो गया है। करीब 35 फीसदी की बढोतरी से ओल्ड डेलियंस को भ्रष्टाचार और कमीशन की बू आ रही है। वहीं एक सदस्य ने गंभीर खुलासा किया है कि डेली कॉलेज में आए-दिन शराब पार्टियां होती है। यह सभी खर्च डेली कॉलेज के छात्रों की फीस से ही होते हैं, जो करीब 70 करोड़ रुपए प्रति साल आती है।
ओडीए सदस्य अजय बागड़िया ने उठाए शराब पार्टियों पर सवाल
ओडीए के सदस्य अजय बागड़िया ने कहा कि हमने बोर्ड से पूछा है कि 17 करोड़ का यह अप्रत्याशित खर्चा कैसे हुआ है. इस पर जवाब बोर्ड को देना था लेकिन प्रिंसिपल की चिट्ठी आती है और वह 40 दिन और 220 दिन स्कूल खुलने का स्पष्टीकरण देती है। यह चिट्ठी ओडीए में आती है, तो मैंने ओडीए को भी पत्र लिखा है कि हम स्वतंत्र संस्था है, हम प्रिंसिपल और बोर्ड के अंडर नहीं है, हमे निष्पक्ष रहना है। यह राशि बच्चों की फीस का है जिसका उपयोग शिक्षा के स्तर बढ़ाने में होना चाहिए, यहां आए दिन यहां पार्टियां होती रहती है जिसमें शराब परोसी जाती है जबक् स्कूल में यह वर्जित है लेकिन यहां के बम क्लब को मूसाखेडी का दिखाकर लाइसेंस लिए जाते हैं। आवाज पालकों को उठाना चाहिए, ऐसे तो शिक्षा का स्तर गिरता जाएगा। कायदे इसमें ऑडिटर को आपत्ति लेना थी उनका काम केवल मुनीम का नहीं था। यह सभी की मिली-जुली नूराकुश्ती है।
ओल्ड डेलियन सदस्य रोहन जैन ने कहा कि भ्रष्टाचार तो कहीं ना कहीं है
ओल्ड डेलियन सदस्य रोहन जैन ने कहा कि यह पूरा मामला फिजूलखर्ची का है और इसकी निंदा करता हूं। गलत हो रहा है। ऑडिटर को आपत्ति लेना चाहिए थी। बोर्ड को एजीएम कर वित्तीय अनुमोदन लेन चाहिए। यह फीस का पैसा है, इससे पार्टियां होती है और इस तरह खर्चा हो रहा है। यदि खर्चे में इतना अंतर है तो फिर इसमें सौ फीसदी कहीं ना कहीं तो भ्रष्टाचार इन्वाल्व है। यह जानना जरूरी है कि यह राशि कहां पर कैसे खर्च हुई है। बोर्ड और आडीटर को स्पष्टीकरण देना चाहिए।
सदस्य गिरिराज सिंह ने भी उठाई आवाज
एक अन्य ओल्ड डेलियंस सदस्य गिरिराज सिंह ने भी आवाज उठाई है। उन्होंने द सूत्र को कहा कि हमारी पांच पीढ़ियां यहां से पढ़ी है। यह मुद्दा काफी अहम है, हम सभी चुनकर स्कूल बोर्ड में सदस्यों को भेजते हैं, जो तय करते हैं स्कूल आगे कैसे चलेगा। हमारे चुने एक सदस्य संदीप पारिख ने बताया कि खर्चों में 17 करोड़ की बढ़त का ब्यौरा रखा गया है। हमारा कहना है कि यह जानना जरूरी है कि यह खर्चा कहां हो रहा है और इसमें पारदर्शिता जरूरी है। इसे ब्यौरे को एजीएम में रखना चाहिए और वहां सभी को अवगत कराया जाए कि क्या हो रहा है, हम सभी स्कूल को बेहतर दिशा में ले जाना चाहते हैं। सिंह ने कहा कि अधिक खर्चे से कई सवाल खड़े होते हैं और आशंकाएं आती है और इसके लिए जरूरी है कि पारदर्शिता रखी जाए।
डेली कॉलेज के ऑडिटर राकेश डाफरिया से द सूत्र की सीधी बात
द सूत्र- आपने खर्चों पर आपत्ति नहीं ली
डाफरिया- हम खर्चों पर कैसे आपत्ति ले सकते हैं, जब बोर्ड से पास है
द सूत्र- खर्चों पर आपत्ति तो आडिटर लेते हैं
डाफरिया- खर्चे सही है तो क्या आपत्ति लें, यदि बोर्ड ने पास किए तो वह सही ही है।
द सूत्र- पहले कम खर्च हुए और अब अधिक, बिजली बिल अधिक बताया है
डाफरिया- पहले भी खर्चे होते थे, कोविड काल के कारण बीच में खर्चा कम हुआ, अब अधिक हो रहे हैं।
द सूत्र- जब 40 दिन स्कूल चला तो बिजली बिल तब भी बहुत ज्यादा है
डाफरिया- बिजली तो चलेगी स्टाफ मैंबर्स रहते हैं वहां। ऐसा कुछ विशेष नहीं है इसमें थोड़ा-बहुत तो खैर होगा ही उसमें, थोडा-बहुत तो कुछ हां। इंटरनल आडिट भी होता है।
द सूत्र- ऐसी कोई आपत्ति वाली बात नहीं उठी है
डाफरिया- खर्चे का बजट पहले से बना हुआ है, उसी पर चले हैं
द सूत्र- स्कूल के खर्चे तो बच्चों की फीस से ही होते हैं
डाफरिया- हां, फीस से 65 करोड़ रुपए आते हैं। हर साल फीस बढती है तो सैलरी भी बढती है
डेली कॉलेज में इतनी है फीस
डेली कॉलेज की साइट से ही मिली जानकारी के अनुसार स्कूल में एक बच्चे की फीस 3.73 लाख रुपए प्रति साल है। यदि बच्चा बोर्डिंग में है तो फीस 7.47 लाख रुपए है। यदि फॉरेने कैटेगरी में है तो फीस 5.59 लाख रुपए और इस कोटे से बोर्डिंग में है तो फीस 11.16 लाख रुपए है। दो साल पहले की रिपोर्ट के अनुसार बच्चों से फीस के रूप में कुल राशि 65 करोड़ रुपए से अधिक थी। यह आज करीब 70 करोड़ रुपए प्रति साल अनुमानित है। डेली कॉलेज के सभी खर्चे इसी राशि से ही होते हैं।
150 साल पुराना यह संस्थान सात सालों से लगातार विवादों में हैं
- सात साल पहले तत्कालीन प्रिंसिपल सुमेर सिंह ने इस्तीफा दिया, इसमें लगातार चर्चाएं बोर्ड और उनके बीच विवाद की आई
- उनकी जगह आए प्रिंसिपल नीरज बेढोतिया ने भी बाद में इस्तीफा दिया। इसे लेकर भी सामने आया कि बोर्ड उन्हें पसंद नहीं कर रहा था क्योंकि वह एडमीशन व अन्य मामलों में बोर्ड की नहीं सुन रहे थे। इसलिए उनका कार्यकाल नहीं बढ़ाया गया और इस्तीफा ले लिया।
- डेली कॉलेज के टीचिंग स्टाफ के लगातार इस्तीफे हो रहे हैं
- डेली कॉलेज में अप्रैल 2022 में तत्कालीन बोर्ड ने एकजुट होकर बोर्ड के प्रेसीडेंट पद से नरेंद्र सिंह झाबुआ को हटा दिया और उनकी जगह देवास की विधायक महारानी गायत्री के बेटे विक्रम सिंह पंवार को अध्यक्ष चुन लिया। साथ ही झाबुआ के बेटे जयसिंह झाबुआ को बोर्ड से बाहर कर दिया गया और उनकी जगह पेरेंट कैटेगरी से संजय पाहवा को सदस्य बनाया गया।