मालवा-निमाड़ की 66 में से 18 पर आदिवासी निर्दलीय उम्मीदवार और 12 सीट पर बागी को मिले वोट से तय होगी हार-जीत

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Rahul Garhwal
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मालवा-निमाड़ की 66 में से 18 पर आदिवासी निर्दलीय उम्मीदवार और 12 सीट पर बागी को मिले वोट से तय होगी हार-जीत

संजय गुप्ता, INDORE. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए एग्जिट पोल के बाद छाए असमंजस के बादल को जयस के दूसरे धड़े, भारतीय आदिवासी पार्टी और अन्य निर्दलीय आदिवासी उम्मीदवारों के साथ बागी बनकर उतरे निर्दलीय ने और घना किया हुआ है। मालवा-निमाड़ की 66 में से 2 दर्जन सीटों पर हार-जीत इस बात पर तय होगी कि ये कितने वोट ले जाते हैं। कुछ सीटों पर इस बात पर भी कोई आश्चर्य नहीं होगा कि ये बीजेपी-कांग्रेस की जगह इन्हीं के खाते में चली जाएं।

बीजेपी-कांग्रेस से अलग उतरे आदिवासी उम्मीदवारों से उलझ रही 18 सीट

कांग्रेस ने भले ही डॉ. हीरालाल अलावा वाले जयस के साथ गठजोड़ किया और उन्हें सीट भी दी, लेकिन लोकेश मुजाल्दा और अंतिम मुजाल्दा गुट से उम्मीदवार मैदान में उतर गए। इसके चलते मालवा-निमाड़ की 22 आदिवासी सीट और इसके साथ ही आदिवासी मतदाताओं के प्रभाव वाली महू जैसी कुछ सीटों पर मामला उलझा है। ऐसी 18 सीट है जहां ये प्रत्याशी बीजेपी-कांग्रेस को चुनौती दे रहे हैं।

ये वो सीटें जहां जयस, आदिवासी पार्टी से जुड़े उम्मीदवार दे रहे चुनौती

  • सैलाना- कमलेश्वर डोडियार
  • महू- प्रदीप मावी
  • रतलाम ग्रामीण- डॉ. अभय ओहरी
  • पेटलावद- वालूसिंह गामड़
  • नेपानगर- बिल्लोरसिंह जमरा
  • भगवानपुरा- मोहन किराड़े
  • मनावर- लालसिंह बर्मन (आप उम्मीदवार)
  • सरदापुर- राजेंद्र गामड़
  • मंधाता- राहुल चंदेल
  • राजपुर- सुनील सोलंकी
  • हरसूद- महेंद्र बड़ाई
  • झाबुआ- अमर सिंह भाभर
  • थांदला- माजू सिंह डामौर
  • पानसेमल- रमेश चौहान
  • जोबट- रिंकू बाला डावर
  • कुक्षी- बोंदल सिंह मुजाल्दा
  • आलीराजपुर- नवल सिंह मंडलोई
  • बागली- सूरज डावर

निर्दलीय बनकर बागी इन 12 सीटों पर दे रहे चुनौती

इसके साथ ही मालवा-निमाड़ की करीब दर्जनभर सीटों पर निर्दलीय या पार्टी के ही बागी चुनौती दे रहे हैं। ऐसे में ये बीजेपी या कांग्रेस के कितने वोट काटेंगे, इस पर भी दोनों ही दलों के उम्मीदवारों की हार-जीत होगी। सामान्य तौर पर देखा यही गया है कि जो जिस पार्टी का बागी होता है, वो उसके वोट बैंक के साथ ही अपनी जाति के वोट बैंक में सेंध लगाता है।

महू

अंतर सिंह दरबार (कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने से हुए बागी, 2 बार के विधायक)

धार

राजू यादव और कुलदीप बुंदेला (राजू बीजेपी के तो बुंदेला कांग्रेस के बागी)

जोबट

माधोसिंह डावर (बीजेपी के बागी, 2 बार विधायक रह चुके, टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय उतरे)

आलोट

प्रेमचंद गुड्डू (कांग्रेस के पूर्व विधायक, टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर निर्दलीय उतरे)

बड़नगर

राजेंद्र सोलंकी (पहले कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी, फिर टिकट काटकर विधायक मुरली मोरवाल को ही दिया, इससे नाराजगी और निर्दलीय उतर गए)

बुरहानपुर

हर्ष चौहान और MIMIM की नफीस मंशा खान (चौहान पूर्व सांसद नंदू भैया के पुत्र, टिकट नहीं मिलने से बागी, ओवैसी की पार्टी के प्रत्याशी से भी मामला कड़ा।

मल्हारगढ़

श्यामलाल जोकचंद (कांग्रेस के बागी, 2 बार लड़ चुके हैं)

देपालपुर

राजेंद्र चौधरी (हिंदूवादी संगठन नेता, बीजेपी से टिकट की चाहत थी)

जावद

पूरणमल अहीर (ये बीजेपी के जनपद अध्यक्ष रह चुके हैं, टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर निर्दलीय उतरे)

जावरा

जीवन सिंह शेरपुर (करणी सेना के नेता हैं, कांग्रेस से टिकट चाहते थे, लेकिन नहीं मिला तो निर्दलीय उतरे)

झाबुआ

धनसिंह बरिया (झाबुआ नगर पालिका के अध्यक्ष रहे और बीजेपी से निष्कासित)

आलीराजपुर

सुरेंद्र सिंह ठकराल (जिला बीजेपी अध्यक्ष वकील सिंह ठकराल के रिश्तेदार, बीजेपी उम्मीदवार नागर सिंह चौहान के विरोधी)

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