BHOPAL. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों पर बीजेपी-कांग्रेस के प्रत्याशियों की नजरें हैं। हर कोई अपनी जीत के लिए प्रार्थना कर रहा है, लेकिन कुछ सीटों पर बागी खेल बिगाड़ सकते हैं। बीजेपी और कांग्रेस दोनों के प्रत्याशियों को बागियों से डर है, क्योंकि अगर इनका सिक्का चला तो बाजी भी पलट सकते हैं।
नारायण त्रिपाठी
नारायण त्रिपाठी बीजेपी से बागी हैं। वे बीजेपी में रहकर लगातार विंध्य प्रदेश की मांग कर रहे थे। बीजेपी ने उनका टिकट काटा तो उन्होंने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्होंने विंध्य जनता पार्टी बना ली। 25 सीटों पर उम्मीदवार उतारकर चुनाव भी लड़े। अब वे नतीजों का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
प्रेमचंद गुड्डू
प्रेमचंद गुड्डू कांग्रेस से बागी हैं। वे रतलाम की आलोट विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। प्रेमचंद गुड्डू कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने रीना सोतिया को टिकट दिया। इसके बाद गुड्डू बागी हो गए और निर्दलीय मैदान में उतर गए।
हर्षवर्धन सिंह चौहान
खंडवा के बुरहानपुर से पूर्व सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया। इसके बाद उन्होंने बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। हर्षवर्धन सिंह चौहान ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा।
रसाल सिंह
2013 में बीजेपी प्रत्याशी रहे रसाल सिंह को 50 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। वे इस बार बीजेपी से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन पार्टी ने अमरीश शर्मा को टिकट दे दिया। इसके बाद रसाल सिंह बीजेपी से बागी हो गए और BSP के टिकट पर चुनाव लड़ा है।
केदारनाथ शुक्ला
केदारनाथ शुक्ला सीधी विधानसभा सीट से बीजेपी से टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने उनका टिकट काट दिया। इसके बाद उन्होंने बीजेपी से इस्तीफा देकर BSP जॉइन की और चुनाव लड़ा।