BHOPAL. डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे का नाम मध्यप्रदेश में सुर्खियों में है, यह महिला अधिकारी नौकरी से जून में ही इस्तीफा दे चुकी हैं, पर सरकार है कि इनका इस्तीफा मंजूर करने के मूड में ही नहीं है। हाई कोर्ट ने सरकार को 10 दिन में फैसला कर इस्तीफा मंजूर करने के निर्देश दिए तो सरकार ने फैसले के खिलाफ अपील दायर कर स्टे भी ले लिया है। जिसके खिलाफ कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जेंट हियरिंग के लिए याचिका पुटअप की है।
ये नौकरशाह लड़ चुके चुनाव, मंत्री भी बने
मध्यप्रदेश में अनेक नौकरशाह नौकरी छोड़ राजनीति का दामन थाम चुके हैं, समझ में यह नहीं आ रहा कि आखिर निशा बांगरे के मामले में ही इतने अड़ंगे क्यों लगाए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी, पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह, पन्नालाल समेत कई नौकरशाह ने राजनैतिक पारी खेली और खेल भी रहे हैं। लेकिन इस बार सरकार ऐसे नौकरशाहों पर निगाह टेढ़ी करके बैठी है। पहले चुनाव लड़ने का मन बना चुके पुरुषोत्तम शर्मा का इस्तीफा नामंजूर कर दिया गया फिर निशा बांगरे को मुक्त न करने की ठान चुकी है सरकार।
सारे आरोप कर लिए स्वीकार, फिर भी नहीं मिल रहा चुनाव लड़ने का अधिकार
निशा बांगरे ने खुद पर लगाए हर एक प्रशासनिक आरोप को स्वीकार करने का साहस तक दिखा डाला है। यदि 14 दिन में सरकार उनका इस्तीफा मंजूर नहीं करती तो वे चुनाव लड़ने से वंचित रह जाएंगी। दरअसल बैतूल जिले की सुरक्षित सीट आमला में निशा बांगरे ने राजनैतिक जमीन तैयार करने काफी मेहनत कर ली है। वे कांग्रेस की ओर से चुनाव मैदान में उतरने की पूरी तैयारी कर चुकी हैं। यही कारण है कि विवेक तन्खा सुप्रीम कोर्ट से उनका इस्तीफा मंजूर करने पैरवी करेंगे।
प्रशासन पर लगाए थे पक्षपात के आरोप
विवेक तन्खा ने पिछले दिनों सीधे आरोप लगाते हुए कहा था कि आचार संहिता के बाद प्रशासन में राजनैतिक हस्तक्षेप नहीं रह जाता। मुख्य सचिव ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर करवाई है, जिसका सीधा मतलब है कि प्रशासन मध्यप्रदेश में निष्पक्ष चुनाव न कराकर पक्षपात करने उतारू है। उन्होंने चुनाव आयोग में भी इस बात की शिकायत करने की बात कही थी।