JAIPUR. राजस्थान के संजीवनी कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को फिलहाल राहत नहीं मिली है। सीएम गहलोत ने संजीवनी कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी केस को लेकर बयानबाजी की थी। जिसे लेकर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सीएम गहलोत के खिलाफ दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में मानहानि केस किया है। इस केस में कोर्ट ने मंगलवार, 19 सितंबर को गहलोत के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया। जिसमें गहलोत को आरोप मुक्त करने की अपील की गई थी।
गहलोत ने कोर्ट में यह तर्क रखा
सीएम अशोक गहलोत ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र लगाकर कहा था कि पिछली 3 सुनवाई से शिकायतकर्ता गजेंद्र सिंह शेखावत कोर्ट में उपस्थित नहीं हो रहे हैं। ऐसे में कानून के तहत कोर्ट आरोप मुक्त करें। गहलोत के प्रार्थना पत्र पर 14 सितंबर को कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। मंगलवार को कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए गहलोत के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया। ऐसे में अब गहलोत पर आगे भी मानहानि का यह मुकदमा चलता रहेगा। अब 25 सितंबर को मामले की अगली सुनवाई करेगी।
क्या है मामला
संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उनके परिवार को आरोपी बताया था। पुलिस ने इस मामले में जो केस दर्ज किया है उसके आधार पर ही उन्होंने गजेंद्र सिंह शेखावत को आरोपी बताया है।
रिवीजन कोर्ट में 1 अगस्त 2023 को सुनवाई के दौरान सीएम अशोक गहलोत ने कहा था कि उनके पास गृह विभाग भी है। गृहमंत्री होने के नाते एसओजी उनको रिपोर्ट करती है। एसओजी ने केस को लेकर जो उन्हें जानकारी दी। उसे उन्होंने मीडिया के साथ साझा किया। एसओजी को मिली शिकायत में गजेंद्र सिंह के परिवार का नाम भी है।
केस के बाद एसओजी ने तथ्य जुटाए
वहीं गजेंद्र सिंह शेखावत के वकीलों ने बहस करते हुए कहा था कि हमारा किसी भी शिकायत में नाम नहीं था। मानहानि का केस दर्ज होने के बाद एसओजी ने इस मामले में कथित तथ्य जुटाए।
बयानबाजी पर मानहानि केस
शेखावत में गहलोत कि बयानबाजी के मामले में गहलोत के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज किया था। इस पर राउज एवेन्यू कोर्ट ने 6 जुलाई को सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ समन जारी किया था। इसके खिलाफ गहलोत ने सेशन कोर्ट में रिवीजन फाइल की थी, लेकिन उनको वहां से राहत नहीं मिली थी। रिवीजन कोर्ट ने सीएम गहलोत को केवल वीसी के जरिए पेश होने की छूट दी थी।