मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए विधायकी छोड़ने वाले ही टिकट से महरूम, न रहा हाथ का साथ, फूल ने दिए कांटे

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Jitendra Shrivastava
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मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए विधायकी छोड़ने वाले ही टिकट से महरूम, न रहा हाथ का साथ, फूल ने दिए कांटे

अरुण तिवारी, BHOPAL. एक कहावत है कि होम करते हाथ जले। कुछ इसी तरह उन आठ नेताओं के साथ हुआ है जो अब पूर्व विधायक हो गए हैं। इनमें से सात तो ऐसे हैं जिन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए समर्पण दिखाते हुए एक झटके में विधायकी छोड़ दी। कुछ का नसीब अच्छा था जो उपचुनाव जीत गए, लेकिन कुछ तो महज 15 महीने के विधायक बन कर रह गए। अब इन नेताओं को बीजेपी ने टिकट देने लायक ही नहीं समझा। बीजेपी ने उन आठ नेताओं के टिकट काटे हैं जिन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था और उसकी सरकार बनवाई थी। टिकट देते समय न बीजेपी ने दरियादिली दिखाई और न ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उनके समर्पण का मोल चुकाया।

बेघर हुए ये नेता...

ओपीएस भदौरिया: मेहगांव से ओपीएस भदौरिया ने 2018 में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीता। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हुए और 15 महीने में इस्तीफा दे दिया। उपचुनाव जीते और मंत्री भी बने। लेकिन पांच साल में ही ये बेमानी हो गए और बीजेपी ने इनका टिकट काट दिया।

रक्षा सिरौनिया: भांडेर की विधायक रक्षा सिरौनिया ने भी सिंधिया के लिए अपनी विधायकी दांव पर लगा दी। इस्तीफा दिया और उपचुनाव में जीत भी हासिल हुई। लेकिन अब बीजेपी ने मौजूदा विधायक होने के बाद भी टिकट काट दी।

गिर्राज दंडोतिया: दिमनी से गिर्राज 2018 में पहली बार विधायक बने। सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गए। कुछ दिन का मंत्रीपद भी भोगा। लेकिन उपचुनाव में हार गए। अब पार्टी ने इनको भी बेघर कर दिया और टिकट नहीं दी।

मुन्नालाल गोयल: ग्वालियर पूर्व से पहली बार विधायक बने मुन्नालाल गोयल की तो और बुरी हालत है। चार चुनाव लड़कर जैसे तैसे विधायकी मिली लेकिन 15 महीने में ही चली गई। गोयल भी सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गए लेकिन उपचुनाव हारे। और अब बीजेपी ने उनकी टिकट काट दी।

रणवीर जाटव: गोहद से रणवीर जाटव का यही हाल है। रणवीर बमुश्किल दूसरी बार विधायक बने। सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गए। दूसरी बार की विधायकी 15 महीने की ही रही। इस्तीफा दिया और उपचुनाव हार गए। अब उनकी टिकट कट गई। उनकी जगह टिकट मिली लाल सिंह आर्य को जिनको रणवीर ने 2018 में चुनाव हराया था।

जसवंत जाटव: अंबाह से 2018 में विधायक बने जसवंत जाटव को भी सिंधिया प्रेम ले डूबा। जाटव ने भी सिंधिया का साथ दिया और विधायकी छोड़ दी। उपचुनाव हारे और अब टिकट से भी हाथ धो बैठे।

सुमित्रा देवी कास्डेकर: नेपानगर से पहली बार 2018 में विधायक बनी। कांग्रेस नेता अरुण यादव ने इनको टिकट दिलवाया। लेकिन सुमित्रा अचानक कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गई। इस्तीफा दिया और उपचुनाव भी इन्होंने जीत लिया। लेकिन अब बीजेपी ने इनकी टिकट काट दी।

राहुल सिंह: दमोह से 2018 में राहुल सिंह ने जयंत मलैया जैसे दिग्गज को हराकर खूब वाहवाही बटोरी। उन्होंने कभी कांग्रेस न छोड़ने के दावे भी किए। लेकिन फिर उनका मन डोल गया और बीजेपी में शामिल हो गए। विधायकी से इस्तीफा देकर उपचुनाव लड़ा और चुनाव हार गए। अब बीजेपी ने इनका टिकट काटकर फिर जयंत मलैया को टिकट दिया है।

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