मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान में सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों और बसपा के टिकट पर जीत कर आए विधायकों को टिकट देने के मामले में कांग्रेस में पेंच फंसा दिख रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इनमें से ज्यादातर को टिकट देना चाहते हैं क्योंकि यही वह विधायक थे जिन्होंने पिछले साढ़े 4 साल के दौरान हर संकट में गहलोत का साथ दिया। उधर पार्टी और इन सीटों के कांग्रेस कार्यकर्ता कुछ अलग राय रखते हैं। पार्टी हर सीट पर सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही टिकट देना चाहती है वही कार्यकर्ताओं में इस बात का विरोध है कि पिछली बार यह निर्दलीय और बसपाई विधायक पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी को हराकर विधानसभा में पहुंचे हैं और ऐसे में पार्टी को इन्हें मौका नहीं देना चाहिए।
गुढ़ा और खंडेला दौड़ से बाहर
राजस्थान में पिछले चुनाव में 13 निर्दलीय विधायक चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे। इनके अलावा 6 विधायक ऐसे थे जो जीते तो बसपा के टिकट पर थे लेकिन बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। इस तरह यह कुल 19 विधायक हैं जो कांग्रेस सरकार को समर्थन देने की एवज में पार्टी से टिकट चाह रहे थे, हालांकि इनमें से सरकार से बर्खास्त किए गए मंत्री राजेंद्र गुढ़ा अब कांग्रेस के टिकट की दौड़ से बाहर हो गए हैं क्योंकि उन्होंने शिवसेना शिंदे पार्टी ज्वाइन कर ली है। इनके अलावा निर्दलीय महादेव सिंह खंडेला उम्र के कारण चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं है और अपने बेटे को टिकट दिलाना चाहते हैं। वही सुरेश रावत और बलजीत यादव जैसे एक दो विधायक और हैं जो कांग्रेस के बहुत ज्यादा संपर्क में नहीं बताए जा रहे हैं।
15 सीटों पर फंसा पेंच
लेकिन फिर भी 15 सीटें ऐसी हैं जिन पर टिकिट तय करने में पेंच फंसा हुआ है। दरअसल सीएम अशोक गहलोत इनमें से ज्यादातर को मौका देना चाहते हैं, क्योंकि इनमें से सात-आठ तो मूल रूप से कांग्रेस से ही है। इसके अलावा इन्होंने हर संकट में गहलोत का साथ भी दिया है। गहलोत इनमें से कुछ को मंत्री बनाना चाहते थे लेकिन यह संभव नही हो पाया क्योंकि आला कमान की ओर से उन पर यह दबाव था कि सचिन पायलट के समर्थक विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह दी जाए। यही कारण रहा कि नवंबर 2021 में जब मंत्रिमंडल विस्तार हुआ तो सचिन पायलट समर्थक पांच विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिली। वही संकट के समय साथ देने वाले विधायकों में से गहलोत सिर्फ राजेंद्र गुढ़ा को एडजस्ट कर पाए। शेष विधायकों को उन्होंने बोर्ड और निगमों में या खुद का सलाहकार बना कर एडजस्ट किया।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि अब चुनाव के समय गहलोत इस बात की पूरी कोशिश कर रहे हैं कि इनमें से ज्यादातर को पार्टी का टिकट मिल जाए। उधर पार्टी अलग-अलग सर्वे और पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर ही टिकिट देना चाहती है। वहीं इन्हें टिकिट देने पर स्थानीय स्तर पर कड़ा विरोध सामने आने की संभावना भी बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि इसी के चलते निर्दलीयों और बसपा विधायकों से जुड़ी सीटों को फिलहाल पार्टी ने होल्ड पर रखा है। इनमें से वही सीटें शुरुआती सूची में सामने आएंगे जिन पर पार्टी सर्वे और प्रत्याशियों की रिपोर्ट के अनुसार टिकट देने में कोई दिक्कत नहीं है।