पीएम मोदी ने धान के लिए 1 लाख करोड़ भुगतान का दावा कर CG सरकार की खोली पोल, द सूत्र की पड़ताल में कांग्रेस का स्मार्ट गेम उजागर

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Rahul Garhwal
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पीएम मोदी ने धान के लिए 1 लाख करोड़ भुगतान का दावा कर CG सरकार की खोली पोल, द सूत्र की पड़ताल में कांग्रेस का स्मार्ट गेम उजागर

गंगेश द्विवेदी, RAIPUR. छत्तीसगढ़ में 30 सितंबर को बीजेपी की परिवर्तन यात्रा के समापन में बिलासपुर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये घोषणा करके कि धान का एक-एक दाना केंद्र सरकार खरीदती है, धान खरीदी पर एक बार फिर सियासत सुलगा दी है। उन्‍होंने मंच से यहां की कांग्रेस सरकार को झूठा कहा और साथ ही 1 लाख करोड़ केंद्र की ओर से देने की घोषणा करके कांग्रेस सरकार की जनता के सामने पोल खोल दी। इधर मोदी के हमले के बाद राज्‍य सरकार ने पलटवार करते हुए मोदी पर जुमलेबाजी करने का आरोप लगाकर हर किसान से 20 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से खरीदी करने का वादा दोहराया। द सूत्र ने जब एमएसपी और अंतर की राशि का आंकड़ा निकाला तो चौंकाने वाले तथ्‍य सामने आए। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार का स्‍मार्ट गेम भी उजागर हुआ।

पीएम मोदी ने क्या कहा ?

पीएम नरेंद्र मोदी ने मंच से धान को लेकर छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार पर खुलकर हमला बोला। पीएम मोदी ने कहा कि किसानों को कांग्रेस सरकार ने झूठ बोला है। यहां के धान का एक-एक दाना मोदी सरकार खरीदती है। केंद्र ने 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा दिए हैं। यहां के धान के लिए किसानों को पैसा केंद्र देती है और दावा कांग्रेस करती है। पीएम मोदी ने कहा कि बीजेपी धान किसानों के प्रति समर्पित है। पूरा ध्यान रखा जाएगा। पाई-पाई किसानों तक पहुंचेगी।

पीएम मोदी का दावा कितना सच्‍चा

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2023-24 में 110 लाख टन का लक्ष्य है। केंद्र पर 24013.00 करोड़ का और राज्य पर 753.50 करोड़ का भार आएगा। इसके बाद केंद्र पर कुल भार 112008.17 करोड़ और राज्य पर 3968.02 करोड़ हो जाएगा।

पीएम मोदी के दावे में बहुत हद तक सच्‍चाई है। केंद्र की ओर से तय न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य की राशि केंद्र सरकार की ओर से आती है। जिसकी कुल कीमत पिछले 5 साल में 87995.17 करोड़ रुपए होती है। इसमें 2023-24 के 110 लाख मीट्रिक टन की एमएसपी जोड़ दी जाए तो ये राशि 1 लाख 12 हजार करोड़ से अधिक होती है। जबकि राज्‍य सरकार के बजट पर केवल अंतर की राशि का भार पड़ा है। कांग्रेस की राज्‍य सरकार ने इस मामले में स्‍मार्ट गेम खेला। उन्‍होंने केवल 1 साल अंतर की राशि के रूप में 750 रुपए दिए क्‍योंकि एमएसपी 1750 थी। अगले साल यानी 18-19 में केंद्र ने एमएसपी बढ़ाकर 1815 रुपए किया तो राज्‍य पर 685 रुपए प्रति‍ क्विंटल अंतर की राशि का भार आया जो केवल 574.92 करोड़ था। जबकि केंद्र का भुगतान हजार करोड़ में आया। इसके बाद सरकार ने 685 रुपए एमएसपी फिक्‍स रखी जबकि केंद्र सरकार हर साल एमएसपी बढ़ाती रही। कांग्रेस हर साल राशि बढ़ाने का दावा किसानों से करती रही। लेकिन पिछले 5 साल में खुद केवल 3214.52 करोड़ रुपए खर्च किए। इस साल का 110 लाख मीट्रिक टन का भार भी जोड़ा जाए तो ये राशि कुल 3968.02 करोड़ ही होती है। जबकि केंद्र पर इस दौरान 1 लाख 12 हजार करोड़ का भार आया।

रमन भी ऐसे ही बने थे चाउर वाले बाबा

केवल कांग्रेस ही नहीं बीजेपी ने भी 15 में 10 साल धान की नाव पर सवार होकर सत्ता पर कब्‍जा जमाए रखा था। छत्तीसगढ़ में पहली बार 2003 में बीजेपी की सरकार बनी। 2008 के चुनाव से ठीक पहले डॉ. रमन सिंह ने एमएसपी में धान खरीदी के अतिरिक्‍त न केवल किसानों की कर्ज माफी और बोनस का दांव खेला बल्कि प्रदेश 56 लाख गरीब परिवारों को 2 और 3 रुपए किलो में प्रति राशन कार्ड 35 किलो चावल देकर चाउर वाले बाबा बन गए। इस चुनाव में कांग्रेस 38 सीटों पर सिमट गई, वहीं बीजेपी ने 50 सीटें हासिल कीं। 2013 के विधानसभा चुनाव में जबरदस्‍त एंटी इन्कंबेंसी के बावजूद 42 लाख गरीब परिवारों को 1 रुपए किलो चावल और किसानों का एक-एक दाना खरीदने का वादा करके बीजेपी ने इस बार 49 सीटें हासिल की और कांग्रेस को 39 सीटों पर समेट दिया।

2014 से बिगड़ा रमन का गणित

डॉ. रमन सिंह ने चाउर वाले बाबा के लिए केवल 300 रुपए प्रति क्विंटल वो भी साल 2 बार खर्च करके किसानों के बीच अपनी पकड़ बनाए रखी थी। बता दें कि ये दौर केंद्र में यूपीए सरकार का था जिसने साल-दर-साल धान की एमएसपी बढ़ाई और राज्‍य सरकार से पूरा चावल लगातार केंद्रीय पूल में खरीदती रही। जैसे ही केंद्र में मोदी की सरकार आई, उन्‍होंने सबसे पहले प्रति एकड़ धान खरीदी का कोटा घटाकर 10 क्विंटल कर दिया। केंद्र में अपनी सरकार होने के कारण रमन इसका विरोध नहीं कर पाए। इस दौरान किसान संगठन हर साल बोनस बांटने की मांग करते रहे और स्‍वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक 2500 रुपए क्विंटल धान का न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य तय करने की मांग को लेकर भी नाराजगी बढ़ती चली गई। हालात ऐसे रहे कि रमन सिंह केवल पहले और आखिरी साल बोनस बांट पाए। कांग्रेस ने किसानों के इसी नब्‍ज को पकड़ा और 2018 के चुनाव में 2500 रुपए एमएसपी देने की घोषणा कर दी। केंद्र में बैठी बीजेपी सरकार ने यहां के नेताओं को इसकी इजाजत नहीं दी। जिसका परिणाम इतना भयानक आया कि बीजेपी का केंद्रीय और स्‍थानीय दोनों नेतृत्‍व हिल गए।

3600 में धान खरीदी का दांव

कांग्रेस ने पीएम मोदी के हमले के बाद प्रदेश में इस बात का प्रचार तेज कर दिया है कि कांग्रेस सरकार दोबारा आई तो किसानों से 3600 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदा जाएगा। बीजेपी के नेता कांग्रेस के इस दांव का फिर तोड़ निकालना कठिन है। इसकी बड़ी वजह ये है कि केंद्र सरकार केवल एक राज्‍य में धान की एमएसपी नहीं बढ़ा सकती। धान की एमएसपी सभी राज्‍यों के लिए तय करना होगा। जिसमें बजट का बड़ा हिस्‍सा खर्च हो जाएगा। जबकि कांग्रेस पर केवल अंतर की राशि देने का दबाव है।

सीएम भूपेश ने पीएम के बयानों को बताया जुमलेबाजी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयानों को मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल ने जुमलेबाजी कहकर खारिज कर दि‍या। उल्‍टा उन्‍होंने सवाल भी खड़ा कर दिया कि बीजेपी शासनकाल में 2014 के बाद किसानों को बोनस देना क्‍या प्रधानमंत्री मोदी के कहने पर बंद कर दि‍या।

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