BHOPAL. वन विभाग की प्रारम्भिक जांच में सामने आया कि अपने चार बच्चों को पालने में लगी कजरी बाघिन ही गांव में जाकर पालतू मवेशियों का शिकार कर रही थी और वही ग्रामीणों पर भी हमला करती थी। गांव वालों के बढ़ते दवाब के चलते बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने 28 नवंबर को कजरी को रेस्क्यू का निर्णय लिया। कजरी के रेस्क्यू करने के बाद वन्यजीव प्रेमी इस कार्रवाई पर सवाल खड़े करने लगे हैं।
पर्यटक सफारी में कजरी को देखने ही आते थे
बांधवगढ़ नेशनल पार्क की स्पॉटी नाम की बाघिन पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय थी। स्पॉटी के 2016 में दिए बच्चों में से एक कजरी ( T100) भी अपनी मां की तरह पर्यटकों एवं वन्यजीव प्रेमियों में लोकप्रिय थी। कजरी (T100) का इलाका बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का ताला जोन था। कजरी अक्सर अपने चार बच्चों के साथ ताला जोन में अठखेलियां करते दिखाई देती थी। इसी वजह से सफारी में आने वाले पर्यटक उसके दीदार को लेकर आश्वस्त रहते थे।
हमलों से आक्रोशित ग्रामीणों ने ही बनाया दबाव
टाइगर रिजर्व के सीमा से कई गांव जुड़े हुए हैं। जिनमें अक्सर मानव वन्यप्राणी संघर्ष की स्थिति बनी रहती है। पार्क की सीमा से सटे मझखेता, दमना और गाटा गांव में पिछले दो तीन महीनों में किसी बाघ द्वारा लगातार पालतू मवेशियों के शिकार किया जा रहा था। यही नहीं, ग्रामीणों पर भी हमला कर बाघ ने उनको मार दिया। बाघ के इन हमलों से ग्रामीण आक्रोशित हो गए और हमलावर बाघ को हटाने की पार्क प्रबंधन के ऊपर दबाव बनाने लगे।
मां से बिछड़कर बच्चों का जीवन भी खतरे में
कजरी के रेस्क्यू करने के बाद वन्यजीव प्रेमी इस कार्रवाई पर सवाल खड़े करने लगे। 6 वर्ष की कजरी ताला जोन की एकमात्र ब्रीडिंग टाइग्रेस थी और भविष्य में उसका कुनबा और बढ़ता जो बांधवगढ़ में बाघों की वृद्धि के लिहाज से अच्छा होता। वहीं, कजरी के बच्चे अभी 16 से 18 महीने के हैं। मां से बिछड़कर उनका जीवन भी खतरे में पड़ जाएगा।
जांच के बाद ही उस बाघ को रेस्क्यू किया हैः वर्मा
वहीं, इस मामले में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर पीके वर्मा ने बताया कि पार्क की सीमा से सटे गांवों में पालतू जानवरों के मारे जाने की घटनाओं के बाद कैमरा ट्रैप लगा दिया गया है। इस कैमरे से फोटो मिलान कर सही पहचान करने के बाद ही कजरी (T100) का रेस्क्यू किया गया है। कजरी के तीनों बच्चे भी उससे अलग होकर खुद शिकार करने लगे हैं। पार्क प्रबंधन ने पूरी निगरानी और जांच के बाद ही उस बाघ को रेस्क्यू किया है। इसकी वजह से मानव वन्यजीव द्वंद की स्थिति बनी हुई थी।
कोर और बफर इलाकों को मिलाकर 200 से ज्यादा बाघ हैं
भारत का बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व बाघों के घनत्व के लिहाज़ से पूरी दुनिया में अव्वल है। मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिलने पर सबसे अहम रोल इसी का है। यहां के कोर और बफर इलाकों को मिलाकर लगभग 200 से ज्यादा बाघ हैं। बाघों की इसी बढ़ती संख्या और सीमित वन क्षेत्र के चलते टाइगर रिजर्व से सटे गांवों में बाघों का दखल बढ़ता जा रहा है और यही मानव वन्यजीव संघर्ष की वजह भी है।