नितिन मिश्रा, RAIPUR. शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों की रुचि लाने के लिए नए–नए प्रयोग किए जाते हैं। कुछ ऐसा ही नया प्रयोग एक स्कूल में किया गया है। यहां प्रदेश का पहला खिलौना संग्रहालय तैयार किया गया है। जिससे बच्चे खेल खेल में पढ़ाई भी कर सकें। स्कूलों में बनाए गए इस खिलौना संग्रहालय में खिलौने घर– घर जाकर और अन्य माध्यमों से इकट्ठे किए गए हैं।
स्कूल में नवाचार को बढ़ावा
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्कूलों की पढ़ाई– लिखाई में नवाचार पर जोर दिया जा रहा है। इसके तहत सिमगा विकासखंड के पौंसरी गांव की के एक स्कूल में खिलौना संग्रहालय का निर्माण किया गया है। स्कूल में पढ़ाने वाली शिक्षिका भारती वर्मा ने बच्चों की पढ़ाई में रुचि बढ़ाने यह नया प्रयोग किया है। यहां बच्चे खेल खेल में सीखेंगे और पढ़ेंगे। नई राष्ट्रीय शिक्षा 2020 में खेल आधारित शिक्षण को बढ़ावा देने का प्रावधान किया गया है ताकि बच्चे खेल खेल में मनोरंजन के तरीके से पढ़ाई की अवधारणाओं को सीख व समझ सकें। खिलौने न सिर्फ बच्चों का मनोरंजन करते हैं बल्कि बच्चों के शारीरिक मानसिक, सामजिक व सामुदायिक भावना का भी विकास करते हैं। नई शिक्षा नीति में बालवाड़ी के जरिए बच्चों के अक्षर ज्ञान पर भी जोर दिया गया है।
घर– घर जाकर संग्रहित कर रहे खिलौने
स्कूल में बनाए गए खेल– खिलौना संग्रहालय में आधुनिक खिलौनों और शिक्षण अधिगम सामग्रियों के साथ-साथ सभी पारम्परिक, स्थानीय रूप से प्रचलित खेल खिलौनों को स्थान दिया गया है। यहां रखे गए खिलौने प्लास्टिक के साथ साथ लकड़ी, मिटटी, कागज व गत्ते से तैयार किए गए है। कुछ खिलौने समुदाय से प्राप्त हुए हैं। समुदाय से खिलौने लेने छेरछेरा की तर्ज पर घर-घर जाकर संग्रहित किया गया। इसके अलावा स्कूल में जादुई पिटारा भी निर्मित किया गया है। जिसके माध्यम से पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों को खेल-खेल में पाठ्यक्रम की अवधारणाओं को सिखाया जाता है।