पीएससी मामलाः हाईकोर्ट ने पंद्रह नियुक्तियों पर रोक लगाई, राज्य सरकार ने जारी किया बयान - मामले की जाँच कर अदालत को देंगे जवाब

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Yagyawalkya Mishra
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पीएससी मामलाः हाईकोर्ट ने पंद्रह नियुक्तियों पर रोक लगाई, राज्य सरकार ने जारी किया बयान - मामले की जाँच कर अदालत को देंगे जवाब

Bilaspur। छत्तीसगढ़ पीएससी में मेरिट लिस्ट में अधिकारियों, कांग्रेस पदाधिकारियों, और कथित रुप से पीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी के नज़दीकी रिश्तेदारों के भर्ती मामले में हाईकोर्ट ने तेरह अभ्यर्थियों के ज्वाईनिंग पर स्टे दिया है। जबकि जिन की नियुक्तियाँ हो चुकी हैं उनके लिए अदालत का इस मामले में अंतिम आदेश मान्य होगा। वहीं राज्य सरकार की ओर से कुछ देर पहले जारी किए बयान में बताया गया है कि,प्रकरण की जाँच कर रिपोर्ट और जवाब पेश करेगी। साथ ही राज्य सरकार ने यह कहा है कि, अदालत के अगले आदेश तक नियुक्ति की प्रक्रिया को अंतिम रुप नहीं दिया जाएगा।

क्या है मसला

राज्य पीएससी में डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी पदों पर भर्ती को लेकर भ्रष्टाचरण के आरोप लगाते हुए बीजेपी विधायक ननकी राम कंवर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इस मसले को लेकर लगातार बीजेपी हमलावर रही है। बीजेपी की ओर से गौरीशंकर श्रीवास ने लगातार ये आरोप लगाए थे कि, इस भर्ती की प्रावीण्य सूची में शामिल नाम में अधिकांश नाम पीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी, आईएएस अधिकारी और कांग्रेस के पदाधिकारियों के नज़दीकियों के हैं। इसी मामले को लेकर हाईकोर्ट ने इस पर सुनवाई की। 19 सितंबर को जब इस याचिका की सुनवाई हुई तो चीफ़ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस एन के चंद्रवंशी की बेंच ने कहा

“हम ये नहीं कह रहे हैं कि अधिकारी के बच्चे हैं तो पीएससी में सलेक्शन नहीं हो सकता, लेकिन एक साथ अठारह लोग! क्या यह वाक़ई सही है? हमें बताईए तथ्य क्या है”

 इस याचिका पर आज 20 सितंबर को सुनवाई हुई तो कोर्ट का सख़्त रुख़ बरकरार रहा। कोर्ट रुम से मिली जानकारी के अनुसार हाईकोर्ट ने प्रारंभिक तौर पर 12 लोगों की ज्वाईनिंग पर रोक लगा दी है। जबकि अन्य तीन समेत शेष का मसला इस मामले में आने वाले फ़ैसले के तहत बंधनकारी रखा है। हालाँकि अभी इस मामले में फ़ैसला ( लिखित रुप में ) नहीं आया है।

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राज्य सरकार ने जारी किया बयान

हाईकोर्ट के सख़्त रुख़ के बीच राज्य सरकार ने इस मामले में विस्तृत बयान जारी किया है। इस बयान में राज्य सरकार ने बताया है कि उसने हाईकोर्ट में यह बताया है कि, प्रकरण की जाँच कर हाईकोर्ट के समक्ष जवाब पेश किया जाएगा, जब तक इस मामले में अगली सुनवाई नहीं हो जाती तब तक जिन व्यक्तियों पर आक्षेप लगा है, और उनकी नियुक्ति नहीं हुई है, उसको आगे अंतिम रुप नहीं दिया जाएगा। जिनकी नियुक्तियाँ हो चुकी हैं। वह यथा स्थिति अदालत के आदेश के अंतर्गत रहेगी।

हाईकोर्ट ने यह भी कहा है यदि ग़लत निकली बात तो भारी जुर्माने के लिए तैयार रहिए

हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को यह कहा है कि, हम स्थगन और आदेश दे रहे हैं लेकिन यदि आपकी बात ग़लत निकली तो भारी जुर्माने के लिए तैयार रहिएगा। दरअसल जिस नितेश को पीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी का बेटा बताते हुए उनकी भर्ती पर सवाल उठाए गए हैं उनकी ओर से अधिवक्ता मतीन सिद्दीक़ी पेश हुए थे और उन्होंने कहा कि, नितेश के पिता टामन सिंह सोनवानी नहीं है। इस संबंध में अधिवक्ता मतीन सिद्दीक़ी ने कुछ अभिलेख भी कोर्ट को सौंपे हैं। हाईकोर्ट ने झूठ होने पर भारी जुर्माने की बात इसी तथ्य के बाद कही है।

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