नितिन मिश्रा,RAIPUR. छत्तीसगढ़ में सरकार इस बार 125 लाख मिट्रिक टन धान की खरीदी करेगी। धान खरीदी की तैयारी शुरू कर दी गई हैं। इस बार 7 लाख गठान जूट बारदाने की जरूरत पड़ेगी। वहीं सरकार धान खरीदी के लिए 32 हजार करोड़ का कर्ज लेगी। खरीफ विपणन वर्ष 2023–24 में धान बेचने वाले किसानों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है।
32 हजार करोड़ का कर्ज लेगी सरकार
धान खरीदी इस बार बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है चुनाव से पहले भी धान खरीदी और बिक्री पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। अब सरकार ज्यादा धान खरीदी करके जनता के बीच इसे बड़ा मुद्दा बनाने तैयारी में है। हर साल 20 से 25 करोड़ रुपए का कर्ज सरकार ने लेती थी। उसे इस साल 32 हजार करोड़ पर तय किया गया है। सरकार यह ऋण मार्कशीट के जरिए नाबार्ड और बैंकों से लिया जाएगा इस पर राज्य सरकार की गारंटी होगी इस साल किसानों के समर्थन मूल्य पर 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी की घोषणा की गई है वहीं इस वर्ष अनुमान लगाया गया है की 125 लाख मैट्रिक टन धान खरीदी की जाएगी।
किसानों की संख्या में लगातार वृद्धि
खाद विभाग के अनुसार 5 सालों में धान खरीदी और किसानों की संख्या में लगातार वृद्धि देखने को मिली है यहां तक की इनकी संख्या दोगुनी हो गई है वही धान खरीदी में किसानों को की जाने वाली भुगतान राशि में 3 गुना तक का इजाफा हुआ है। 2017-18 में 12 लाख 6 हजार किसानों ने मिट्रिक टन धान बेची थी। के लिए किसानों को 8890 करोड़ का भुगतान किया गया था अब वर्ष 2022 में इसमें धान बेचने वाले किसानों की संख्या 23 लाख 42 हजार चुकी है पर धान खरीदी 107.53 मिट्रिक टन तक पहुंच गई है इस साल धान खरीदी में किसानों को 22 लाख 67 हजार करोड़ का भुगतान किया गया है।
पिछले साल 19 हजार करोड से ज्यादा का कर्ज
पिछले साल छत्तीसगढ़ की सरकार ने साल 2022–23 में कुल 19 हजार 209 मां का कर्ज लिया था जिसमें एनसीडीसी से 8 हजार 500करोड़, नाबार्ड से 4 हजार करोड़, से 1 हजार 599, पंजाब नेशनल बैंक से 1 हजार 110 करोड़, बैंक ऑफ बड़ौदा से 2 हजार करोड़ औरबैंक ऑफ इंडिया से 2 हजार करोड़ का कर्ज लिया था।
केंद्रीय पूल में की गई कटौती
केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ को पहले 3.56 लाख गठान जूट बारदाने देने की सहमति दी थी लेकिन इसमें कटौती करते हुए अब मात्र 2.45 लाख गठान नए जूट बारदाने उपलब्ध कराया जा रहा है। वहीं, केंद्रीय पूल चावल उपार्जन के लक्ष्य में कटौती करते हुए 86.5 लाख मीट्रिक टन के बजाय अब 61 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है।