गहलोत ने फिर कहा जातिगत जनगणना कराएंगे, इससे पहले अगस्त में की थी घोषणा, अब आचार संहिता लगने में कुछ घंटे ही बाकी

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The Sootr
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गहलोत ने फिर कहा जातिगत जनगणना कराएंगे, इससे पहले अगस्त में की थी घोषणा, अब आचार संहिता लगने में कुछ घंटे ही बाकी

JAIPUR. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर जातिगत जनगणना करने की बात कही है। शुक्रवार रात कांग्रेस की कोर कमेटी की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए गहलोत ने जातिगत जनगणना की बात कही। गहलोत बोले कि हम बिहार की तर्ज पर जातिगत जनगणना कराएंगे। हालांकि, बड़ा सवाल यही है कि अब चुनाव के आचार संहिता लगने में मुश्किल से एक-दो दिन का समय बाकी है ऐसे में जातिगत जनगणना की यह घोषणा कैसे पूरी हो पाएगी।

विपक्षी गठबंधन इंडिया का हिस्सा बने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले दिनों जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी किए थे और इसके बाद से देश में जातिगत जनगणना को लेकर राजनीति गर्म है। कांग्रेस के सांसद और शीर्ष नेता राहुल गांधी जातिगत जनगणना की मांग उठ चुकी है और कांग्रेस के अधिवेशन में भी इसे लेकर प्रस्ताव पारित हो चुका है। ऐसे में अब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी पार्टी लाइन पर चलते हुए राजस्थान में जातिगत जनगणना करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के रायपुर अधिवेशन में इसे लेकर प्रस्ताव पारित हो चुका है और पार्टी के नेता राहुल गांधी कहते हैं कि जिसकी जितनी आबादी उसका उतना हक इसलिए इस पर चलते हुए हम बिहार की तरह राजस्थान में भी जातिगत जनगणना कराएंगे। गहलोत ने कहा कि जातिगत जनगणना से हर जाति की जनसंख्या की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी और इससे सरकार को योजनाएं तैयार करने में सहयता मिलेगी।

2 महीने पहले भी की थी घोषणा कुछ नहीं हुआ

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नौ अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस पर राजस्थान के मानगढ़ धाम में कांग्रेस के नेता और सांसद राहुल गांधी के समक्ष एक बड़ी सभा में राजस्थान में जातिगत जनगणना कराए जाने की घोषणा की थी। इसके साथ ही उन्होंने ओबीसी का आरक्षण 21 से बढ़कर 27 परसेंट करने की बात भी कही थी। उसे समय भी सीएम ने कहा था कि राहुल गांधी ने कहा कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए तो पूरे देश में एक मैसेज चला गया। हम चाहेंगे आपकी भावना के हिसाब से राजस्थान में जातिगत जनगणना शुरू होगी। जाति के आधार पर जिसका जितना हक है, उसे मिलेगा। इस प्रकार की सोच को हम आगे बढ़ाना चाहते हैं। लेकिन, इस घोषणा के दो माह के दौरान भी इस पर कोई काम होता नजर नहीं आया है। अब चुनाव के आचार संहिता किसी भी समय लागू हो सकती है। ऐसे में सवाल यही है कि आखिर यह घोषणा लघु कैसे होगी। सरकार आदेश जारी कर भी देगी तो जातिगत जनगणना की प्रक्रिया इतनी लंबी है की प्रदेश में नई सरकार के गठन से पहले इस पर कुछ भी नहीं हो सकता। ऐसे में इसे सिर्फ चुनावी घोषणा के रूप में ही देखा जा रहा है।

अभी यह है स्थिति

राजस्थान में जातिगत जनगणना के कोई अधिकृत आंकड़े उपलब्ध नहीं है लेकिन विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी के अनुसार राजस्थान में 89 फीसदी आबादी हिंदू, 9 फीसदी मुस्लिम और 2 फीसदी अन्य धर्म के लोग हैं. अनुसूचित जाति की आबादी 18 फीसदी, अनुसूचित जनजाति की आबादी 13 फीसदी, जाटों की आबादी 12 फीसदी, गुर्जर और राजपूतों की आबादी 9-9 फीसदी, ब्राह्मण और मीणा की आबादी 7-7 फीसदी है।

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