JAIPUR. राजस्थान में दलित वोटर्स की तादाद के चलते तीसरे राष्ट्रीय दल बहुजन समाज पार्टी की अच्छी पैठ रही है। बीते कुछ दशक में बीजेपी और कांग्रेस के बाद बीएसपी भी अच्छे खासे वोट बटोरने में कामयाब रही है। हर चुनाव में उसके विधायक भी जीतते चले आए, यह बात और है कि कभी दहाई का आंकड़ा नहीं देखने को मिला। लेकिन बीएसपी का सबसे बड़ा सिरदर्द यह है कि विधायक बनते ही उसके नेताओं को न जाने क्या हो जाता है कि वे कुछ ही महीनों में कांग्रेस ज्वाइन कर लेते हैं। हाल के दिनों में लाल डायरी के लिए मशहूर हुए बर्खास्त किए गए मंत्री भी कभी इसी हाथी के महावत हुआ करते थे। बीते 4 चुनावों में पार्टी के विधायकों की यही रवायत रही है।
विधायकों से खाली बीएसपी की झोली
ऐसा नहीं है कि पार्टी किसी भी सीट पर चुनाव नहीं जीतती, बीते दो दशक की बात की जाए तो इन 4 विधानसभा चुनावों में बीएसपी के खाते में 19 विधायक निर्वाचित होकर पहुंचे। बीते चुनाव की ही बात करें तो 2018 में पार्टी ने 190 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। जिनमें से 6 को जीत मिली थी। लेकिन इस बार भी सभी के सभी कांग्रेस के झंडे तले सीएम अशोक गहलोत की गोद में जा बैठे। हालात यह हैं कि पार्टी का झंडा सदन के अंदर उठाने वाला कोई नहीं बचा। हालांकि पुरानी बातों को भूलकर बहन मायावती की पार्टी इस बार पूरी की पूरी 200 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है।
60 सीटों पर लगाएंगे जोर
बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा का कहना है कि इस मर्तबा राजस्थान की सभी 200 सीटों से पार्टी उम्मीदवार उतारने जा रही है। खास ध्यान चिन्हित की गई 60 सीटों पर दिया जाएगा जहां दलित वोट निर्णायक स्थिति में है। बाबा ने यह भी कहा है कि बसपा सुप्रीमो बहन मायावती राजस्थान में 8 सभाएं करेंगी।
8 सीटों पर किया था अच्छा प्रदर्शन
बता दें कि बीएसपी इस चुनाव में भी करौली, किशनगढ़ बासत्र नगर, नदबई, उदयपुरवाटी और तिजारा सीट पर ज्यादा फोकस करने जा रही है। यहां दलित वोटर्स निर्णायक स्थिति में हैं। वहीं पिछली मर्तबा जिन दो सीटों मुंडावर और सादुलपुर में पार्टी दूसरी पोजीशन में थी वहां भी जोर लगाया जाएगा। इन 8 सीटों के अलावा जिन दर्जन भर से ज्यादा सीटों पर बीएसपी तीसरी पोजीशन में थी, उन सीटों को भी अच्छे प्रत्याशियों और चुनावी मैनेजमेंट के जरिए जीतने का प्रयास पार्टी करने की फिराक में है।