BHOPAL. रेप और हत्या के केस में हरियाणा के रोहतक जेल में सजा काट रहा गुरमीत राम रहीम एक फिर जेल से बाहर निकला। बता दें कि राम रहीम रेप और मर्डर केस में 20 साल की सजा काट रहा है। फिलहाल उसे 21 दिन की फरलो मिली है। 21 नवंबर को ही वो हरियाणा की सुनारिया जेल से बाहर आया है। 25 अगस्त, 2017 को जेल जाने के बाद से अब तक राम रहीम को 8 बार पैरोल या फरलो मिल चुकी है। बीते दो साल में ही वो 6 बार जेल से बाहर आ चुका है।
साध्वी ने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को लिखा था लेटर
बता दें कि वर्ष 2002 में राम रहीम के आश्रम में रहने वाली एक साध्वी ने तब के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को एक लेटर लिखा था, जिसमें उसने राम रहीम पर साध्वियों के साथ रेप करने का आरोप लगाया था। जानकारी के मुताबिक लेटर लिखने वाली साध्वी ने पंजाब यूनिवर्सिटी से बीए किया था। परिवार ने ही उसे राम रहीम की शिष्या बनने डेरा भेजा था। वे 2 साल डेरे में रहीं। एक दिन राम रहीम ने उन्हें आश्रम में बनी गुफा में बुलाया और उसके साथ रेप किया। साध्वी का लिखा ये लेटर वहां के लोकल जर्नलिस्ट रामचंद्र छत्रपति के हाथ लगा। उसके बाद रामचंद्र ने अपने अखबार पूरा सच में इसकी खबर पब्लिश कर दी उसके बाद राम रहीम को शक था कि उसके खिलाफ लिखे लेटर के वायरल होने के पीछे रामचंद्र का ही हाथ है। उसके बाद एक दिन राम रहीम के लोगों ने रामचंद्र की गोली मारकर हत्या कर दी।
राम रहीम पर मर्डर और रेप का चल रहा है केस
राम रहीम के ऊपर रणजीत सिंह के मर्डर और रेप का केस चल रहा है। रणजीत सिरसा में डेरा सच्चा सौदा के मैनेजर थे। 10 जुलाई 2002 को राम रहीम के कुछ लोगों ने रणजीत को गोली मारकर हत्या कर दी थी। साथ ही जर्नलिस्ट रामचंद्र छत्रपति ने जब राम रहीम के खिलाफ खबर पब्लिश किया था, तब राम रहीम के लोगों ने गोली मारकर उनकी भी हत्या कर दी थी। ऐसे में जब भी राम रहीम जेल से बाहर आता है तो ये लोग अपने-अपने घरों में कैद हो जाते हैं, या फिर अंडरग्राउंड हो जाते हैं।
रामचंद्र के बेटे ने 2003 में किया था राम रहीम के खिलाफ केस दर्ज
रामचंद्र की हत्या के समय उनके बेटे अंशुल 22 वर्ष के थे उन्होंने 2003 में राम रहीम के खिलाफ केस दर्ज कराया, उसके बाद 2006 में इसकी जांच CBI को सौंपी गई। CBI ने एक साल बाद रामचंद्र के मर्डर केस की चार्जशीट दाखिल की। अंशुल का कहना है कि ये पूरा मामला साध्वी की एक चिट्ठी से शुरू हुआ था। ये चिट्ठी पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट और कई न्यूज चैनलों को भेजी गई थी। पापा ने 30 मई, 2002 को पहली बार अपने अखबार में उस लेटर के बारे में लिखा था। इसके बाद उन्हें फोन पर धमकियां मिलने लगीं थीं।’ 6 जून को लेखा-जोखा अखबार के न्यूज एडिटर आरके सेठी ने भी इस लेटर पर खबर पब्लिश की थी। इसके बाद उनके दफ्तर पर हमला हुआ। इस पर पापा ने ‘कलम के खिलाफ जुनूनी गुस्सा’ हेडिंग से एक कॉलम लिखा। पापा लगातार लिख रहे थे कि किस प्रकार डेरा के फॉलोअर्स आक्रामक हो रहे हैं।’
फरलो और पैरोल में अंतर
फरलो यानी कैदी को जेल से मिलने वाली छूट है, ये एक प्रकार की छुट्टी की तरह होती है। इसके लिए किसी भी कैदी को कोई वजह बताने की जरुरत नहीं होती, बल्कि इसे कैदियों का अधिकार माना जाता है। जेल की रिपोर्ट के आधार पर सरकार फरलो मंजूर या नामंजूर करती है। इसके अंतर्गत कैदी एक साल में तीन बार बाहर आ सकता है। बता दें कि फरलो सिर्फ सजा पा चुके कैदी को ही मिलती है, इसका सीधा सा मकसद है कि कैदी परिवार से मिल सके। वहीं बात करें पैरोल की तो ये किसी भी कैदी, सजा पा चुके या विचारधीन कैदी को मिल सकती है। इसमें सजा के दौरान कैदी के अच्छे व्यवहार को देखते हुए पैरोल दी जा सकती है। वहीं कैदी की मानसिक स्थिति बिगड़ने, परिवार में अनहोनी होने, परिवार में शादी होनो पर पैरोल दी जाती है।