संजय गुप्ता, INDORE. मालवा-निमाड़ की दर्जन भर सीटों पर बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही दलों के बागी मैदान में उतरे थे, लेकिन इसमें से अधिकांश जमानत भी नहीं बचा सके। लेकिन यह जरूर है कि इन्होंने प्रत्याशियों के वोट में सेंध जरूर लगाई है। जैसे महू में अंतरसिंह दरबार की बात हो या आलोट में प्रेमचंद गुड्डु की या जोबट में माधो सिंह डाबर की, लेकिन खुद किसी भी जगह पर जीत हासिल नहीं कर सके हैं। महू, मल्हारगढ़ और आलोट में बागी दूसरे नंबर पर रहे। हालांकि, अब इन बागियों के राजनीतिक भविष्य पर भी संकट छा गया है।
विधानसभा सीट और उनके बागियों का हाल...
महू
यहां से कांग्रेस के दो बार के बागी अंतर सिंह दरबार मैदान में थे। यह खुद को नहीं जीत सके, लेकिन कांग्रेस के उम्मीदवार रामकिशोर शुक्ला का भारी नुकसान पहुंचाया। दरबार यहां पर बीजेपी के बाद दूसरे नंबर पर रहे और शुक्ला तीसरे पायदान पर खिसक गए। दरबार को 68597 वोट मिले। शुक्ला केवल 29144 वोट हासिल कर सके। उषा ठाकुर 34392 वोट से जीती।
धार
यहां से बीजेपी के बागी राजू यादव और कांग्रेस के बागी कुलदीप बुंदेला। बीजेपी की नीना वर्मा 9694 वोट से जीती। राजू यादव ने 21114 वोट हासिल किए और बड़ी सेंध लगाई और कुलदीप बुंदेला ने 6948 वोट काटे।
जोबट
बीजेपी के दो बार के विधायक माधोसिंह डावर इस बार निर्दलीय मैदान में उतरे और 21312 वोट की चोट दी। इसके चलते बीजेपी के विशाल रावत की हार हुई। कांग्रेस की सेना पटेल आसानी से 38757 वोट से जीत गई।
आलोट
कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रेमचंद गुड्डु आलोट से उतरे थे और वह अंतरसिंह दरबार की तरह यहां दूसरे नंबर पर रहे। बीजेपी के डॉ. चिंतामणि मालवीय 68884 वोट से जीते। गुड्डु के खाते में 37878 वोट गए और वह दूसरे पायदान पर रहे, वहीं कांग्रेस के विधायक मनोज चावला की करारी हार हुई।
बड़नगर
कांग्रेस के बागी निर्दलीय प्रत्याशी राजेंद्र सोलंकी ने यहां 31005 वोट में सेंध लगाई और कांग्रेस के मुरली मोरवाल बीजेपी के जितेंद्र पंड्या से 36693 वोट से हार गए। यानि सोलंकी ने कांग्रेस की सीट हरवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
बुरहानपुर
बीजेपी के पूर्व सांसद स्वर्गीय नंदू चौहान के बेटे हर्ष चौहान ने टिकट नहीं मिलने पर मोर्चा खोला और बागी हो गए। उन्होंने 35435 वोट काटे, लेकिन वह बीजेपी की अर्चना चिटनीस को जीतने से नहीं रोक सके, वह 31171 वोट से जीती। कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह शेरा दूसरे नंबर पर रहे। एआईएमआईएम के नफीस मंशा खान ने भी कांग्रेस को चोट पहुंचाई, उन्हें 33853 वोट मिले।
मल्हारगढ़
कांग्रेस के बागी श्यामलाल जोकचंद यहां से उतरे थे और वह दूसरे नंबर पर रहे, उन्हें 56474 वोट मिले। लेकिन वह बीजेपी के जगदीश देवड़ा 59024 वोट से जीतने से नहीं रोक सके। उधर कांग्रेस के परशुराम सिसौदिया को केवल 36163 वोट ही मिले।
देपालपुर
हिंदूवादी संगठन जबरेशवर के राजेंद्र चौधरी ने बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय बन गए। उन्होंने 37920 वोट हासिल किए, लेकिन यह बीजेपी की जगह कांग्रेस को नुकसान हुआ। कांग्रेस के विशाल पटेल, बीजेपी के मनोज पटेल से 13698 वोट से हार गए।
जावद
बीजेपी के जनपद अध्यक्ष रह चुके पूरणमल अहीर भी बागी हुए और 36151 वोट काटे, बीजेपी के ओमप्रकाश सखलेचा बमुश्किल सीट बचा पाए औऱ् 2364 वोट से जीते। कांग्रेस के समंदर पटेल जो साल 2018 में बागी थे, वह इस बार सखलेचा से चुनाव हार गए।
जावरा
करणी सेना के नेता जीवन सिंह शेरपुर कांग्रेस से टिकट चाहते थे नहीं मिलने पर निर्दलीय हुए और 40766 वोट में सेंध लगा दी, नतीजतन कांग्रेस के वीरेंद्र सिंह सोलंकी को 26021 वोट से हार झेलना पड़ी। बीजेपी के राजेंद्र पांडे आसानी से जीत गए।
झाबुआ
बीजेपी से नगर पालिका अध्यक्ष रहे धनसिंह बरिया केवल 2555 वोट ही काट पाए, कांग्रेस के डॉ. विक्रांत भूरिया ने बीजेपी के भानू भूरिया पर 15693 वोट से जीत हासिल की।
अलीराजपुर
बीजेपी के जिलाध्यक्ष वकील सिंह ठकराल के करीबी सुरेंद्र सिंह ठकराल, निर्दलीय उतरे और 11361 वोट ले गए, उनके चलते बीजेपी के प्रत्याशी नागर सिंह चौहान की जीत बहुत मुश्किल से हुई और केवल 3724 वोट से जीत सके। कांग्रेस के मुकेश पटेल की हार हुई।