BHOPAL. प्रदेश में 17 नवंबर को मतदान का सिलसिला थम गया। बता दें कि इस बार का चुनाव पूरी तरह से डीजिटली तौर पर संपन्न हुआ। इस दौरान पार्टी भी सोशल मीडिया पर पूरी तरह से एक्टिव नजर आई। 17 नवंबर के बाद से कांग्रेस और बीजेपी के सेंट्रल वॉर रुम में हलचल तेजी से बढ़ गई है। जब पार्टियों के टीम से काम का विवरण लिया गया तो पता चला कि दोनों पार्टियों के सैकड़ों लोगों के ग्रुप्स में लगातार काम कर रही है।
अचानक PCC वॉर रूम पहुंचे : राहुल
बता दें कि बीते रविवार यानी 19 नवंबर को कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी अचानक कांग्रेस वॉर रुम पहुंचे। इस दौरान वॉर रुम के चेयरमैन पूर्व आईएएस सशिकांत सैंथिल अपने टीम के साथ लगातार अपने कामों में लगे थे। जानकारी के मुताबिक शशिकांत पूर्व में तमिलनाडु में एक बार ये जिम्मेदारी भलीभांति संभाल चुके हैं। इस दौरान राहुल ने मतदान के बाद का रिपोर्ट कार्ड भी मांगा और सोशल मीडिया टीम से बातचीत की।
इस तरह होते हैं वॉर रुम में काम
जानकारी के मुताबिक वॉर रुम में सबसे पहले मॉर्निंग स्टैंडअप मीटिंग के साथ दिन की शुरुआत होती है। इसके बाद बूथ अध्यक्ष से जिलाध्यक्ष और प्रत्याशी से लेकर प्रदेश पदाधिकारी तक की डे-टू-डे मॉनिटरिंग की जाती है। वहीं सैंथिल का कहना है कि कार्यकर्ताओं को उनके काबिलियत के तौर पर काम सौंपा गया है।
- रिसर्च ग्रुप - डेटा कलेक्शन व प्लानिंग पर काम कर रही रिसर्च टीम बड़े नेताओं को भाषण-दौरों के लिए डेटा व प्लानिंग देने के साथ-साथ कार्यकर्ताओं को फीड भी कर रही है।
- कंटिंजेंसी डिविजन : पूरे दिन की एक्टिविटी मैनेज करना इसकी जिम्मेदारी है। इसी के साथ ये सोशल मीडिया पर भी पूरी तरह से नजर रखती है कि कैसे काम करना है, कौन-सा कंटेंट कब जाना है।
- बूथ मैनेजमेंट : बूथ के दायित्व, कैसे संपर्क करना है, बूथ कार्यकर्ता व कमेटी की वर्किंग आदि की रणनीति का जिम्मा है। साथ ही पूरे सप्ताह की गतिविधि को मैनेज करना भी इसी का काम है।
- लीगल सेल : 10-12 एक्सपर्ट की टीम। शिकायतों का निपटारा करना। विरोधी पार्टियों के आचार संहिता उल्लंघन मामलों पर नजर रखना।
- बीजेपी वॉररूम : सभा-दौरे यहीं से तय किए जाते हैं हो, और विरोधियों पर तुरंत काउंटर भी करने की जिम्मेदारी इनके उपर होती है।
- मीडिया सेल : दिनभर नेताओं की प्रेस कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस संगठन व सरकार पर पलटवार सहित कई काम यहां से तय किए जाते हैं।
- सोशल मीडिया सेल : पार्टी के पक्ष में माहौल बनाना, कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करना जैसी रणनीति। हर जिले में कार्यरत पार्टी की सोशल मीडिया टीम की यहां से मॉनिटरिंग की जाती है। साथ ही कांग्रेस नेताओं के भाषण, पोस्ट, इवेंट्स को कुछ ही सेकंड में काउंटर की वर्किंग करना आदि।