25 रुपये से 540 करोड़ बनाने का ऐसा हाइटेक एक्सटॉरशन सिस्टम कि सामने किसी मल्टी नेशनल कंपनी का मैनजमेंट भी फेल!

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Ruchi Verma
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25 रुपये से 540 करोड़ बनाने का ऐसा हाइटेक एक्सटॉरशन सिस्टम कि सामने किसी मल्टी नेशनल कंपनी का मैनजमेंट भी फेल!

BHOPAL: छत्तीसगढ़ कोल स्कैम - द ईडी फाइल्स की पहली कड़ी में आपने जाना कि कोयला घोटाले को अंजाम देने के लिए मुख्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी ने कैसे आईएएस और छत्तीसगढ़ खनिज विभाग के डायरेक्टर समीर विश्नोई को सरकारी नियम बदलने के लिए कहा और समीर विश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को संशोधित आदेश भी जारी कर दिया और इसके बाद शुरू हुआ था 25 रु. प्रति टन के हिसाब से उगाही का खेल! और अब इस कड़ी में जानिये कैसे अधिसूचना जारी होने के बाद सूर्यकांत तिवारी ने राज्यभर में कोल ट्रांसपोर्टेशन एक्सटॉरशन का एक वेल ऑर्गनाइज़्ड बेहद हाइटेक सिस्टम खड़ा किया था। हाईटेक इसलिए कि जिसके सामने बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कम्पनी का मैनेजमेंट सिस्टम भी फेल हो जाए। इस वेल ऑर्गनाइज़्ड सिस्टम की कई लेयर थी, जो बारी-बारी से काम करती थीं। सूर्यकांत ने राजनेताओं और ब्यूरोक्रेट्स के साथ मिलकर जबरन पैसे ऐंठने के लिए जमीनी स्तर पर अपनी बड़ी ही मजबूत टीम बना रखी थी। इस कोल कार्टेल के सभी मेंबर्स का बाकायदा करा -कार्य, समय और तरीका- निर्धारित था। सिस्टम में हर चीज का बराबर हिसाब-किताब रखा जाता था। कुछ कम-ज्यादा हो तो, मिलान किया जाता था। आयकर विभाग द्वारा सूर्यकांत तिवारी और उनके सहयोगियों के कई परिसरों पर तलाशी और जब्ती की कार्रवाई के दौरान बड़ी संख्या में ऐसे आपत्तिजनक सबूत मिले हैं जिनसे इस नेटवर्क की बारीकियाँ जाहिर होती हैं....देखिये पूरी तस्वीर...

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ये जो डॉक्यूमेंट आप देख रहें हैं ,इसमें छुपा है छत्तीसगढ़ के कोल कार्टेल की कम करने का तरीका जिसमें कोल ट्रान्सपोर्टशन पर अवैध वसूली से 540 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया। अब पढ़िए इस अवैध वसूली के फ्लोचार्ट के पीछे की डिटेल...

कोयला ट्रांसपोर्ट के परमिट के लिए E-प्रक्रिया की जगह मैन्युअल NOC शुरू की गई: छत्तीसगढ़ राज्य एक खनिज समृद्ध राज्य है। यह कोयले के भंडार के लिए जाना जाता है जहाँ प्रतिवर्ष 15 करोड़ टन से अधिक कोयले का उत्पादन होता है। सत्ता जगत में खासा रसूख रखने वाले छत्तीसगढ़ के प्रभावशाली कोयला व्यापारी सूर्यकांत तिवारी ने कोल कार्टेल खड़ा करने की अपनी सुनियोजित साजिश के तहत, सबसे पहले भूविज्ञान और खनन विभाग के तत्कालीन निदेशक IAS समीर विश्नोई को इन्फ्लुएंस किया।

(***हमने पहली कड़ी में डिटेल में बताया था कि किस तरह सूर्यकान्त के कहने पर IAS समीर विश्नोई ने 15.07.2020 को जबरन वसूली प्रणाली के लिए जरुरी और सबसे एहम औज़ार - एक सरकारी अधिसूचना बिना किसी उचित परामर्श और उचित फ़ाइल कार्य के जारी की। इस मोडिफाइड अधिसूचना के जरिये राज्य में जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय के माइनिंग सेक्शन से मैन्युअल NOC प्राप्त करने की आवश्यकता शुरू की गई। और इस तरह से कोल यूजर कम्पनीज को NOC प्राप्त करने के लिए। पहले से मौजूद E-प्रक्रिया को ध्वस्त करते हुए... माइनिंग अधिकारी या DM को फिज़िकल रूप से आवेदन करने के लिए मजबूर किया गया ताकि उन्हें कोल ट्रांसपोर्टेशन के लिए परिवहन परमिट मिल सके।)

संशोधित नियम की अधिसूचना जारी होते ही सूर्यकांत ने कोयला ट्रांसपोर्टेशन व्यवसायियों से मीटिंग की: जुलाई, 2020 में ही हेमंत जयसवाल नाम के आदमी ने कोयला व्यवसायियों के साथ सूर्यकांत तिवारी की बैठक करवाई। इस बैठक में सूर्यकांत तिवारी ने सभी कोयला ट्रांसपोर्टेशन व्यवसायियों को 25 रुपए प्रति टन देने को कहा और धमकी दी कि अगर किसी ने उक्त राशि का भुगतान करने से इनकार कर दिया, तो उसके कोल वाहनों को ट्रान्सपोर्टेव के लिए अनुमति ही नहीं दी जाएगी। कारोबार प्रभावित होने के डर से सभी कोयला व्यवसायी सूर्यकांत तिवारी को जबरन वसूली देने को तैयार हो गये।

SECL यानी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की सभी 39 खदानों पर एजेंट्स को तैनात किया: अब 15 जुलाई 2020 को जैसे ही ये संशोधित अधिसूचना जारी हुई, सूर्यकांत तिवारी ने सबसे पहला काम किया छत्तीसगढ़ के उन सभी जिलों में अपने लोगों (एजेंटों) को तैनात करने का, जहां से SECL (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) द्वारा कोयले का खनन किया जाता है। बता दें कि SECL एकमात्र प्राधिकरण है जो राज्य में कोयले का खनन करती है। यह केंद्र सरकार की कंपनी है और साथ ही कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) की सहायक कंपनी है। छत्तीसगढ़ में स्टील, आयरन पेलेट्स और बिजली का कारोबार करने वाले बड़े और मध्यम स्तर के उद्योग आदि मौजूद हैं जो अपने कैप्टिव पावर प्लांट और अन्य जरूरतों के लिए SECL से कोयला खरीदते हैं।

ED के दस्तावेज़ों के मुताबिक इन एजेंट्स और उनकी जवाबदारी वाली जगहों का नाम:

रोशन कुमार सिंह ----- रायपुर

निखिल चंद्राकर ----- रायपुर

राहुल सिंह ----- सूरजपुर

नवनीत तिवारी ----- रायगढ़

पारेख कुर्रे ----- बिलासपुर

मोसेनुद्दीन कुरेशी ----- कोरबा

चन्द्र प्रकाश जयसवाल ----- बिलासपुर

वीरेंदर जैस्वाल ----- सूरजपुर

एजेंट्स को कोयला व्यवसायियों की कांटेक्ट डिटेल्स दी गईं: सभी एजेंट्स को रोशन सिंह (कार्टेल का एक प्रमुख आदमी) ने मोबाइल फोन, सिम और उन उन कोयला व्यवसायियों की कांटेक्ट डिटेल्स भी दी, जिनसे अवैध वसूली करनी होती थी।

एजेंट्स ने वसूली के काम में जरुरी अधिकारियों से संपर्क बनाया: उक्त सभी एजेंट्स ने वसूली के काम में में लगने वाले जरुरी अधिकारियों यानि अपने एरिया के डिस्ट्रिक्ट माइनिंग ऑफिसर्स, कलेक्टर्स, पुलिस विभाग, पर्यावरण विभाग, जीएसटी विभाग और श्रम विभाग के अधिकारियो के साथ संपर्क विकसित किया ।ये एजेंट्स इनके साथ व्हाट्सएप मेसेजेस और कॉल्स के माध्यम से या फिर सीधे ही संपर्क में होते थे।

वसूली एजेंट्स को 25 रुपये प्रति टन के अवैध भुगतान के बाद माइनिंग अफसर को NOC का मेसेज किया जाता: इस तरह जब सिंडिकेट के आदमी को जब कोयला व्यवसायियों द्वारा 25 रुपये प्रति टन का अवैध भुगतान हो जाता था। तब ये एजेंट्स उस स्पेसिफिक कोयला डिलीवरी आर्डर से जुड़ा डिटेल एरिया के सम्बंधित माइनिंग ऑफिसर को शेयर करते थे। और माइनिंग ऑफिसर उस स्पेसिफिक आर्डर का NOC जारी करता था। इन्वेस्टीगेशन में माइनिंग ऑफिसर्स ने स्वीकार किया गया है कि कोल ट्रान्सपोर्ट कंपनियों को NOC देने की पूरी प्रोसेस ही भ्रष्ट कर दी गई थी और कंपनियों के कोल डिलीवरी ऑर्डर्स (CDOs) को तब तक NOC नहीं दी जाती थी। जब तक वो कंपनी अपने डिलीवरी आर्डर पर सूर्यकांत के एजेंट्स को प्रति टन कोयले के लिए 25 रुपये का अवैध भुगतान नहीं कर देती थी। ED ने बड़ी संख्या में कोयला उपयोगकर्ताओं/खरीदारों/ट्रांसपोर्टरों और स्टील पेलेट्स, सीमेंट आदि जैसे अन्य क्षेत्रों के व्यापारियों के बयान दर्ज किए और अधिकांश ने स्वीकार किया कि उन्हें कोयले के लिए 25 रुपये प्रति टन की अवैध लेवी का भुगतान करने के लिए मजबूर किया गया था। और ये भुगतान किए बिना उन्हें NOC जारी नहीं की जाती थी। राहुल सिंह (सूर्यकांत तिवारी के सहयोगी) के व्हाट्सएप चैट से भी पता चलता है कि कैसे उसे माइनिंग अफसर और कोयला खरीदारों / ट्रांसपोर्टरों से मदद मिलती थी और इसीलिए कोल ट्रांसपोर्टेशन पर अवैध उगाही के भुगतान करने के बाद ही डिलीवरी आर्डर को क्लीयरेंस मिल पता था।

हर दिन 1-2 करोड़ रुपये की उगाही: सूर्यकांत तिवारी के चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी ने ED से कबूल किया है वो हर दिन 1-2 करोड़ रुपये की उगाही करता था। विभिन्न जिलों जैसे कोरबा, बिलासपुर, सूरजपुर, रायगढ़ जैसे स्थान से वसूल की गई अवैध वसूली की रकम रायपुर लाई जाती थी। इसे रायपुर में आई-34, अनुपम नगर स्थित सूर्यकांत तिवारी और उसके सहयोगियों के परिसर में एकत्रित किया जाता था। ED को दिए अपने बयान में एजेंट पारेख कुमार कुर्रे ने बताया कि वो और मोइन कुरेशी अवैध कोयला लेवी वसूली के लिए बिलासपुर और कोरबा जिले में तैनात थे। वे नगद रकम इक्कट्ठा करने के बाद उस नगद राशि को रायपुर में रोशन सिंह और निखिल चंद्राकर को सौंप देते थे। सिंडिकेट के एजेंट्स और कर्मचारी कोयले की निकासी का एक मासिक डेटा एकत्र करते थे। और उसे रोशन सिंह के साथ शेयर करते थे, जो उनके द्वारा एकत्र की गई नकदी से इसे सत्यापित करता थे। यदि कोई गड़बड़ी होती थी तो रोशन सिंह और निखिल चंद्राकर रायपुर जाकर उसे बराबर करते थे।

डायरी, व्हाट्सप्प ग्रुप और एक्सेल शीट्स से वसूली की हाईटेक और सुव्यवस्थित मॉनिटरिंग

अवैध वसूली की मॉनिटरिंग और इससे इक्कट्ठा राशि का बाकायदा दो लेवल की हाईटेक प्रोसेस के तहत पहले रफ़ और फिर में एक मजबूत-कंसोलिडेटेड डेटाबेस मेंटेन किया जाता था। पहले स्तर पर सिंडीकेट के कर्मचारी जो जिला स्तर पर तैनात होते थे, वो पास किये गए कोल डिलीवरी ऑर्डर्स का (कोयला मात्रा, कंपनी का नाम, डीओ नंबर इत्यादि) और इससे मिली वसूली/नकदी आदि का डेटा बनाकर इसे रोशन कुमार सिंह, निखिल चंद्राकर, रजनीकांत तिवारी और सूर्यकांत तिवारी के साथ साझा करते थे। इसके बाद, दूसरे स्तर पर रजनीकांत तिवारी, निखिल चंद्राकर और रोशन कुमार सिंह इस अवैध नकदी संग्रह के एक और ठोस डेटाबेस बनाकर रखते थे, साथ ही आगे इस अवैध रकम को कैसे, किनपर और कहाँ खर्च किया जाता था, इस बात का भी डेटाबेस बनाते थे।

डायरियों में डेटाबेस: बेहिसाब नकदी की इनकमिंग (आय) और आउटगोइंग (व्यय) के लिए बाकायदा हैंडरिटन डायरियां मेंटेन की जा रही थीं। ये डायरियाँ रैकेट के सरगना सूर्यकांत तिवारी के निर्देशों के अनुसार रखी जाती थीं और उनके भाई रजनीकांत तिवारी और अन्य सहयोगियों द्वारा लिखी जाती थीं। ED ने जो डायरियाँ जब्त की है उनकी संख्या और उसमें की गई एंट्रीज की संख्या और अवैध वसूली की रकम की डिटेल कुछ इस तरह है:

  • जब्त डायरियों की संख्या - 11
  • कितनी जगहों से ये डायरियाँ मिली - 2
  • इन डायरियों में इनकमिंग रकम की एंट्री कितनी हैं - 950
  • सूर्यकांत तिवारी के कर्मचारियों के माध्यम से की गई इनकमिंग एंट्रियों की संख्या - 900
  • सिंडिकेट का हिस्सा रहे ब्यूरोक्रेट्स द्वारा की गई इनकमिंग एंट्रियों की संख्या - 50
  • जब्त की गई डायरियों के अनुसार कितनी राशि इक्कट्ठी की गई - 540 करोड़
  • डायरियों में आवक और जावक राशि की कुल: 3000 से अधिक प्रविष्टियाँ

DIARY ENTRY.jpgडायरियों में रजनीकांत तिवारी ने निखिल चंद्राकर की एंट्रियों को निखिल लाया/निखिल के रूप में लिखा

संग्रह राशि को "आय/जमा/आवक" आदि के शीर्षक में लिखा जाता था और वितरित राशि को "व्यय या जावक" आदि के शीर्ष में लिखा जाता था। उदाहरण के तौर पर ED द्वारा जब्त डायरियों में रजनीकांत तिवारी ने निखिल चंद्राकर की एंट्रियों को: निखिल लाया/निखिल के रूप में लिखा था। इसी तरह व्यय की एंट्री वाली जब्त डायरियों में रजनीकांत तिवारी ने निखिल चंद्राकर का नाम: निखिल/निखिल चंद्राकर को दिए गए पैसे से नोट करता था।

कलेक्शन का डिजिटल रिकॉर्ड रखने के लिए व्हाट्सएप ग्रुप: जबरन वसूली का पैमाना और सीमा ऐसी थी कि सिस्टम और कलेक्शन का डिजिटल रिकॉर्ड रखने के उद्देश्य से व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाए गए थे। ताकि जबरन वसूली की रकम को वास्तविक समय में अपडेट किया जा सके। सिंडिकेट को संचालित करने के एक मुख्य आरोपी निखिल चंद्राकर ने ED को दिए अपने बयान में खुलासा किया है कि सूर्यकांत तिवारी ने उन्हें अवैध संग्रह और वितरण की रियाल टाइम मॉनिटरिंग और अपडेट के लिए पाल ग्रुप, दुर्ग ग्रुप, वीकली ग्रुप, टॉवर ग्रुप, जुगनू ग्रुप जैसे अलग-अलग व्हाट्सएप ग्रुप बनाने के लिए कहा था। सूर्यकांत तिवारी, रजनीकांत तिवारी, निखिल चंद्राकर और रोशन कुमार सिंह इन व्हाट्सएप समूहों में नकद संग्रह और वितरण / उपयोग का विवरण साझा करते थे।

WEEKLY GROUP.jpg                     वीकली ग्रुप

  • टुडे ग्रुप: इसमें रोज हुए कलेक्शन का डेली बेसिस पर अपडेट दिया जाता था।
  • वीकली ग्रुप: इसमें साप्ताहिक बेसिस पर हुए कलेक्शन का अपडेट होता था।
  • जुगनू ग्रुप: इस ग्रुप को डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फण्ड के कॉन्ट्रैक्टर्स से कमिशन के पैसों की अपडेटेड जानकारी के लिए बनाया गया था।
  • दुर्ग ग्रुप: निखिल चंद्राकर रोशन सिंह के साथ दुर्ग व्हाट्सएप चैट ग्रुप से जुड़ा था। कांग्रेस विधायक देवेन्द्र यादव के नाम पर की गई नकद एंट्रीज की पुष्टि करने के लिए 'दुर्ग ग्रुप' नामक एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया हुआ था।
  • पाल ग्रुप: निखिल चनद्रकार और रोशन सिंह के द्वारा एकत्र किये गए रूपये जो सूर्यकान्त तिवारी के घर/ ऑफिस पर रखे जाते हैं उनकी एंट्री के लिए 'पाल ग्रुप' बनाया गया था।

अवैध उगाही की एक्सेल शीट भी मेंटेन: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तलाशी अभियान के दौरान, इस सिंडिकेट के सदस्यों के कब्जे से विभिन्न दस्तावेज/ डिजिटल उपकरण जब्त किए गए, जिनसे इस बात का भी खुलासा हुआ कि कोयले कर की जा रही अवैध उगाही (DO नंबर, दिनांक, इश्यू नंबर, कंसाइनी का नाम, DO मात्रा, कोयला मात्रा के 25 से गुणा की जाने वाली राशि सहित) के संबंध में एक्सेल शीट भी मेंटेन की जा रहीं थीं। जांच में निखिल चंद्राकर ने एक्सेल शीटों की बात भी मानी। व्हाट्सएप चैट, हाथ से लिखी डायरियों, एक्सेल शीट्स और जांच के दौरान एकत्र किए गए अन्य सभी सबूतों और बयानों से पता चलता है कि जुलाई, 2020 से जून, 2022 की अवधि के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य में कोयला ट्रांसपोर्टरों और अन्य व्यवसायियों से 540 करोड़ रु. के लगभग अवैध उगाही की गई।

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एक्सेल शीट्स के उदाहरण: PMLA की धारा 50 के तहत 14 जनवरी 2023 को ED को दिए अपने बयान में एजेंट वीरेंद्र जयसवाल ने कि वो सूरजपुर और अंबिकापुर जिले के व्यापारियों से वसूली गई नकदी को रायपुर जाकर रोशन सिंह के पास जमा करता था। सबूत के तौर पर इन कुछ दस्तावेज़ों में कोयले के डिलीवरी आर्डर की नंबर एवं डेट, माइंस, पार्टी का नाम, कोयले का वजन का विवरण है। और इन दस्तावजो में कोयले के वजन को 25 से गुना करने पर प्राप्त राशि की डिटेल भी दिया गया है। यह 25 रूपये कोयले के ट्रांसपोर्ट पर डिलीवरी आर्डर के हिसाब से प्रति टन वसूला गया है। इन दस्तावेजो को मैंने रोशन सिंह को भेजा है। उपरोक्त दस्तावेजो में दिए डिलीवरी आर्डर के विवरण के सामने रिमार्क दिया गया है उन डिलीवरी आर्डर के लिए 25 रूपये प्रति टन की वसूली रायपुर में रोशन सिंह के द्वारा की गई है।

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PMLA की धारा 50 के तहत 14 जनवरी 2023 को ED को दिए अपने बयान में वीरेंद्र जयसवाल ने कि वो सूरजपुर और अंबिकापुर जिले के व्यापारियों से वसूली गई नकदी को रायपुर जाकर रोशन सिंह के पास जमा करता था। सबूत के तौर पर इन कुछ दस्तावेज़ों में कोयले के डिलीवरी आर्डर की नंबर एवं डेट, माइंस, पार्टी का नाम, कोयले का वजन का विवरण है। और इन दस्तावजो में कोयले के वजन को 25 से गुना करने पर प्राप्त राशि की डिटेल भी दिया गया है। यह 25 रूपये कोयले के ट्रांसपोर्ट पर डिलीवरी आर्डर के हिसाब से प्रति टन वसूला गया है। इन दस्तावेजो को मैंने रोशन सिंह को भेजा है। उपरोक्त दस्तावेजो में दिए डिलीवरी आर्डर के विवरण के सामने रिमार्क दिया गया है उन डिलीवरी आर्डर के लिए 25 रूपये प्रति टन की वसूली रायपुर में रोशन सिंह के द्वारा की गई है।

रायपुर में अवैध नकदी को के सत्यापन (वसूली गई नकदी को पास किये गए CDOs की संख्या से मिलान करना) के बाद रोशन सिंह, निखिल चंद्राकर और रजनीकांत तिवारी सारी नकद राशि महासमुंद में रजनीकांत तिवारी और लक्ष्मीकांत तिवारी के घर में रख आते थे। आयकर तलाशी के दौरान 6,44,38,000/- रुपये की नकदी और 3,24,61,655/- रूपये मूल्य के सूर्यकांत तिवारी के आभूषण महासमुंद स्थित लक्ष्मीकांत तिवारी के घर से जब्त हुए

इसके बाद एकत्रित अवैध वसूली की रकम का एक हिस्सा सरकारी अधिकारियों, राजनेताओं और सिंडिकेट के हिस्सेदारों को जाता था। उदाहरण के तौर पर कई बार सूर्यकान्त तिवारी के कहने पर निखिल चंद्राकर, रजनीकांत तिवारी और रोशन सिंह बैग्स में नकदी (प्रत्येक बैग में 1 करोड़ रुपये) भरकर अलग-अलग व्यक्ति जैसे सौम्या चौरसिया और MLA देवेन्द्र यादव को भेजते थे।

वीडियो देखिए..

CG COAL SCAM पार्ट-1 - Chhattisgarh में कैसे दिया गया 540 करोड़ के Coal Scam को अंजाम?

CG COAL SCAM पार्ट-2 - घोटालेबाजों ने कैसे बनाया हाईटेक नेटवर्क, नौकरशाहों-नेताओं को कैसे किया इन्वॉल्व?

अगली कड़ी में जानिये इस पूरे नेटवर्क में आर मैडम, डी यादव और चंद्र कौन थे!

अब तक आपने देखा कि किस तरह कोयले पर अवैध वसूलने के लिए किंगपिन सूर्यकान्त तिवारी ने राज्य के नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स की मिलीभगत से उगाही का एक नेटवर्क तैयार किया और एक पूरा सिंडिकेट खड़ा किया। आगे की कड़ी में देखिये कि कैसे ये पूरी अवैध वसूली बिना किसी रुकावट के इसलिए चल पाई क्योंकि सूर्यकांत तिवारी को राज्य में मौजूद सभी बड़ी ताकतों - फिर चाहे वो राजनैतिक हों या फिर ब्यूरोक्रेटिक - सभी का समर्थन प्राप्त था और वरिष्ठ IAS/IPS अधिकारियों के साथ करीबी संबंध।

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