संजय गुप्ता, INDORE. देश में इंडिया और भारत नाम को लेकर भारी बहस चल रही है और इसी बीच देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी ने गुरुवार को हुई कार्य परिषद बैठक में एक अहम निर्णय ले लिया है। यूनिवर्सिटी अब अपने नियमित कामकाज और सिलेबस से लेकर हर जगह अब देश के लिए भारत नाम का उपयोग करेगी। इंडिया नहीं लिखा जाएगा।
जल्द जारी होगी गाइडलाइन
कार्य परिषद सदस्य अनंत पंवार ने इंडिया शब्द हटाने का प्रस्ताव बैठक में रखा जिसे मंजूरी दे दी गई। यूनिवर्सिटी के मीडिया प्रभारी डॉ. चंदन गुप्ता ने बताया कि जल्द इसे लेकर विस्तृत गाइड लाइन तैयार की जाएगी।
पत्र व्यवहार हिंदी में ही करेगी यूनिवर्सिटी
इसके साथ ही हिंदी दिवस पर हुई बैठक में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए ये फैसला हुआ कि अब नियमित पत्र-व्यवहार में हिंदी भाषा का उपयोग होगा। डीएवीवी ऐसा करने वाली संभवतः देश की पहली यूनिवर्सिटी होगी। अफसरों, कुलपति और विभागाध्यक्षों की नेम प्लेट पर भी हिंदी में नाम और पद लिखा जाएगा। कार्य परिषद ने सर्वसम्मति से इन दोनों के अहम निर्णयों को मंजूरी दे दी। यूनिवर्सिटी शासन, छात्रों और कॉलेजों से जो भी पत्र व्यवहार करेगी, वो पूरी तरह हिंदी में होगा। यही नहीं जहां भी देश के नाम का जिक्र होगा, वहां भारत लिखा जाएगा। इंडिया का कहीं उपयोग नहीं होगा।
ये भी लिए गए फैसले
बैठक में करियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत मैनेजमेंट, फार्मेसी और इकोनॉमिक्स विभाग की 20 फैकल्टी के प्रमोशन को हरी झंडी भी दे दी गई। ये भी निर्णय लिया गया कि अब डीएवीवी में संस्कृत अध्ययन केंद्र खुलेगा। स्कूल ऑफ लैंग्वेज में इसकी शुरुआत होगी, यहां छात्रों को संस्कृत सिखाने और इस भाषा के व्यापक प्रचार-प्रसार पर काम होगा। कुलाधिपति नॉमिनी सभी 6 सदस्यों की ये अंतिम बैठक थी। 6 सदस्य अनंत पवार, विश्वास व्यास, ओपी शर्मा, जगदीश चौहान, सुनीता जोशी और मोनिका गौड़ का कार्यकाल खत्म हो गया।
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कांट्रेक्ट फैकल्टी को 50 हजार मिलेंगे
बैठक में सीएम द्वारा अतिथि विद्वान को हर महीने 50 हजार रुपए दिए जाने की घोषणा के तहत यूनिवर्सिटी ने ये भी फैसला लिया कि अनुबंध आधार पर सेवाएं दे रहीं 49 फैकल्टी को 50 हजार रुपए प्रति माह दिया जाएगा। पहले उन्हें 35 हजार रुपए मिल रहे थे।
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नियमित पदों पर नियुक्ति के लिफाफे नहीं खुले, करना होगा इंतजार
डीएवीवी में जिन 92 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है, उसके लिफाफे इस बैठक में नहीं खुले। तय किया गया कि सारे इंटरव्यू होने के बाद एक साथ लिफाफे खोले जाएंगे। वैसे ज्यादातर इंटरव्यू हो चुके हैं लेकिन, सदस्यों ने तर्क दिया कि अगर कुछ विषयों के लिफाफे खोलकर अभी नियुक्ति दी गई तो बाद में बाकी फैकल्टी और इनके बीच वरिष्ठता का मुद्दा उठेगा।