हरीश दिवेकर, BHOPAL. बोलिए 'ल' से लाड़ली बहना...म से मामा। मध्यप्रदेश में इन दिनों इन्हीं दो शब्दों की गूंज है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान धड़ाधड़ घोषणाएं किए जा रहे हैं। अब तो लोग सोशल मीडिया पर पूछने लगे हैं कि 'काय शिवराज मम्मा, घोषणाएं कब तक'? अब शिवराज ने कहा कि प्रदेश में 1.35 करोड़ परिवारों को 450 रुपए में सिलेंडर मिलेगा। इसमें 'मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना' की पात्रधारक और उज्ज्वला योजना की महिलाओं को अब सालभर 450 रुपए में सिलेंडर दिया जाएगा। आज भी यानि 10 सितंबर को मामा ने ग्वालियर के फूलबाग मैदान से महिलाओं के खाते में 1000 रुपए ट्रांसफर किए। इधर, तू चल मैं आया… वाला खेला भी मध्यप्रदेश में जारी है। भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने के 9 दिन बाद पूर्व विधायक पंडित गिरजाशंकर शर्मा ने कांग्रेस पार्टी का झंडा उठा लिया। इसके उलट कांग्रेस की रणनीति किसी को समझ ही नहीं आ रही। भाजपा जहां बुलेट ट्रेन की रफ्तार से आगे बढ़ रही है, वहीं कांग्रेस की पैदल चाल जारी है।
चलिए अब चलें दिल्ली। G-20 समिट के आखिरी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने G-20 की अध्यक्षता ब्राजील के राष्ट्रपति को सौंप दी। अगले साल यह समिट ब्राजील में होगी। पीएम मोदी ने ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा को बधाई भी दी। इसके बाद लूला डा सिल्वा ने कहा कि गरीब देशों की कर्ज की समस्या पर ध्यान देना होगा। इससे पहले तीसरे सेशन के दौरान घोषणा पत्र पर औपचारिक मुहर लगाई गई। शिखर सम्मेलन शुरू होने से ठीक पहले ब्राजील और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने पीएम मोदी को पौधे भेंट किए। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन वियतनाम दौरे के लिए रवाना हो गए। देश- प्रदेश में खबरें तो और भी हैं, पर आप तो सीधे नीचे उतर आइए और 'बोल हरि बोल' के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।
करो या मरो के मूड में मामा
मामा अपना रिकॉर्ड बनाने के फेर में लगातार चौके, छक्के लगा रहे हैं। दोनों हाथों से खजाना उलीचा जा रहा है। मामा के एक्शन मोड में आने के बाद कांग्रेस अब घोषणाओं के मामले में पूरी तरह से बैकफुट पर आ गई है। कांग्रेस को आचार संहिता लगने का इंतजार है, लेकिन मामा हैं कि आचार संहिता लगने से पहले बजट का गणित समझे बिना सारी डिमांड पूरी करने पर उतारु हैं। हर दिन नई घोषणा और उस पर अमल जारी है। ये बात अलग है कि आने वाली सरकार के मुखिया को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। आगे जो होगा, देखा जाएगा। अभी तो मामा पर बीजेपी के मुख्यमंत्रियों में सबसे ज्यादा चुनाव जीतने और लंबे समय तक सीएम बनने का रिकॉर्ड बनाने की धुन सवार है।
एंटी इनकम्बेंसी पर सवार कमलनाथ
कांग्रेस का चुनावी मैदान में फुल मोड पर एक्टिव न होना और कछुआ चाल चर्चा का विषय बना हुआ है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि कमलनाथ इस बार शिवराज सरकार की एंटी इनकम्बेंसी और पार्टी की आपसी खींचतान पर सवार होकर चुनावी वैतरणी पार करना चाहते हैं। दरअसल, कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि इस बार का चुनाव बीजेपी वर्सेज जनता का है, ऐसे में कांग्रेस जरूरत से ज्यादा एक्टिव होती है तो ये मामला गुम हो जाएगा। यही वजह है कि मामा की धड़ाधड़ घोषणाएं, बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह से लेकर दिल्ली और प्रदेश के भारी- भरकम नेता भी अभी ऐसा माहौल खड़ा नहीं कर पाए कि बीजेपी एकतरफा चुनाव जीत रही है। हालांकि चुनाव में अभी दो माह बाकी हैं, वैसे भी चुनावी मौसम तो 24 घंटे में बदल जाता है। आज की परिस्थिति में कांग्रेस की कछुआ चाल से बीजेपी हैरान परेशान दिख रही है।
ये कर्नल कौन है भाई
प्रदेश में एक कर्नल ने ऐसी मुरली बजाई कि कई अफसर इसके शिकार हो गए। कुछ को कलेक्टरी दिलाने तो कुछ को विभाग की अहम जिम्मेदारी दिलाने के नाम पर कर्नल साहब ने मोटी रकम वसूली। काम नहीं हुआ तो तकादा शुरू हुआ, लेकिन कर्नल ने पहचानने से ही इनकार कर दिया। लंबे समय से लूप लाइन में पदस्थ एक इंजीनियर ने मुख्यधारा में आने के लिए जुगाड़- तुगाड़ से 50 लाख कर्नल को दिए थे। काम न होने के बाद इंजीनियर परेशान हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें ये कर्नल दिल्ली में रहते हैं। बीजेपी के एक बड़े नेता के राइट हैंड माने जाते हैं। नेताजी को प्रदेश की जिम्मेदारी मिलने के बाद ही उन्होंने अपनी दुकान यहां खोली थी। खुफिया रिपोर्ट के बाद नेताजी को भी साइड लाइन कर दिया गया है।
ये प्रमुख सचिव हैं या प्रोफेसर
मंत्रालय में एक बड़े विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे प्रमुख सचिव से उनके अधीनस्थ काफी परेशान हैं। अब छोटे अधिकारी भी कहने लगे हैं कि साहब प्रमुख सचिव हैं या प्रोफेसर, जब देखो गलती पकड़कर डांट देते हैं। हालात ये हो गए हैं कि अब अधिकारी नोट शीट और फाइल तैयार करने के बाद उसे 10- 10 बार चैक करते हैं, क्योंकि साहब के पास फाइल जाते ही हिंदी में कमी निकलने पर साहब की नाराजगी का शिकार होना पड़ता है। प्रमुख सचिव का दर्द ये है कि अंग्रेजी ठीक से नहीं लिख पाते, समझ आता है, लेकिन हिंदी तो हमारी मातृ भाषा है, उसे तो ठीक से लिख लीजिए। अब साहब को कौन समझाए कि उनके पहले कई साहब आए, किसी ने नहीं रोका टोका तो नीचे वाले अफसर क्यों सुधार करते! खैर देर आए दुरुस्त आए, साहब लंबा टिके तो इस बात की पूरी संभावना है कि इस विभाग के अधिकारियों की हिंदी जरूर सुधर जाएगी।
तीनों प्रमोटी आईएएस जाएंगे कोर्ट
लोकायुक्त के चंगुल में फंसने के बाद अब तीनों आईएएस अपने आपको पाक- साफ बताने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। तीनों अफसरों का कहना है कि जिस मामले में उन पर केस दर्ज किया गया है, उसका आधार ही गलत है। कलेक्टर के अधिकार देने के बाद सरकार के नियमों के अनुसार ही आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को बेचने की अनुमति दी गई थी। यदि हम गलत हैं तो संबंधित कलेक्टर से लेकर प्रदेश का हर दूसरा एडिशनल कलेक्टर गलत है। क्योंकि प्रदेश के हर जिले में सालों से इस तरह की अनुमतियां दी जा रही हैं।
खाकी में साउथ लॉबी का सूर्य अस्त
खाकी वाले साहब लोगों में लॉबी का बड़ा खेला चलता है, यहां बिहारी लॉबी, साउथ लॉबी, लाला लॉबी, यूपी लॉबी और पंजाबी लॉबी अपने- अपने समय पर पॉवर में रही हैं। पंजाबी लॉबी तो बहुत पहले ही खत्म हो चुकी है। साउथ के अफसरों की पैरवी करने वाले उच्च स्तर पर पदस्थ सभी साउथ के अफसर रिटायर हो गए हैं। सिर्फ एक साहब बचे हैं, दिसंबर में इनके रिटायर होते ही इनकी लॉबी का भी अंत। इसके बाद नंबर आएगा बिहारी लॉबी का तो इनकी मुखिया मैडम भी मई में रिटायर हो जाएंगी। इसी के साथ बिहारियों का भी जलवा 8 महीने में खत्म ही समझो। मैडम लंबे समय से लूप लाइन में होने के बावजूद बिहारी लॉबी का झंडा दमदारी से थामे हुए हैं। जलवा बरकरार रहेगा तो लाला लॉबी का।