ये वो हैं जिनका टिकिट काटने में पार्टियों का आता है जोर, कई फैक्टर्स के कारण ये जीतते हैं बार-बार

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Chandresh Sharma
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ये वो हैं जिनका टिकिट काटने में पार्टियों का आता है जोर, कई फैक्टर्स के कारण ये जीतते हैं बार-बार

मनीष गोधा, JAIPUR. विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां चरम पर हैं और प्रत्याशियों के चयन का काम चल रहा है। किसी का टिकिट कट रहा है तो कोई एक बार फिर टिकिट लेकर चुनाव मैदान में है और कुछ ऐसे हैं जो पहली बार जनता के बीच जाने की तैयारी कर रहे हैं। इन सबके बीच कुछ ऐसे विधायक भी हैं, जिन्हें जनता का प्यार और आशीर्वाद बार-बार मिलता है। पार्टियां इनका टिकिट काटने के बारे में सोच भी नहीं पाती हैं। इनमें से कुछ तो ऐेसे होते हैं कि जो पार्टी में नीति निर्धारकों में होते हैं, लेकिन इनके अलावा कुछ ऐसे भी होते हैं, जो पार्टी में किसी अहम पद पर नहीं होते, लेकिन ये अपने क्षेत्र में लगातार सक्रिय रह कर और जनता से ऐसा सम्पर्क बना लेते हैं कि पार्टियां इनका टिकिट काटने के बारे में सोच भी नहीं पाती है। इन्हें बार-बार टिकिट मिलता है और ये हर बार जीत कर आते है। राजस्थान में एक ही सीट से जीतने वाले ऐसे 41 विधायक है। इनमें लगातार जीतने वालों की संख्या भाजपा में ज्यादा है, वहीं एक या दो हार के साथ कई बार जीतने वालों की संख्या कांग्रेस में ज्यादा है।

आखिर क्यों जीत रहे हैं ये विधायक लगातार

कुछ सीटों पर विधायकों के लगातार जीतने के पीछे कई तरह के फैक्टर काम करते हैं। जैसे

- कुछ नेता पार्टी में इतने बड़े पद पर पहुंच जाते हैं कि फिर जनता अपने आप ही बार-बार चुनती है, जैसे सीएम अशोक गहलोत या पूर्व सीएम वसुंधरा राजे

- जो नेता लगाातार जीतते हैं वे यूं तो दावा यही करते हैं कि वे 36 कौम के नेता है, और सबसे उन्हें वोट मिलते हैं, लेकिन किसी एक जाति विशेष की बहुलता भी इसके पीछे काम करती है। खासतौर पर रिजर्व सीटों पर यह फैक्टर सबसे ज्यादा काम करता है।

- लेकिन सबसे ज्यादा अहम है जनता के बीच बने रहना। लोगों के सुखदुख में काम आना। जैसे भाजपा की सूर्यकांता व्यास जोधपुर के सूरसागर से लगातार जीत रही हैं। आज 85 वर्ष की उम्र हो चुकी है, लेकिन जनता के बीच पकड़ ऐसी है कि पूरे क्षेत्र में जीजी के नाम से जानी जाती हैं। इसी तरह भाजपा के ही ज्ञानचंद पारख हैं जो पार्टी के सबसे अनुशासित और सक्रिय विधायकों में गिने जाते हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में काफी काम करते हैं जो सीधे लोगों से जुड़ा हुआ है।

- कार्यकर्ताओ की समर्पित टीम भी जीत का एक बड़ा कारण होती है। ऐसे कई विधायक हैं जो कार्यकर्ताओ की टीम के भरोसे ही लगातार जीतते आ रहे हैं। जैसे भाजपा के राजेन्द्र राठौड़ और कालीचरण सराफ।

- कुछ के लिए खुद के काम के साथ ही परिवार की विरासत भी काम कर जाती है जैसे भाजपा की सिद्वी कुमारी जो राजपरिवार से हैं या कांग्रेस के बृजेन्द्र ओला जो कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे शीशराम ओला के पुत्र हैं।

बीजेपी

1 वासुदेव देवनानी 4 बार लगातार, अजमेर उत्तर

2 अनिता भदेल, 4 बार लगातार, अजमेर दक्षिण

3 शंकर सिंह रावत तीन बार लगातार, ब्यावर

4 विट्ठल शंकर अवस्थी लगातार तीन बार भीलवाड़ा

5 सिद्धि कुमारी, लगातार तीन बार, बीजेपी बीकानेर पूर्व

6 चंद्रकांता मेघवाल तीन बार लगातार, केशोरायपाटन

7 राजेंद्र राठौड़, सात बार लगातार, चूरू

8 कालीचरण सराफ, सात बार लगातार मालवीय नगर जयपुर

9 नरपत सिंह राजवी 4 बार लगातार विद्याधर नगर जयपुर,

10 वसुंधरा राजे 4 बार लगातार, बीजेपी झालरापाटन झालावाड़

11 सूर्यकांता व्यास, लगातार सात बार, सूरसागर जोधपुर

12 पुष्पेंद्र सिंह लगातार पांच बार, बाली

13 ज्ञानचंद पारख लगातार पांच बार, पाली

14 गुलाब चंद कटारिया, सात बार, उदयपुर, अब असम के राज्यपाल है।

कांग्रेस

1 महेंद्रजीत सिंह मालवीय तीन बार लगातार, बागीदौरा बांसवाड़ा

2 मेवाराम जैन तीन बार लगातार कांग्रेस बाड़मेर

3 राजकुमार शर्मा, तीन बार लगातार नवलगढ़ झुंझुनू

4 गोविंद सिंह डोटासरा लगातार तीन बार कांग्रेस लक्ष्मणगढ़ सीकर

5 अशोक गहलोत, पांच बार, सरदारपुरा जोधपुर

6 बृजेान्द्र ओला, 3 बार, झुंझुनूं

ये ऐसे जो कई बार जीते, लेकिन क्रम टूटता रहा

इनके अलावा कुछ विधायक ऐसे भी हैं जो अपनी सीट से कई बार जीते है, लेकिन लगातार जीत का क्रम कायम नहीं रख पाए। ऐसे विधायकों की संख्या कांग्रेस में ज्यादा है और इनमें से ज्यादातर का रिकाॅर्ड 2013 की करारी हार में खराब हुआ है, जब कांग्रेस सिर्फ 21 सीट जीत पाई थी।

कांग्रेस

1 अर्जुन सिंह बामणिया, तीन बार, बांसवाड़ा

2 प्रमोद जैन भाया तीन बार, अंता बारां

3 हेमाराम चैधरी छह बार, गुढामालानी बाड़मेर

4 अमीन खान, 5 बार शिव जिला बाड़मेर

5 विश्वेंद्र सिंह, तीन बार, डीग कुम्हेर

6 बीडी कल्ला, 6 बार , बीकानेर पश्चिम

7 उदयलाल आंजना, तीन बार, निंबाहेड़ा

8  परसादी लाल मीणा, छह बार, लालसोट

9 बाबूलाल नागर, चार बार, दूदू

10  शांति धारीवाल, चार बार, कोटा उत्तर

11 रामनारायण मीणा, 5 बार, पीपल्दा कोटा

12 भरत सिंह कुंदनपुर, चार बार, सांगोद कोटा

13 महादेव सिंह खंडेला, छह बार, खंडेला सीकर

14 राजेंद्र पारीक, पांच बार कांग्रेस,

15 दीपेंद्र सिंह शेखावत, 5 बार, श्रीमाधोपुर सीकर

16 संयम लोढ़ा, तीन बार, सिरोही

17 दयाराम परमार, 6 बार, खेरवाड़ा उदयपुर

18 सीपी जोशी, 4 बार, नाथद्वारा

बीजेपी

1 कैलाश चंद मेघवाल, छह बार, शाहपुरा भीलवाड़ा, हालांकि अब पार्टी से बाहर कर दिए गए हैं

2 रामप्रताप कासनिया, चार बार, सूरतगढ़

3 रामलाल शर्मा, तीन बार, चैमूं

4 मदन दिलावर पांच बार बीजेपी रामगंज मंडी कोटा

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