मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान में चुनाव का बिगुल फूंका जा चुका है और राजनीतिक दल भी अपनी तैयारी में जुटे हुए है, लेकिन मुख्य मुकाबला एक बार फिर कांग्रेस और बीजेपी में ही होता दिख रहा है, क्योंकि राजस्थान में तीसरे मोर्चे की पार्टियों की इस बार भी कोई बहुत दमदार तैयारी नहीं दिख रही है। ये पार्टियां मैदान में तो हैं और दावे भी 200 सीटों पर चुनाव लड़ने के कर रही है। लेकिन, हकीकत में ये पार्टियां कुछ-कुछ सीटों पर ही दमदार स्थिति में हैं। ऐसा एक भी दल नहीं है जिसके बारे में यह कहा जा सके कि यह सभी या ज्यादातर सीटों पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना देगा।
राजस्थान में इस बार के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के अलावा मोटे तौर पर आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, माकपा, राष्ट्रीय लोकदल, जननायक जनता पार्टी और आदिवासी क्षेत्रों में बीटीपी और इससे अलग हुई बीएएपी चुनाव की तैयारी करते दिख रहे हैं। इनमें से आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और आरएलपी ने सभी 200 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। बाकी सभी चुनिंदा सीटों पर ही चुनाव लड़ेंगे। इनमें से आम आदमी पार्टी, माकपा और आरएलडी इंडिया गठबंधन का हिस्सा भी हैं, लेकिन राजस्थान में इनका कांग्रेस से कोई गठबंधन होता नजर नहीं आ रहा है।
देखिए क्या है इनकी तैयारी और कहां है प्रभाव
आम आदमी पार्टी- दिल्ली और पंजाब में सरकार बना चुकी है। आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर की पार्टी का दर्जा मिल चुका है और इसीलिए अब यह खुद को तीसरे मोर्चे की पार्टी नहीं बल्कि, तीसरी पार्टी कहलाना पसंद करती है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता योगेन्द्र गुप्ता कहते हैं कि हम तीसरा सबसे बड़ा दल हैं और राजस्थान में सभी 200 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने बताया कि नवरात्र की शुरुआत के बाद से पार्टी प्रत्याशियों की सूचियां आने लगेंगी। पिछले चुनाव के मुकाबले पार्टी इस बार काफी सक्रिय दिख रही है। पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल यहां सभाएं और टाउनहॉल कार्यक्रम कर चुके हैं और जिलास्तर पर भी पार्टी का गठन हो चुका है। हालांकि, पार्टी मुख्य तौर पर गंगानगर और हनुमानगढ़ और आसपास की पंजाब और हरियाणा से लगती सीटों पर फोकस करती दिख रही है।
पिछले चुनाव में यह था प्रदर्शन
142 सीटों पर चुनाव लड़ा, सभी पर जमानत जब्त हुई, 0.38 प्रतिशत वोट मिले
बहुजन समाज पार्टी
राष्ट्रीय स्तर की यह पार्टी पिछले तीन-चार चुनाव से लगातार सक्रिय है और प्रदर्शन भी ठीकठाक है। वर्ष 2008 में पार्टी ने 6, 2013 में 3 और 2018 में फिर 6 सीटे जीती थी। हालांकि, हर बार इसके विधायक कांग्रेस का दामन थाम लेते हैं, लेकिन पार्टी कई सीटों पर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाती रही है। इसका मुख्य आधार पूर्वी राजस्थान और उत्तरी राजस्थान की कुछ सीटें रही हैं। पूर्वी राजस्थान में मुख्य तौर पर जाटव और एससी की अन्य जातियां इसका वोट बैंक रही है। इस बार भी पार्टी 200 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर रही हैं। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा कहते हैं कि अभी तक 12 प्रत्याशी घोषित कर चुके हैं और शेष जल्द ही घोषित हो जाएंगे। दरअसल, कांग्रेस और बीजेपी के बागियों की शरणस्थली बसपा ही रहती है। ऐसे में दोनों दलों के टिकिट जैसे-जैसे सामने आते जाएंगे, बसपा को भी प्रत्याशी मिलते चले जाएंगे।
पिछले चुनाव का प्रदर्शन
190 सीटों पर चुनाव लड़ा, 6 सीटें जीती, 178 पर जमानत जब्त हुई, 4.03 प्रतिशत वोट मिले।
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी
नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल की यह पार्टी पिछले चुनाव में ही खुल कर मैदान में आई थी और इसने तीन सीटें जीत ली थी। पार्टी इस बार भी पूरी तैयारी के साथ चुनाव मैदान में आने की तैयारी कर रही है। पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं। हालांकि, प्रत्याशी अभी एक भी घोषित नहीं हुआ है। पार्टी मुख्य तौर पर नागौर और उत्तर-पश्चिमी राजस्थान में सक्रिय है और इसका ज्यादा प्रभाव इसी बैल्ट की सीटों पर दिखेगा। यह पार्टी भी इस बार कांग्रेस और बीजेपी के बागियो की शरणस्थली बनेगी।
पिछले चुनाव का परिणाम
58 सीटों पर चुनाव लड़ा, 3 जीती, 48 पर जमानत जब्त हुई, 2.40 प्रतिशत वोट मिले।
माकपा
राजस्थान में वामपंथी दल मुख्य तौर पर उत्तरी राजस्थान के सीकर, चूरू, झुंझुनूं, बीकानेर, गंगागनर, हनुमानगढ़ जिलों में सक्रिय है और इस बार भी स्थिति में कुछ बदलाव नहीं है। पार्टी के नेता इन्हीं जिलों में अपने प्रत्याशी उतारने की बात कह रहे हैं। कितनी सीटों पर प्रत्याशी उतारे जाएंगे यह अभी पूरी तरह से तय नहीं है।
पिछले चुनाव का परिणाम
28 सीटों पर चुनाव लडा, 2 सीट जीती, 23 पर जमानत जब्त हुई, 1.22 प्रतिशत वोट मिले।
भारतीय ट्राइबल पार्टी
यह पार्टी पिछले चुनाव में दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी बहुल जिलो जैसे डूंरगपुर, बांसवाडा, प्रतापगढ़ आदि में काफी सक्रिय थी। पार्टी की सक्रियता अभी भी बनी हुई है। हालांकि, अब यह बंट गई है और बीएपी के नाम से नई पार्टी अस्तित्व में आ गई है। इसके दो विधायक जीते थे और दोनों ने भारत आदिवासी पार्टी बना ली है।
पिछले चुनाव का परिणाम
11 पर चुनाव लडा, 2 सीट जीती, 8 पर जमानत जब्त हुई, 0.72 प्रतिशत वोट मिले।
आरएलडी
इस पार्टी का राजस्थान में वैसे कोई खास अस्तित्व नहीं है। पिछले चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन के तहत दो सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस बार भी पार्टी कांग्रेस से गठबंधन कर सकती है, क्योंकि इसके एक विधायक सरकार में मंत्री हैं। हालांकि गठबंधन होगा या नहीं यह अभी स्पष्ट नहीं है।
पिछला चुनाव परिणाम
2 सीटों पर चुनाव लड़ा, एक सीट जीती, 0.33 प्रतिशत वोट मिले।
इनके अलावा दुष्यंत चैटाला की जननायक जनता पार्टी प्रदेश मे 28 सीटों पर चुनाव लडने की तैयारी कर रही है। महाराष्ट्र की शिवसेना शिंदे गुट में सरकार के बर्खास्त मत्री राजेन्द्र गुढा शामिल हो गए हैं। यह कितनी सीटों पर चुनाव लडेगी यह अभी तय नहीं है। ये दोनों दल भाजपा से गठबंधन की आस भी लगाए बैठे हैं, लेकिन ऐसा होता दिखता नहीं है, क्योंकि हाल में घोषित भाजपा की 41 सीटों में से कई ऐसी है, जिन पर इन दलों को गठबंधन की उम्मीद थी। इनके अलावा असददु्दीन ओवेसी भी कुछ समय पहले तक काफी सक्रिय थे और 40 सीटों पर चुनाव लडने की बात कर रहे थे, लेकिन अब लम्बे समय से गायब है और चुनावी परिदृष्य में कहीं दिख नहीं रहे हैं।