मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को देर से लिस्ट जारी करने से क्या होगा बड़ा नुकसान? बीजेपी जारी कर चुकी है तीन लिस्ट

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Harish Divekar
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मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को देर से लिस्ट जारी करने से क्या होगा बड़ा नुकसान? बीजेपी जारी कर चुकी है तीन लिस्ट

BHOPAL. जीत का कॉन्फिडेंस या फिर हार को लेकर कंफ्यूजन अब कांग्रेस पर भारी पड़ रहा है। मध्यप्रदेश में बीजेपी की दो लिस्ट जारी होने के बाद कांग्रेस की लिस्ट का शिद्दत से इंतजार है। चुनाव से तकरीबन तीन महीने पहले बीजेपी ने एक लिस्ट जारी की और कुछ दिन पहले दूसरी लिस्ट। हर लिस्ट के साथ बीजेपी चुनावी रेस में आगे निकलती नजर आ रही है, जबकि कांग्रेस कदम दर कदम पिछड़ती दिख रही है। चुनावी पंडितों से लेकर मतदाता तक सब ये जानना चाहते हैं कि आखिर कांग्रेस लिस्ट क्यों नहीं जारी कर पा रही है। तो आपको बता दें इसके तीन प्रमुख कारण हैं, पहला जन आक्रोश यात्रा को हिट करना, दूसरा टिकट के दावेदारों में सामंजस्य बैठाना और तीसरा अहम कारण वो 9 सीटें हैं, जो 300 से 1000 वोटों के अंतर पर जीतीं थीं...इन नौ सीटों को कम नहीं समझा जा सकता। जहां प्रत्याशी चयन में जरा सी चूक बेहद कम अंतर से जीत का सेहरा सजवा सकती है तो हार का ठीकरा भी फोड़ सकती है।

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चुनावी चिंतक भी कांग्रेस की रणनीति को लेकर चिंतित हैं

लिस्ट जारी करने में बड़ी रणनीति के तहत बीजेपी ने बाजी तो मारी ही उन सीटों पर पत्ते खोल दिए जहां-जहां कांग्रेस के विधायक काबिज हैं। इन सीटों पर कौन सा सूरमा कितना दम लगाने वाला है अब ये कांग्रेस के सामने साफ है। हालांकि, बीजेपी के भीतरखानों से खबर आती रहती है कि प्रत्याशी बदले भी जा सकते हैं। खैर बीजेपी की चाल और हाल दोनों तकरीबन साफ होते जा रहे हैं, लेकिन कांग्रेस की रणनीति पर डला पर्दा अब तक नहीं उठा है। कांग्रेस की प्रचार की रणनीति क्या होगी। अगले चुनाव में मुद्दे क्या होंगे। और, इन सबसे बड़ी बात कि चेहरे कौन-कौन होंगे ये सब एक राज ही बना हुआ है। चुनावी पंडितों के माने तो अगले महीने यानी कि नवंबर में कभी भी चुनाव हो सकते हैं। अब अक्टूबर भी गुजरा जा रहा है, लेकिन कांग्रेस की ओर से लिस्ट को लेकर सुगबुगाहट भी नहीं है। ऐसे में चुनावी चिंतक भी कांग्रेस की रणनीति को लेकर चिंतित दिख रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस के अंदर के सूत्र कह रहे हैं कि 7 तारीख को कांग्रेस के केन्द्रीय चुनाव समिति के बाद कांग्रेस लगभग 150 उम्मीदवारों का ऐलान कर देगी।

दो बार की बैठक में 9 सीटों को लेकर ही मंथन हुआ

कांग्रेस का कहना है कि इस बार कमलनाथ 2018 नहीं कमलनाथ 2023 मैदान में हैं, इसलिए कांग्रेस की हर रणनीति कुछ अलग हटकर नजर आ रही है फिर चाहे वो प्रत्याशियों की लिस्ट का मामला हो या फिर बीजेपी के खिलाफ माहौल खड़ा करना हो। दो बार स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक हो चुकी है, दोनों में ही 9 सीटों को लेकर मंथन हुआ। वैसे कुछ उलझन उन सीटों ने भी बढ़ा दी है जहां बीजेपी ने अपने पुराने कद्दावर नेताओं पर दांव चल दिया है। इन सीटों पर मजबूत रणनीति तैयार करना भी जरूरी हो गया है। ये नौ सीटें हार और जीत में बड़ा अंतर ला सकती हैं, लेकिन सब कुछ इस डिपेंड करेगा इस बात पर की उन सीटों पर चेहरा कौन है। इसी सवाल के जवाब में कांग्रेस मुफीद चेहरा ढूंढने के लिए माथा पच्ची कर रही है।

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कांग्रेस की लिस्ट कब आएगी?

इस सवाल के जवाब में कांग्रेस की ओर से अक्सर यही जवाब मिलता रहा है कि लिस्ट जल्दी आएगी और जिनका टिकट तय है उन्हें इस बात की जानकारी दे दी गई है। इस जवाब के साथ यही जताने की कोशिश रही है कि तयशुदा प्रत्याशियों ने क्षेत्र में तैयारी शुरू कर दी है। यानी कि उन्हें तैयारी का पूरा समय मिल रहा है, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि बीजेपी की लिस्ट ने कांग्रेस का टेंशन जरूर बढ़ा दिया है। कांग्रेस की नजर अब तक उन सीटों पर थी जहां वो लगातार हार का शिकार हो रही है। इन सीटों के लिए सिर तो खपाया ही जा रहा था अब बीजेपी की लिस्ट के बड़े नामों ने भी कांग्रेस का टेंशन बढ़ा दिया है। बीजेपी इसे सीट जीतने के लिए अपना मास्टर स्ट्रोक भी मान कर चल रही है।

इन सीटों पर तो कांग्रेस फिक्रमंद है ही प्रदेश की कुल नौ सीटों पर सबसे ज्यादा टेंशन। सीटें सिर्फ नौ हैं, लेकिन टेंशन इसलिए लाजमी है क्योंकि पिछले बार इतने ही कम नंबरों से सरकार का खेल बना और बिगड़ा था।

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ये तय है कि कांग्रेस की सूची में कुछ कद्दावर विधायक रिपीट होंगे

साल 2018 में कांग्रेस ने 114 सीटों पर जीत हासिल की और बीजेपी 109 सीटों तक पहुंची। बहुमत के आंकड़े से महज 2 नंबर पीछे छूटी कांग्रेस जोड़ तोड़ कर पंद्रह साल बाद सत्ता में वापसी करने में कामयाब रही। इस चुनाव में कांग्रेस ने 56 सीटें ज्यादा हासिल कीं और बीजेपी को इतनी ही सीटों का फायदा भी हुआ। अब कोशिश इतिहास को बेहतर तरीके से दोहराने की है। अपनी मजबूत सीटों पर तो कांग्रेस ने फोकस कर ही लिया है। ये भी तय है कि कुछ कद्दावर विधायक रिपीट होंगे। अब ऐसी सीटों पर पूरा ध्यान लगा दिया गया है जहां हार बहुत कम मतों से हुए थी। सूत्रों के हवाले से खबर है कि कांग्रेस ने ऐसी नौ सीटें मार्क की हैं जहां हजार से कम वोटों से हार या जीत हुई थी। ऐसी गिनती की नौ सीट हैं।

इन सीटों पर कम मार्जिन से हार-जीत हुई थी...

  • बीना से महेश राय 460 मतों से जीते थे।
  • 720 मतों के अंतर से जीतने वाले कोलारस के बीजेपी विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी अब कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं।
  • जावरा से राजेन्द्र पांडे भी 511 मतों के अंतर से जीते थे।
  • चांदला सीट बीजेपी ने 1177 मतों से जीती।
  • ब्यावरा से 826 मतों से जीते गोवर्धन दांगी के निधन के बाद उपचुनाव में कांग्रेस के रामचंन्द्र दांगी विजयी रहे।
  • राजनगर से विक्रम सिंह 732, जबलपुर उत्तर से विनय सक्सेना और राजपुर से बाला बच्चन 932 मतों से जीते थे।
  • प्रदेश में सबसे कम 121 मतों के अंतर से कांग्रेस के प्रवीण पाठक ने ग्वालियर दक्षिण से जीत प्राप्त की थी।
  • इसके अलावा नागौद, देवतालाब और इंदौर पांच सीट पर भी कांग्रेस की पूरी नजर है।
  • दमोह, नेपानगर और सुवासरा सीट भी कम अंदर से हार जीत की गवाह बनी।
  • उपचुनाव के बाद इन सीटों के नतीजे उलट पलट भी हो चुके हैं।

बीजेपी की ही तरह कांग्रेस ने भी सर्वे करवाया है

इन सीटों पर कांग्रेस बहुत देख समझ कर प्रत्याशी उतारना चाहती है। ताकि हार के कम अंतर को जीत में बदला जा सके। चुनावी पंडितों के मुताबिक ये सीटों का आंकड़ा भले ही कम सुनाई देता हो, लेकिन हार जीत में काफी अहम साबित हो सकता है। बीजेपी की ही तरह कांग्रेस ने भी हर सीट पर सर्वे करवाया है। उसी के आधार पर टिकट भी दिए जाएंगे, लेकिन नौ सीटों पर कांग्रेस के आला नेता खासतौर से संजीदा हैं।

जीत के लिए एक-एक सीट पर जान लगानी होती है

अम्मीजान कहती थी कोई काम छोटा बड़ा नहीं होता। शाहरुख खान की फिल्म का ये डायलॉग चुनावी पिक्चर पर भी फिट बैठता है। अम्मीजान की तर्ज पर हर चुनाव यही सिखाकर जाता है कि कोई सीट छोटी बड़ी नहीं होती। जीत के लिए एक-एक सीट पर जान लगानी होती है। बस कांग्रेस भी नौ सीटों पर जान लगाकर एक प्रत्याशी तलाशने में जुट गई है। हार के कम अंतर को जीत में बदलने की कोशिश पूरी है। अब लिस्ट में जाहिर होने वाले नाम ये तय करेंगे कि अपनी इस कोशिश में कांग्रेस कितनी कामयाब होती है।

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