BHOPAL. मध्यप्रदेश में राजनीतिक दलों को चुनावों में जीत के लिए सरकारी योजनाओं से कहीं ज्यादा मुफ्त की योजनाओं पर ज्यादा भरोसा है। यही वजह है कि चुनावी साल में दोनों प्रमुख दल यानी कांग्रेस और बीजेपी ने वोटरों को मुफ्त की योजनाओं के जरिए लुभाने का खूब प्रयास किया है। बीजेपी सरकार की जहां लाड़ली बहना योजना के जरिए आधी आबादी के वोटों पर नजरें हैं, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी नारी सम्मान योजना और मुफ्त बिजली का पिटारा खोलकर चुनावी नैया पार लगाने की कोशिश की। मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्ष में बैठी कांग्रेस दोनों की नजरें अब रविवार को आने वाले परिणाम पर ही टिकी हैं।
बीजेपी की आधी आबादी यानी महिला वोट पर नजर...
लाड़ली बहना V/s नारी सम्मान
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने जन्मदिन के मौके पर महत्वाकांक्षी लाड़ली बहना योजना को लांच किया था, इस योजना में महिलाओं के बैंक खाते में जून से 1000 रुपए और उसके बाद रक्षाबंधन से 1250 रुपए हर महीने डाले जा रहे हैं। 1 जून को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भोपाल की गलियों में निकले और उन्होंने घर-घर जाकर कई हितग्राही महिलाओं को बकायदा लाड़ली बहना योजना के स्वीकृति पत्र भी सौंपे।
इसी लाइन पर चलते हुए कांग्रेस ने भी महिला वोटर्स को साधने के लिए दावा किया कि मध्य प्रदेश में सरकार बनते ही वह नारी सम्मान योजना शुरू करेंगे। नारी सम्मान योजना में हर पात्र महिला को 1500 रुपए प्रतिमाह देने का वादा कर दिया।
गैस सिलेंडर - बीजेपी V/s कांग्रेस
चुनावी साल में महिलाओं को साधने की योजना आई तो जाहिर है सियासत होनी ही थी और हुई भी। बीजेपी ने जहां महिलाओं के सबसे ज्याद उपयोग में आने वाले गैस सिलेंडर की कीमत घटाकर 450 रुपए की वहीं कांग्रेस ने 500 में सिलेंडर देने का वादा कर दिया। कांग्रेस ने भी मुफ्त के वादों का पिटारा जनता के सामने खोल कर रख दिया है। कमलनाथ ने ऐलान किया है कि कांग्रेस की सरकार बनी तो 100 यूनिट तक बिजली का बिल माफ कर दिया जाएगा, जबकि 200 यूनिट तक बिजली का बिल आधा करने का दावा कर डाला।
बड़ा सवाल - किस पर भरोसा करेगी जनता ?
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में किसान कर्ज माफी का ऐलान किया था, जिसका उसे जबरदस्त फायदा हुआ था और 15 साल बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनाने में सफल हो सकी थी। अब देखना ये है कि इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के किस मुफ्त चुनावी वादे पर जनता अपनी मुहर लगाती है।