RAIGARH. विधानसभा सीट पर बीजेपी से ओपी चौधरी को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद कांग्रेस के लिए ये सीट आसान नहीं रहने वाली है। ओपी चौधरी ओबीसी वर्ग से हैं, ऐसे में कांग्रेस भी ओबीसी कार्ड ही खेलने की तैयारी कर रही है। इस सीट पर स्थानीय विधायक प्रकाश नायक ओबीसी वर्ग से ही हैं। हालांकि उनके खिलाफ एंटीइन्कमबेंसी का फैक्टर भी है। लिहाजा अब ओबीसी वर्ग के दावेदार काफी सक्रिय हो गए हैं और रायपुर से लेकर दिल्ली तक की दौड़ लगा रहे हैं। एक दावेदार का तो दिल्ली से भी बुलावा आया हुआ है। ऐसे में रायगढ़ सीट पर हर रोज सियासी समीकरण बन बिगड़ रहे हैं।
ओबीसी प्रत्याशियों को मौका दे सकती है कांग्रेस
रायगढ़ विधानसभा सीट ऐसे तो पहले से ही प्रदेश के प्रमुख सीटों में शामिल रही है, लेकिन इस बार ओपी चौधरी के चुनावी मैदान में उतरने के बाद ये सीट हॉट सीट बन गई है। ओपी चौधरी के प्रत्याशी तय होने के बाद कांग्रेस अब इस सीट पर प्रत्याशी को लेकर रणनीति बना रही है। सियासी जानकारों का मानना है कि इस बार भी टिकट वितरण का फॉर्मूला ओबीसी के इर्द-गिर्द घूमने वाला है। इस सीट पर ओबीसी के मतदाताओं की संख्या 55 हजार से भी ज्यादा है, लिहाजा बीजेपी कैंडीडेट को देखते हुए कांग्रेस ओबीसी को ही मौका दे सकती है।
कांग्रेस आलाकमान के संपर्क में ओबीसी चेहरे
इस सीट पर स्थानीय विधायक प्रकाश नायक तो ओबीसी वर्ग से हैं ही, लेकिन उनके अलावा सभापति जयंत ठेठवार, संगीता गुप्ता, वासुदेव यादव जैसे चेहरे भी इसी वर्ग से आते हैं। ये सभी चेहरे लगातार आलाकमान के संपर्क में हैं और लगातार दौरा भी कर रहे हैं। एक दावेदार संगीता गुप्ता पिछले 4 दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। जानकारों का कहना है कि इस बार कांग्रेस ओपी चौधरी के खिलाफ हर हाल में मजबूत कैंडिडेट उतारना चाहेगी। ऐसे में टिकट वितरण का फॉर्मूला ओबीसी वर्ग के आसपास ही होगा।
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रायगढ़ का रण आसान नहीं
दावेदार भी अपनी सक्रियता और बैठकों की बात तो स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन उनका कहना है कि वे कांग्रेस की रीतियों-नीतियों को लेकर लोगों से जनसंपर्क कर रहे हैं। उनकी स्वाभाविक दावेदारी है और संगठन उन्हें अगर मौका देती है तो वे चुनाव भी लड़ना चाहेंगे। इधर मामले में कांग्रेस संगठन भी इस बात को स्वीकार कर रहा है कि बीजेपी से ओपी चौधरी जैसे बड़े चेहरे के चुनावी मैदान में उतरने के बाद रायगढ़ का रण आसान नहीं होगा। कांग्रेस का कहना है कि प्रदेश संगठन तमाम बिंदुओं पर नजर रखे हुए हैं। जातिगत समीकरण के साथ ही साथ जीतने वाले चेहरे को ही मौका दिया जाएगा। जिले से नामों का पैनल भेजा गया है जिसमें जल्द पीसीसी अंतिम फैसला लेगी।