अरुण तिवारी, BHOPAL. चुनावी नतीजे आने के बाद मध्यप्रदेश के सियासी गलियारों में एक सबसे बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है। एमपी के मन में मोदी तो मोदी के मन में कौन। यानी कौन बनेगा एमपी का नया मुख्यमंत्री। बीजेपी ने पिछले 20 साल में पहली बार बिना सीएम फेस के प्रदेश में चुनाव लड़ा है। इसके बाद 7 सांसदो व राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को मैदान में उतारने से कई चेहरों की दावेदारी पर चर्चा होने लगी। क्या शिवराज सिंह चौहान और इन राष्ट्रीय स्तर के नेताओं में किसी एक को चुना जाएगा या फिर कोई नया ही चेहरा आकर चौकाएगा। आखिर मोदी के मन में कौन है, इसको समझने की कोशिश करते हैं।
ये हो सकते हैं एमपी के संभावित मुख्यमंत्री...
शिवराज सिंह चौहान : सिटिंग सीएम होने के नाते शिवराज सिंह चौहान सीएम पद के स्वभाविक दावेदार हैं। दूसरा बड़ा कारण इस चुनाव में बीजेपी की जीत है। इस जीत का श्रेय शिवराज की लाड़ली बहनों को भी दिया जा रहा है। यदि बीजेपी में ज्यादा कशमकश की स्थिति होती है तो शिवराज ही ऐसा चेहरा साबित हो सकते हैं जिनके नाम का विरोध नहीं होगा क्योंकि वे प्रदेश के चार बार के मुख्यमंत्री और सिटिंग सीएम हैं। मोदी 2024 के लिहाज से भी अगला मुख्यमंत्री तय करेंगे। सीएम शिवराज के शासनकाल में ही बीजेपी ने लोकसभा की 29 में से 28 सीटें जीतीं थी। अब बीजेपी का टारगेट 29 में से 29 सीटें जीतना है।
प्रहलाद पटेल : सीएम पद के लिए दूसरा नाम प्रहलाद पटेल का सामने आता है। इसकी एक बड़ी वजह जातिगत समीकरण हैं। प्रदेश में करीब 82 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जो लोधी बाहुल्य हैं। इन सीटों पर लोधी समुदाय प्रभाव है और वही हार-जीत तय करता है। इनमें 39 सीटों पर पचपन से साठ हजार, 20 सीटों पर पंद्रह से बीस हजार और 23 सीटों पर दस से पंद्रह हजार लोधी समुदाय की आबादी है। उमा भारती के बाद प्रदेश में बीजेपी को लोधी नेतृत्व की सबसे ज्यादा जरुरत थी जो इस समुदाय को साध सके। प्रहलाद पटेल इस वर्ग के अब सबसे प्रभावी और सर्वमान्य नेता हैं। यही कारण है कि सीएम पद के लिए उनको उपयुक्त चेहरा माना जा रहा है।
कैलाश विजयवर्गीय : सीएम पद के लिए तीसरा नाम कैलाश विजयवर्गीय का लिया जा सकता है। संगठन में कैलाश का बड़ा कद माना जाता है। वे राष्ट्रीय महासचिव होने के साथ अमित शाह के करीबी भी माने जाते हैं। लंबे समय से उनका नाम मध्यप्रदेश में किसी बड़े पद पर ताजपोशी के लिए भी माना जाता रहा है। वे राजनीतिक मैनेजमेंट में माहिर नेता माने जाते हैं। उनके साथ कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज है। कार्यकर्ताओं से लेकर वरिष्ठ नेताओं के साथ तालमेल करने उनको महारथ हासिल है। ऐसे में उनका नाम भी सीएम पद की रेस में शामिल है।
नरेंद्र सिंह तोमर : सीएम पद के दावेदारों में नरेंद्र सिंह तोमर का नाम भी प्रमुखता से लिया जा सकता है। वे कुशल संगठन के रुप में भी जाने जाते हैं। प्रदेश में दो बार लगातार सरकार बनाने का काम प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर नरेंद्र सिंह तोमर ने ही सीएम शिवराज के साथ मिलकर किया था। वे सीएम शिवराज के करीबी भी माने जाते रहे हैं। वहीं वे मोदी-शाह के निकटतम भी रहे हैं। यही कारण है कि उनको चुनाव प्रबंध समिति का प्रमुख बनाया गया था। वे मोदी के पहले कार्यकाल से ही उनकी कैबिनेट में शामिल रहे है। जिताउ चेहरा मानते हुए ही उनको दिमनी से विधानसभा उम्मीदवार बनाया गया था।
चौंका सकता है पांचवां नाम
इन तीन नाम के अलावा कोई चौंकाने वाला नया नाम भी हो सकता है। ये नरेंद्र मोदी और अमित शाह की बीजेपी है जिसके फैसले चौंकाते रहे हैं। हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर और महाराष्ट्र में देवेंद्र फणनवीस को सीएम बनाना इसी तरह के उदाहरण हैं। हो सकता है कोई नया आदिवासी चेहरा सामने आ जाए। हालांकि इसकी संभावना फिलहाल कम ही नजर आती है।